narendra modi take lesson by the bollywood film silsila

सिलसिला, उससे मिली सीख और वो भी गुजरात के तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को, शायद ये आपको अटपटा लग रहा हो, लेकिन इसमें पूरी तरह से सच्चाई है. गुजरात के मुख्यमंत्री से भारत के प्रधानमंत्री तक का नरेंद्र मोदी का सफर यूं तो कई अहम पड़ावों से होकर गुजरा है, लेकिन आज जो एक कारण हम आपको बताने जा रहे हैं, वह पूरी तरह से फिल्मी है.

जी हां, कहा जाता है कि सिनेमा और सियासत एक दूसरे के पूरक हैं, सियासत की वास्तविकता कई बार सिनेमा के रूपहले पर्दे की याद दिला देती है. लेकिन सिनेमा से सीख लेकर सियासत करने का उदाहरण शायद ही आपने कभी देखा या सुना हो. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बता रहे हैं.
ये बात है 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय की.

नरेंद्र मोदी अपने कुछ साथी नेताओं के साथ चर्चा कर रहे थे कि इस विधानसभा चुनाव में उनकी तैयारी की दिशा क्या हो. क्या वे कट्टर हिंदू नेता के तौर पर ही अपनी पहचान को आगे बढ़ाएं या फिर नरम रुख को सामने लाएं. क्योंकि 2002 के दंगों के बाद गुजरात में नरेंद्र मोदी की छवि एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर पर स्थापित हो चुकी थी. बैठक में मौजूद कई नेताओं ने सलाह दी कि कट्टर हिंदू नेता वाली मोदी की छवि से उन्हें नुकसान हो सकता है.

लेकिन तभी वहां मौजूद भाजपा नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मोदी से एक अजीब सवाल पूछ दिया. उन्होंने नरेंद्र मोदी से पूछा- सर, क्या आपने सिलसिला मूवी देखी है? मोदी ने भड़काऊ लहजे में कहा- ये कैसा सवाल है.

फिर सिद्धार्थ बोले- सर मैं बस पूछ रहा हूं कि आपने देखी है या नहीं? मोदी के हां कहने पर सिद्धार्थ बोले- सर आपको पता है कि सुपरस्टार अमिताभ की ये फिल्म क्यों फ्लॉप हुई थी? नरेंद्र मोदी ने जानना चाहा, फिर सिद्धार्थ ने बताया कि ‘तब अमिताभ बच्चन की इमेज एंग्री यंग मैन की थी, लोग उन्हें उसी रूप में पसंद करते थे, लेकिन ‘सिलसिला’ में उन्हें एक लवर बॉय के तौर पर दिखाया गया, जो दर्शकों को ठीक नहीं लगा और फिल्म पीट गई. सर यही बात अभी आपकी छवि के साथ है. अभी आपकी जो छवि है वो बेस्ट है और हमें इसी को आगे करते हुए चुनाव जाना चाहिए.’

सिद्धार्थ नाथ सिंह की सलाह मोदी को भा गई और भाजपा मोदी की कट्टर हिंदू छवि के साथ ही चुनाव में उतरी. इस छवि ने मोदी को एक खास वर्ग के लोगों का हीरो बना दिया, जिसके बल पर वे कई दिग्गज भाजपा नेताओं को पीछे छोड़ते हुए गांधीनगर से सीधे दिल्ली पहुंच गए.

गौरतलब है कि उस सलाह के बाद सिद्धार्थ नाथ सिंह को गुजरात चुनाव के मीडिया कैंपेनिंग का जिम्मा सौंपा गया था. सिद्धार्थ, पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं. इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन्हें  इलाहाबाद पश्‍चिम सीट से प्रत्याशी बनाया था, जहां से भारी जीत के बाद इन्हें योगी गर्वनमेंट में कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा मिला है.

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