समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर जिला में रोसड़ा से पांच किलोमीटर दूर स्थित भिरहा गांव में तीन दिनों तक होली की धूम रहती है। इसमें पूरे मिथिलांचल से हजारों की संख्या में पहुंचे लोग बिना किसी भेदभाव के शामिल होते हैं।
इस होली महोत्सव में जो ख़ास बात है वि यह है कि यहां आज भी वृंदावन की झलक मिलती है। बताया जाता है कि राष्ट्रकवि दिनकर ने यहां की होली से अभिभूत होकर कहा था कि वृंदावन तक नहीं पहुंचने वाले लोग भिरहा में भी वहां की झलक देख सकते हैं।
सन 1835 से चली आ रही परंपरा
गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष पूर्व यहां के प्रबुद्ध लोग होली का आनंद लेने वृंदावन गए थे। लौटने के बाद उन्होंने वृंदावन की तर्ज पर ही होली मनाने का निर्णय लिया। उसी दिन से आज तक प्रतिवर्ष भिरहा में पारंपरिक होली महोत्सव मनाया जाता है।
तीन महीने चलती तैयारियां
करीब 20 हजार की आबादी वाले इस गांव में तीन माह पूर्व से ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। होली के दौरान गांव के लोग पुवारी, पश्चिमवारी और उत्तरवारी टोले में बंटकर बेहतर साज-सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रतिस्पर्धा करते हैं। देश के विभिन्न स्थानों की प्रसिद्ध बैंड पार्टी, गायक और नृत्य कलाकार यहां आमंत्रित किए जाते हैं।कार्यक्रम के पहले दिन तीनों कार्यक्रम स्थलों पर बैंड पार्टी के कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। शाम ढलते ही गायन और नृत्य की महफिल सज जाती है। इसका लुत्फ सभी आयुवर्ग के लोग लेते हैं।फिर नीलमणि उच्च विद्यालय प्रांगण में होलिका दहन के बाद घंटों तीनों बैंड पार्टियों के बीच प्रतियोगिता होती है। संध्या काल में पुन: रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज होता है।
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