माइक्रोसॉफ्ट (एमएस) के नए ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 7 की पहली झलक अब लोगों के सामने है. अब तक जो दिखा है उसने एमएस के उपभोक्ताओं को परेशानी में डाल दिया है. परेशानी इस बात की नहीं है कि विंडोज 7 उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा क्योंकि इसके ट्रायल वर्ज़न का इस्तेमाल कर चुके लोग यही मान रहे हैं कि माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 7 अबतक का सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम(ओएस) है. उनकी परेशानी इस बातसे है कि क्या विंडोज़ 7 के लिए वे अपने पसंदीदा विंडोज़ एक्सपी को अलविदा कह दें.
माइक्रोसॉफ्ट ने अभी पिछले हफ्ते विंडोज7 के   ट्रायल वर्ज़न कामुफ़्त डाउनलोड बंद कर दिया है. इस ट्रायल वर्ज़न को लोग 120 दिनों तक   इस्तेमाल कर सकते हैं. विंडोज़ 7 ट्रायल वर्ज़न को मुफ्त में यूजर्स तक पहुंचाकर एमएस ने संकेत दे दिया है कि वह विंडोज विस्टा के साथ हुई भूल दोहराना नहीं चाहता. विस्टा एमएस का पिछला ओएस था, जिसकी खामियों के कारण उसकी बहुत आलोचना हुई थी. अब विंडोज7 को बाज़ार में उतारने से पहले एमएस इस विंडोज7 आरसी के ज़रिए अपने उत्पाद को परख लेना चाहता है.
इस ट्रायल वर्ज़न का इस्तेमाल करने वाले  अधिकतर लोगों का मानना है कि यह ओएस बेहतरीन है, लेकिन कितना, इस पर लोगों की राय अलग-अलग है. आइए, इस नए ऑपरेटिंग सिस्टम से जुड़े कुछ ख़ास पहलुओं पर नज़र डालें, जिससे यह सा़फ हो सके कि किसको कितना फायदा और किसको क्या नुक़सान हो सकता है. किसके लिए यह नया ओएस ख़ास है और किसे यह लुभा नहीं पाएगा.
1. पुराने पीसी वाले : जो लोग पुराने कंप्यूटर का  इस्तेमाल करते हैं और उसे नई तकनीक के लिए समय-समय पर अपग्रेड करते हैं, उनके लिए अभी तक लीनक्स सबसे सही ऑप्शन रहा है. इसके तीन कारण हैं – लीनक्स लाइट (कम स्पेस वाला) ओएस है, यह वायरस रहित ओएस है और सबसे अच्छा यह है कि यह एक मुफ़्त ओएस है. इसके मुक़ाबले विंडोज 7 को देखकर लगता है कि पहली बार माइक्रोसॉफ्ट ने पुराने कंप्यूटर्स को ध्यान में रखते हुए ओएस बनाया है.
विंडोज़ 7 का सबसे बड़ा फायदा है कि यह बहुत कम स्पेस लेता है, हालांकि कागज पर इसका वर्क स्पेस विस्टा से ज़्यादा है लेकिन यह उससे कम परेशान करता है. इसके अलावा विंडोज 7 एक अपग्रेड फैमिली पैक के साथ आता है जो इसकी क़ीमत को काफी कम कर देता है. इसके साथ ही कई यूजर्स ने विंडोज 7 आरसी को एमएस के दावे से भी नीचे की मेमोरी वाले सिस्टम पर चलाने में सफलता हासिल की है. इसे आसानी से 512 और 256 एमबी रैम पर भी चलाया जा सकता है, और तो और इसके साथ किसी भी पुराने वर्ज़न के प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर को भी चलाया जा सकता है.
2. विंडोज विस्टा वाले : विंडोज 7 के आने से सबसे ज़्यादा खुशी विस्टा इस्तेमाल करने वालों को हो रही है. विंडोज विस्टा को विंडोज के सभी ओएस में सबसे ज़्यादा आलोचना झेलनी पड़ी है. इसमें कई तकनीकी समस्याएं हैं. अब उम्मीद जताई जा रही है कि विंडोज 7 में इन समस्याओं को दूर कर दिया जाएगा. ऐसे में उम्मीद है कि विंडोज विस्टा का इस्तेमाल कर रहे लोग विंडोज 7 को हाथों हाथ अपनाएंगे.
3. विंडोज एक्सपी वाले : यही ग्रुप है जो विंडोज विस्टा को लेकर सबसे ज़्यादा दुविधा में है. कुछ लोगों का कहना है कि वे विंडोज 7 के  फीचर्स से प्रभावित हैं और उसे अपनाने वाले हैं. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो मानते हैं कि विंडोज 7 अच्छा तो है लेकिन इतना नहीं कि उसके लिए एक्सपी को छोड़ दिया जाए.
हालांकि विंडोज 7 सस्ता ओएस है और इसके लिए एमएस ने नया एक्सचेंज कार्यक्रम शुरू किया है, फिर भी एक नया ओएस अपनाना एक लंबा और जटिल काम है. ऐसे में कई लोग हैं जो विंडोज 7 की जगह पुराने एक्सपी प्रोफेशनल से ही ख़ुश हैं. बहरहाल, विंडोज 7 के कुछ ऐसे फायदे हैं जो उन लोगों की सोच बदल सकता हैं. जहां एक्सपी अब नए हार्डवेयर के लिए उपयुक्त नहीं है, वहीं विंडोज 7 को नवीनतम तकनीक पर डिज़ाइन किया गया है. विंडोज7 में सिक्योरिटी फीचर्स भी अपग्रेड किए गए हैं. साथ ही इसकी एक बड़ी ख़ूबी इसका नया एयरो इंटरफेस है. इसके अलावा इंस्टालेशन और ड्राइवर अवेलिबिलटी में भी आठ साल पुराना एक्सपी अपने नए जेनरेशन के प्रतिद्वंद्वी से पीछे ही है.
विंडोज 7 को बाज़ार में उतारने का व़क्त नज़दीक है. 22 अक्टूबर से यह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में आ रहा है. वैसे अगर आप अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में नयापन चाहते हैं तो विंडोज 7 एक अच्छा विकल्प है और अगर आप अपने ओएस से पूरी तरह है ख़ुश हैं तो भी विंडोज 7 के लिए एक खिड़की खुली रखिएगा.

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