माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी,
अगर जिज्ञेश मेजवानी ने नथुराम गोडसेको नरेंद्र मोदी के गुरू कहा होगा तो यह फॅक्चुअल गलती है ! क्योंकि असल में नरेंद्र मोदी के गुरू और नथुराम गोडसे के गुरू एक थे ! बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर !
जैसे कन्हैया कुमार ने मुसोलीनी के मिलने वाले संघ संस्थापक गोलवलकर बोला था !(हालांकि गोलवलकर संघ संस्थापक नही थे ! और जो संस्थापक बेनिटो मुसोलीनी से मिलने गए थे ! वह डॉ. बी. जे. मुंजे थे !) दोनों लडके युवा है, वक्ता भी अच्छे हैं ! लेकिन अस्सि के दशक में राजीव दिक्षित नामके एक युवक को पहली ही मुलाकात में मैंने कहा था कि ! “तुम्हारा नई आर्थिक नीतियों को लेकर चल रहे प्रचार में अतिशयोक्ति, और कुछ तथ्यों को तोडमरोडकर पेश करने से तुम्हारी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो सकते हैं ! जो तुम्हारे लिए और विशेष रूप से नई आर्थिक नीतियों के खिलाफ लड़ाई को भी कमजोर कर सकते हैं !” लेकिन वह तो उस गायके बछड़े जैसा था, कुलांचे मारने वाला ! जो हमारे जैसे सामान्य कार्यकर्ताओं की बात भला कैसे सुनेगा ? आखिर ऐ वी आई पी सिंड्रोम की बिमारी भी बड़ी अजिब होती है ! और बहुत अच्छे – खासे लोगों को लेकर डुबाया है !
मुझे हेट स्पिच को लेकर अगर जिज्ञेश के उपर कारवाई की है ! तो अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, और वर्तमान समय में हिंदुत्ववादीयो के तरफसे कई गेरूआ कपड़े पहनकर, तथाकथित हिंदु धर्म पंचायत या धर्म संसदो के मंचों पर से, जो जहरीले बोल बोले गए ! उनके उपर क्या कार्रवाई हुई है ?(बाकायदा उन कार्यक्रमों के अॉडिओ – विडियो रेकॉर्ड मौजूद हैं !) लेकिन पुलिस – प्रशासन ने उनके उपर क्या कार्रवाई की है ?
संघ ने भले ही, पहले दिन से ही भारतीय संविधान को नकारा होगा ! लेकिन उसी संविधान के तहत संपूर्ण भारत में किसी भी कोने में संघ के लोग, कभी राहुल गांधी के उपर, तो कभी प्रशांत कुमार या अन्य कोई भी, धर्मांधता के खिलाफ बोलने – लिखने का काम कर रहे हैं ! उन सभी को डराने के लिए इस तरह की हरकतों को अंजाम दे रहे हैं !
जिस आसाम पुलिस ने जिज्ञेश को गिरफ्तार किया है, वहां के मुख्यमंत्री राहुल गांधी के पिता कौन है ? जैसा सवाल कर के गये हैं ! और वह आसाम पुलिस के लिये आक्षेपार्ह नही लगता है ?
ठीक है, नरेंद्र मोदी के गुरू नाथूराम गोडसे थे या नहीं, इस मुद्दे पर अगर किसी को गिरफ्तार कर सकते हैं ! तो राहुल गांधी के पिता कौन है ? यह सवाल करने वाले लोगों के लिए कौन-सा कानून को देखना पडेंगा ? संघ के लोग अगर इस गलतफहमियों में होंगे कि वह किसे भी किसी भी बात पर फंसाकर जेलों में डाल सकते हैं ! तो वही बात उनके सिपहसलारों के उपर भी लागू होती है ! और उसमें वर्तमान समय के प्रधानमंत्री से लेकर गली मुहल्ले के स्वयंसेवक तक आफत में आ सकते है ! उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री. आदित्यनाथ के अॉडिओ – विडियो रेकॉर्ड है ! जिसमें उन्होंने मुसलमानों को लेकर क्या बोला है ?
नरेंद्र मोदी आंतरराष्ट्रीय मिडिया के सामने अल्पसंख्यक समुदाय को कुत्ते का पिल्ला बोलने का भी रेकॉर्ड मौजूद हैं ! इसके अलावा प्रज्ञा सिंह, यति और दर्जनों ऐसे खुंखार लोग हैं ! जो हिंदुत्ववादीयो के तरफसे चलाए जा रही महात्मा गाँधी जी के खिलाफ बदनामी की मुहिम में शामिल है !
