बिहार में एनडीए के घटक दलों ने सूबे की सभी चालीस सीटों पर तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसका दिलचस्प पहलू यह है कि एनडीए के सभी घटक दल एक साथ नहीं, बल्कि अलग-अलग इन सीटों पर अपना कील कांटा दुरुस्त करने में लगे हैं. भाजपा और जदयू का अभियान तो चल ही रहा है पर लोजपा, हम और रालोसपा भी पूरी ताकत इन सीटों पर लगा रही है.

सीटों का बंटवारा मुश्किल

औपचारिक तौर पर सभी घटक दलों का कहना है कि हमारा आपस में कोई टकराव नहीं है. अगर चालीस सीटों पर सभी घटक दल तैयारियों में जुटे हैं, तो इसका मतलब यह है कि इस बार हमलोग सौ फीसदी रिजल्ट चाहते हैं, ताकि नरेंद्र मोदी और प्रचंड बहुमत से सरकार बना सकेंं. लेकिन राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि यह बात इतनी आसान नहीं है. एक तो इस बार पहले ही एनडीए घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा मुश्किल था, अब जदयू के आ जाने के बाद तो रास्ता और भी कठिन हो गया है. जदयू के आने के पहले ही यह धारणा मजबूत हो रही थी कि 2014 के चुनावों में लोजपा और रालोसपा को कुछ अधिक सीटें दे दी गईं. अब जदयू के आने के बाद तो नए सिरे से सीटों को बांटना होगा.

25-15 पर होगा समझौता

भरोसेमंंद सूत्रों का कहना है कि भाजपा कम से कम सूबे की 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी 15 सीटों का बंटवारा सहयोगी दलों के बीच होगा. भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्र बतलाते हैं कि अमित शाह एंड कंपनी की बैठक में यह राय बन गई है कि 25 से कम सीटों पर कोई समझौता नहीं होगा. 25 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी उतरेंगे, बाकी 15 सीटों पर सहयोगी दलों के बीच तालमेल कराने का प्रयास पार्टी करेगी. अगर कोई नहीं माना तो इस बार ज्यादा मान मनौव्वल भी नहीं किया जाएगा. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इसी एप्रोच ने सहयोगी दलों की नींद उड़ा दी है.

  संगठन की मजबूती में जुटे घटक दल

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने कहा है कि प्रदेश की सभी 40 संसदीय सीटों पर पार्टी संगठन को मजबूत किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसे 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, परन्तु संगठन की मजबूती का लाभ हमें स्वाभाविक रूप से चुनाव में मिलेगा. आरसीपी सिंह ने कहा कि जिन जिलों में भाजपा के मंत्री प्रभारी हैं, वहां संगठन की देखरेख के लिए अलग व्यवस्था की जाएगी. जदयू के 14 मंत्री हैं, जिन्हें संगठन की देखरेख के लिए अन्य 24 जिलों का प्रभार सौंपा जाएगा. 15-18 नवंबर के बीच सभी जिलों में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें मंत्री, वरिष्ठ नेता एवं सांसद की टीम शामिल होगी. अगले दो माह में बूथ स्तर पर एजेंट नियुक्त कर दिए जाएंगे. पार्टी नेताओं से सहयोग के तौर पर धनराशि लेने का भी फैसला लिया गया है. इसके लिए नवंबर एवं दिसंबर में अभियान चलाया जाएगा. जदयू पूरे बिहार में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए कितना गंभीर है, इसका प्रमाण राज्य कार्यकारिणी की बैठक में भी मिला.

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