भोपाल। देश में एक नए संकट के नाम पर कोयले की कमी लोगों की जिंदगी में अंधेरा फैलाने की तरफ अग्रसर है। दूसरी ओर कोयला भंडारों में लग रही लापरवाही और लालच की आग लाखों टन कोयला स्वाहा कर रहा है। भ्रष्टाचार की हद ये है कि कोयला भंडारों की आग बुझाने के नाम पर भी घोटाले करने में गुरेज नहीं किया जा रहा है।
मप्र के बड़े कोयला उत्पादक क्षेत्र पेंच की उर्धन ओपन कास्ट कोयला खदान में लगी आग लंबे समय से धधक रही है। इस बीच 5 लाख टन से ज्यादा कोयला जलकर खाक हो जाने का आंकलन किया जा रहा है। इधर प्रबंधन की लापरवाही और समय पूर्व व्यवस्था में की जाने वाली कोताही से भी उर्धन खदान के भंडारण क्षेत्र में करीब तीन हजार टन कोयला नष्ट हो जाने की खबर है।

लापरवाही
गर्मियों के दिनों में बढ़ने वाली तपिश से कोयला खदान में आग लगने की घटनाएं आम बात है। लेकिन हमेशा होने वाले इन हादसों की रोकथाम के लिए प्रबंध किए जाने में प्रबंधन सुस्ती अपनाता आया है। जिसके चलते लम्बे समय से धधक रही आग लाखों टन कोयला के तौर पर करोड़ों का नुकसान कर रहा है। साथ ही संकट के दौर में मुश्किल को बढ़ा रहा है।

भ्रष्टाचार
कोयला खदान में लगने वाली आग से अपनी जेब गर्म करने में जुटे प्रबंधन भ्रष्टाचार के कई किस्सों से जुड़े हुए हैं। बताया जाता है कि कुछ समय पूर्व इन खदानों में लगी आग के बाद सीबीआई ने छापेमारी की तो स्टॉक में 40 हजार टन कोयला कम पाया गया था। इस मामले को लेकर मौजूदा महाप्रबंधक, सब एरिया मैनेजर, सर्वेयर, खान प्रबंधक आदि के ऊपर मामला भी दर्ज किया गया था।

एक चोरी ये भी
सूत्रों का कहना है कि ऊर्धन में कोयल गोदाम की आग बुझाने निजी टैंकर्स को किराए पर लिया गया है। बताया जाता है कि इसके लिए करीब 20 लाख रुपए खर्च बताया गया है। हालांकि कहा ये जा रहा है कि ये प्रक्रिया मात्र कागजों तक ही सीमित है, वास्तविक रूप से टैंकर्स लगाए ही नहीं गए हैं। इधर आग बुझाने के नाम पर करीब दो दर्जन ठेका मजदूरों को तैनात बताकर भी हेराफेरी की जा रही है।

लापरवाही का नुकसान ये भी
सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन और अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा यह है कि पेंच और यहां की खदानों से निकलने वाला कोयला बाजार तक ही नहीं पहुंच पा रहा है। महाराष्ट्र के वरोरा पॉवर प्लांट और ललितपुर एनटीपीसी से हुए करार टूटने का असर बड़ी मात्रा में कोयला स्टॉक बढ़ता जा रहा है।

इनका कहना है
कोयला खदान में आग लगने की घटनाएं रूटीन बात है। फिलहाल कोयले का संकट नहीं है। मेरे कार्यकाल में आग से कोई नुकसान नहीं हुआ है। पिछले मामलों की मुझे जानकारी नहीं है।
निर्मल कुमार,
जीएम, WCL, परसिया

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