भोपाल। आम दिनों में कामचोरी के लिए कुख्यात मप्र वक्फ बोर्ड राष्ट्रीय अवकाश के दिन अपने शबाब पर दिखाई दिया। अधिकारियों के साथ कई कर्मचारी यहां मौजूद भी दिखाई दिए और इस दौरान कई फाइलों को गति भी दी गई। हालांकि छुट्टी के दिन दफ्तर में मौजूदगी को बोर्ड सीईओ गांधी जयंती के लिए एकत्रित होना बता रहे हैं।

शनिवार को गांधी जयंती के अवकाश के दिन मप्र वक्फ बोर्ड अपनी गति से काम कर रहा था। यहां सीईओ हस्र उद्दीन, लीगल सेक्शन इंचार्ज रफी अहमद और कुछ कर्मचारियों के अलावा चपरासी, ड्राइवर आदि मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि छुट्टी के दिन दफ्तर में मौजूदगी की वजह कुछ ऐसी फाइलों को निपटाना था, जो रूटीन वर्किंग दिन में करना कुछ मुश्किल भरा होता है। सीईओ हस्र उद्दीन का कहना है कि गांधी जयंती के मौके पर बोर्ड परिसर में सफाई अभियान चलाया गया था, जिसके लिए कर्मचारियों को बुलाया गया था। इधर लीगल सेक्शन प्रभारी रफी का कहना है उनके कई पेंडिंग काम रह गए थे, जिसको निपटाने के वे ऑफिस आए थे।

नियुक्ति में प्रशासक की अनुमति जरूरी नहीं : सीईओ
मप्र वक्फ बोर्ड में शुक्रवार को की गई एक विधि सलाहकार की नियुक्ति शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस पद पर सीईओ ने नरेंद्र चौरसिया के नियुक्ति आदेश जारी किए हैं। आपत्ति करने वालों का कहना है कि बोर्ड में किसी हिंदू व्यक्ति की नियुक्ति की गई है और इस दौरान प्रशासक का अनुमोदन भी नहीं लिया गया है। सीईओ हस्र उद्दीन का कहना है कि ऐसा नियम नहीं है कि किसी नियुक्ति के लिए प्रशासक की अनुमति ली जाए। साथ ही नियम में धर्म संबंधी कोई पाबंदी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के करीब 1500 से ज्यादा मामले अदालतों में लंबित हैं। जिनके लिए ट्रिब्यूनल से लेकर जिला और हाई कोर्ट तक एक जिम्मेदार विधि सलाहकार की जरूरत है। उन्होंने ये भी कहा कि बोर्ड में मौजूद अधिवक्ता और विधि जानकर कई मामलों में केस कमजोर करके बोर्ड के सामने हारने वाले हालात बना रहे हैं। जिसके चलते ये नियुक्ति आवश्यक थी, जो सीमित समय के लिए, पूरी तरह अस्थाई और अल्प वेतन पर की गई है।

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