bjpकेन्द्र के स्तर पर भले ही आलाकमान भाजपा के एकजुट होने का दावा और दिखावा करते रहें, लेकिन हकीकत यही है कि जमीन पर पार्टी में सिरफुटौव्वल बढ़ता जा रहा है. पार्टी संगठन पर दबदबे की इस लड़ाई में केंद्रीय मंत्री से लेकर स्थानीय विधायक तक शामिल हैं. मगध के नवादा जिले का भाजपा संगठन ऐसी ही स्थिति से दो-चार हो रहा है. यहां संगठन दो खेमों में बट गया है और अंदरूनी विवाद अब सड़क पर आ चुका है.

एक खेमे का नेतृत्व केंद्रीय मंत्रिमंडल में मगध का प्रतिनिधित्व करने वाले नवादा के सांसद गिरिराज सिंह कर रहे हैं, तो दूसरा खेमा हिसुआ के विधायक अनिल कुमार सिंह का है. पिछले करीब एक वर्ष से दोनों नेेताओं के समर्थको में वाक युद्ध चल रहा है और पोस्टरबाजी हो रही है. जैसे-जैसे लोकसभा का चुनाव नजदीक आ जा रहा है, यहां विवाद और बढ़ता जा रहा है. विधायक अनिल कुमार सिंह के समर्थकों ने नवादा सांसदीय क्षेत्र में ‘नवादा का बेटा नवादा का नेता’ नारे के साथ पोस्टरबाजी शुरू कर दी है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए वे मतदाताओं से बाहरी प्रत्याशी का विरोध करने की अपील कर रहे हैं.

गिरिराज सिंह के समर्थक भी पोस्टरबाजी के जरिए इसका जवाब दे रहे हैं. सांसद और केंद्रीय मंत्री के समर्थकों ने विधायक अनिल कुमार सिंह के विरोध में जो पोस्टर लगाए, उसमें इन्हें जयचन्द और मानसिंह बताते हुए यहां तक कहा गया है कि विधायक जिस पत्तल में खातें हैं, उसी में छेद कर देते हैं. जिसने विधायक को बढ़ाया, विधायक ने उसी का पैर काट डाला. दोनो गुटों के बीच का झगड़ा इतना बढ़ गया है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों नेता एक दूसरे को हराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. नवादा भाजपा का अंदरूनी झगड़ा इतने निचले स्तर पर आ गया है कि अन्य दल वाले नवादा जिला भाजपा के नेताओं पर व्यंग्य वाण करते देखे जा रहें हैं.

विधायक अनिल कुमार सिंह के समर्थकों का कहना है कि नीतीश कुमार जब दूसरी बार एनडीए का हिस्सा बने और मुख्यमंत्री बने, तब उनके मंत्रिमंडल में अनिल कुमार सिंह को भाजपा कोटे से मंत्री बनाने की बात हुई थी, लेकिन गिरिराज सिंह ने अपने प्रभाव से हिसुआ के इस भाजपा विधायक को मंत्री बनने से वंचित कर दिया. इसके बाद विधायक ने नवादा में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई. जिस दिन बैठक निर्धारित थी, उसी रात में नवादा शहर में विधायक के खिलाफ पोस्टर चिपकाए गए.

उन पोस्टरों में विधायक अनिल सिंह को गद्दार बताते हुए उनकी तुलना जयचंद और मानसिंह से की गई थी. नवादा जिला भाजपा पर सांसद का कब्जा है और जिला अध्यक्ष उनके चहेते हैं. इसलिए इस पोस्टरबाजी का आरोप गिरिराज सिंह पर लगा. तब गिरिराज सिंह ने इन आरोपों का खंडन करते हुए पोस्टरबाजी करनेवालों को पार्टी का विरोधी बताया था. लेकिन फिर भी दोनों के बीच का विवाद बढ़ते चला गया.

जिला अध्यक्ष के मनोयन को लेकर भी दो साल तक नवादा जिला भाजपा कमिटी का विस्तार अटका रहा. हालांकि इसमें भी सांसद गिरिराज सिंह ने बाजी मारी और अपने चाहते शषि भूषण कुमार को जिला अध्यक्ष बनाने में सफल हो गए. जिला अध्यक्ष ने जब कमिटी में पदाधिकारियों को मनोनित किया, तो इसे लेकर भी विवाद छिड़ गया. 18 सदस्यीय कमिटी में 12 कार्यकर्ता एक ही जाति के रह गए. इसमें ब्राह्‌मण और कायस्थ को कोई जगह नहीं दी गई. इसी प्रकार अन्य पिछड़ी जातियों को भी समूचित रूप से जगह नहीं मिली. भाजपा के कई नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि नवादा जिला भाजपा  कमिटी के गठन में पारदर्शिता नहीं बरती गई.

पार्टी को हर समाज का वोट मिलता है, इसलिए कमिटी में सभी जातियों को उचित स्थान मिलना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. पार्टी कार्यालय के लिए खरीदी गई जमीन भी विवादों के घेरे में आ गई. पार्टी कार्यालय के लिए नवादा शहर से 4 किलोमीटर दूर केन्दुआ बाईपास के पास 11 डिसमील जमीन खरीदी गई. विधायक और उनके समर्थक इस जमीन खरीद में गड़बड़ी को लेकर सांसद पर आरोप लगाते रहे हैं. इसे लेकर गिरिराज सिंह के खिलाफ नवादा के अलावा राजधानी पटना और बरबीघा में भी पोस्टर लगाए गए.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here