riceसुशासन के तमाम दावों के बावजूद, बिहार के सरकारी सिस्टम में सेंधमारी रुक नहीं रही है. सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से होने वाले गबन-घोटालों का दौर आज भी उसी रफ्तार से जारी है. नया मामला सामने आया है नालंदा जिले के हिलसा अनुमंडल में, जहां सम्बन्धित अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य खाद्य निगम के कई गोदामों से करीब पौने दो करोड़ कीमत के सात हजार क्विंटल चावल का घोटाला कर लिया गया है. जांच में जब मामला पकड़ में आया, तो सभी लोग एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने लगे. गोदामों में चावल के रख-रखाव की जिम्मेदारी वाले अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. इस प्राथमिकी से बिहार सरकार के आपूर्ति विभाग, कृषि विभाग तथा राज्य खाद्य निगम में हड़कंप मचा हुआ है.

बिहार राज्य खाद्य निगम की ओर से नालंदा जिले के हिलसा में अनुमंडल स्तर पर चावल के भंडारण के लिए टांडपर, कामता, यारपुर और बिस्कोमान गोदाम को केन्द्र बनाया गया था. मिलों से आया चावल इन्हीं गोदामों में जमा होता था, जिसे राज्य खाद्य निगम के निर्गमादेश पर निर्गत किया जाता था. इन केन्द्रों से चावल आगत और निर्गत करने की जिम्मेदारी एसएफसी (स्टेट फुड कॉर्पोरेशन) के कर्मी विक्रम कुमार और कार्यपालक सहायक संजीव कुमार की थी. चावल के आगत-निर्गत के कागजातों पर विक्रम और संजीव के हस्ताक्षर के बाद वहां एजीएम के रूप में प्रतिनियुक्त बीएओ शंकर राम भी हस्ताक्षर करते थे.

दिसम्बर 2017 में जब उक्त गोदामों में चावल की अद्यतन स्थिति की जांच के लिए जिला स्तरीय टीम हिलसा पहुंची, तो यहां चावल गबन का बड़ा मामला सामने आया. जांच टीम ने टांडपर, कामता, यारपुर और बिस्कोमान गोदाम की बारीकी से जांच की, तब पता चला कि दस्तावेज में अंकित आंकड़ों की तुलना में गोदाम में चावल के बोरों की संख्या काफी कम है. टांडपर स्थित गोदाम में एक हजार सात सौ क्विंटल, यारपुर स्थित गोदाम में चार हजार क्विंटल तथा कामता स्थित गोदाम में एक हजार तीन सौ क्विंटल चावल कम पाया गया. गोदाम में कम पाए गए चावल की कीमत करीब एक करोड़ पचहत्तर लाख रुपए आंकी गई है.

जांच में पता चला है कि इन गोदामों की चाबी राज्य खाद्य निगम के कर्मी संजीव कुमार के पास रहती थी. जब घोटाले का खुलासा हुआ, तो संजीव कुमार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया और आरोप बीएओ शंकर राम पर मढ़ दिया. इसके बाद 16  फरवरी 2018 को बीएओ सह सहायक गोदाम प्रभारी शंकर राम ने आनन-फानन में हिलसा थाने में संजीव कुमार और विक्रम कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी. इसके अगले ही दिन एसएफसी के जिला प्रबंधक रामबाबू ने सभी गोदामों को सील करते हुए इस मामले में एक दूसरी प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें बीएओ शंकर राम को भी नामजद किया गया. यह प्राथमिकी हिलसा एसडीओ की रिपोर्ट को आधार बनाकर दर्ज कराई गई, जिसमें कहा गया कि गोदाम के अंतिम रख रखाव की जिम्मेदारी बीएओ शंकर राम की थी. इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि शंकर राम ने जिस कार्यपालक सहायक संजीव कुमार समेत दो पर प्राथमिकी दर्ज कराई है, उन्हें 7 जुलाई 2017 में इन्होंने ही स्वच्छता प्रमाण पत्र दिया था.

इससे स्पष्ट है कि इस घोटाले में कार्यपालक सहायक संजीव कुमार के साथ-साथ बीएओ शंकर राम की भी संलिप्तता है. दर्ज कराई गई प्राथमिकी में पैक्स और मिलों पर भी संदेह जताया गया है, जो इन गोदामों से जुड़े थे. पौने दो करोड़ कीमत के इस चावल घोटाले में भले ही शुरुआती प्राथमिकी और जांच में छोटे कर्मी फंसते दिख रहे हैं, लेकिन इस घोटाले के पीछे कई सफेदपोश लोगों के भी शामिल होने की आशंका है. स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि यह घोटाला धान क्रय के साथ ही शुरू हो गया था. बताया जा रहा है कि अधिकतर धान क्रय केन्द्रों द्वारा धान खरीद कर मिलों कोे भेजेने के बजाय ट्रक पर लदवाकर दूसरे बड़े करोबारियों के यहां भेज दिया जाता था और उसके बदले में दूसरे प्रदेश या फिर स्थानीय स्तर पर कालाबाजारी के जरिए चावल खरीदकर गोदाम में पहुंचाया जाता था. कई बार तो सीधे क्रय केन्द्रों से ही किसानों के नाम पर चेक निर्गत कर दिया जाता था.

यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि राज्य खाद्य निगम में घोटाले की संभावना देखते हुए विभाग ने इसके नियमों में परिवर्तन किया था. पूर्व की व्यवस्था के अनुसार, मिल सीधे एसएफसी को चावल आपूर्ति करते थे, लेकिन बाद में इस नियम को बदल दिया गया और स्थानीय स्तर पर सरकार द्वारा निर्धारित गोदामों में धान के एवज में चावल पहुंचाने का आदेश दिया गया. मिलों से शत प्रतिशत चावल का उठाव हो, इसके लिए भी सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए गए. चावल नहीं जमा करने वाले मिलों को नोटिस भी दिया गया.

लेकिन घोटालेबाजों ने इसकी भी काट निकाल ली और गोदामों से ही चावल का घपला शुरू हो गया. हिलसा में जिला स्तरीय जांच टीम द्वारा जो खुलासे किए गए हैं, वे भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं. घोटाला प्रकाश में नहीं आए इसके लिए गोदामों में कई तरह की चालबाजियां की जाती थी. कई बार तो गोदाम में चावल पहुंचता भी नहीं था और कागज में उसकी आमद दिखा दी जाती थी.

गोदाम सामने से पूरी तरह भरा-भरा दिखे, इसके लिए गोदाम के अंदर चारो तरफ चावल के बोरों को सजाकर रख दिया जाता था, जबकि बीच का हिस्सा पूरी तरह खाली होता था. देखने पर सामने वाले को यही लगता था कि गोदाम चावलों से पूरी तरह भरा हुआ है. घोटाले को छुपाने के ऐसे उपाय बताते हैं कि इससे जुड़े अधिकारियों और कर्मियों को व्यव्स्था का कोई डर ही नहीं है. हालांकि इस मामलें में आरोपी बीएओ शंकर राम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. अगर इस मामले में पारदर्शी तरीके से जांच प्रक्रिया आगे बढ़ती है, तो इसमें नालंदा के कई सफेदपोशों के बेनकाब होने की सम्भावना है.

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