भोपाल। पढ़ाई के सारे रास्ते लंबे समय से बंद हैं, मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था में भी बदलाव किया जा चुका है। बावजूद इसके आंगनवाड़ी केन्द्र पर कर्मचारियों की मौजूदगी बनाए रखने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। मौखिक रूप से दिए गए आदेशों का असर ये है कि लॉक डाउन की पाबंदियों में भी महिला कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं को अपने केंद्रों तक पहुंचने की मजबूरी बनी हुई है। तमाम मुश्किलों को पार कर केंद्र पर पहुंचने के बाद वहां पर क्या करना है, इस बारे में कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिए जा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक राजधानी भोपाल की करीब २३७१ आंगनवाड़ियों में असमंजस के हालात बने हुए हैं। यहां लंबे समय से बच्चों को जमा कर पढ़ाई कराने पर पाबंदी लगी हुई है। इन केंद्रों से वितरित किए जाने वाले मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था में भी अब बदलाव कर दिया गया है। पका हुआ खाना दिए जाने की बजाए यहां से अब कच्चा राशन वितरण के निर्देश दे दिए गए हैं। इसके बावजूद आंगनवाड़ी जिम्मेदारों द्वारा कर्मचारियों को केंद्रों पर पहुंचने की मौखिक ताकीद की जा रही है। इस दौरान इन्हें शनिवार और रविवार के लॉक डाउन में भी हाजिर रहने के निर्देश दिए गए हैं। महिला कर्मचारियों की समस्या ये है कि लॉक डाउन की पाबंदियों के बीच उन्हें कई परेशानियां उठाकर केंद्रों तक पहुंचना पड़ रहा है। शहरभर में बैरिकेटिंग और दस जगह होने वाली पुलिसिया पूछताछ से भी उन्हें दो चार होना पड़ रहा है।

हरदिन २० टीके
अधिकारियों द्वारा जारी किए गए नए आदेश ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मुश्किल और बढ़ा दी है। व्हाट्सएप पर भेजे जा रहे आदेश में अधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को २० टीकाकरण प्रतिदिन करने की बाध्यता अायद कर दी है। ११ से १४ अप्रैल तक टीकाकरण महोत्सव कार्यक्रम के लिए दिए गए लक्ष्य में कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि अब वैक्सीनेशन सेंटर पर बैठने की बजाए वे घरों घर जाकर टीकाकरण करें। कार्यकर्ताओं को हर शाम २० टीके लगाने की सूची भी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

इनका कहना
टीकाकरण से जुड़े सर्वे आदि के कई काम हैं, जिनके लिए कार्यकर्ता, सहायिका, उषा कार्यकर्ता आदि को आंगनवाड़ी में हाजिर रहने के लिए कहा गया है।

धर्मेंद्र अग्रवाल,
सीडीपीओ, जेपी नगर

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