और दुसरी तरफ नरेंद्र मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं तबसे शायद ही कोई विदेशी मेहमान होगा जिसे अहमदाबाद में ! और उसमे भी विशेष रूप से महात्मा गाँधी जी के साबरमती आश्रम में नहीं लेकर गए होंगे ! यह जो दोहरा चेहरा देखकर लगता है कि एक तो नरेंद्र मोदी की किसी को भी कोई परवाह नहीं है ! या फिर दोनों पक्षों के आपसी समझ और साजिश के तहत यह सब जारी है !
अगर नरेंद्र मोदीजी को महात्मा गाँधी को, आंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने इमेज के लिए ही सही ! प्रोजेक्ट करने की धुन सवार हुई है ! तो फिर उपर – उपर सतही गांधीजी के साबरमती के आश्रम में विदेशी मेहमानों को खुद लेजाकर प्रदर्शन करने से काम नहीं चलेगा !
गत सौ साल से गांधीजी की बदनामी की मुहिम, संघ के बौद्धिको से लेकर कानाफूसी तक चल रहे, अभियानों को अविलंब बंद करना होगा ! अन्यथा आपको कोई नैतिक अधिकार नहीं है ! कि उठते – बैठते गांधी जी का प्रदर्शन किया जाय ! यह तो शुद्ध पाखंडीयो के जैसा दिखाई देता है!
और महात्मा गांधी के दिखावे वाले प्रदर्शनो पर रोक लगाई जाए ! क्योंकि यह प्रदर्शनी करने का आपका, आठ साल के सरकार के कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप से लेकर चीन के राष्ट्रपति, और अभी – अभी इंग्लैंड के प्रधानमंत्री तक एक नई पद्धति विकसित कर दी है ! कि कोई भी महत्वपूर्ण विदेशी मेहमान आया तो सबसे पहले, उसे अहमदाबाद में उतारा जा रहा है ! और साबरमती आश्रम में ले जाना है ! और इसी लीए करोड़ों रुपये खर्च कर के साबरमती आश्रम की शक्ल – सुरत अमेरिका के किंग (मार्टिन ल्युथर किंग ज्यूनिअर) के मेमोरियल के तर्ज पर साबरमती में भी मेमोरियल बनाने की योजना बनाई गई है ! और आश्रम के विश्वसस्तोने इसे मान्यता दी है !
लेकिन महात्मा गाँधी आपके लिए एक कमोडिटी लग रहे होंगे ! ऐसे आपके साबरमती के इर्द-गिर्द चल रहे निर्माण कार्य से लग रहा है ! लेकिन अमेरिका में पैदा हुए मार्टिन ल्युथर किंग, और भारत में पैदा हुए महात्मा गाँधी जी के जीवन शैली में जमीन आसमान का फर्क है ! और अगर अमेरिका के तर्ज पर साबरमती का निर्माण किया जा रहा है ! तो यह महात्मा गाँधी जी के “मेरा जीवन ही मेरा संदेश की” हत्या होगी !
क्योंकि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका से भारत तक जितने भी आश्रम बनाने के लिए, उस आश्रम के पांच किलोमीटर के दायरे में जो भी संसाधन उपलब्ध हैं ! उनके ही द्वारा उस आश्रम का निर्माण होगा इस नियम का उल्लंघन करने की कृती मानी जायेगी !
इंग्लैंड में छत्रपती शिवाजी महाराज के समय के ! शेक्सपियर के घर को आज भी सोलहवीं – सत्रहवीं शताब्दी के मकानों जैसा ही मेंटेनेंस कर रहे हैं ! तो साबरमती को किंग मेमोरियल के जैसा बनाने की जीद क्यो ? शारीरिक रूप से तो उन्हें इस दुनिया से विदा कर दिया ! अब उनके बची – खुची विरासत के रूप में जो भी कुछ है ! उसे छेड़ना छोड दिजीए ! और उन्होंने कहा वैसे, आखिरी आदमी की चिंता किजीये ! जो आज महंगाई की मार से परेशान है और उपर से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंदुत्ववादी तत्वो द्वारा चलाए जा रहे द्वेषपूर्ण अभियानो को रोकने के लिए कुछ करने की ! सिर्फ जिज्ञेश मेवानी के जैसे दलितों के नेताओं को जेल में डालने से कैसे होगा ? इन सभी मुद्दों पर सोच विचार करने के लिए ही आपको यह खुला पत्र लिखा है !
तो शायद यही उनके प्रति सही-सही आदर या सम्मान होगा !
डॉ सुरेश खैरनार 25 अप्रैल 2022, नागपुर