लोहिया जयंती पर कार्यकर्ताओं पर हमला बोलने वाले मुलायम ने लोहिया की पुण्यतिथि पर पिछले साल जनता और कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा था कि सरकार के मंत्रियों की गलती की सजा उन्हें न दी जाए. मुलायम ने डॉ. राममनोहर लोहिया के जीवन की कई मिसाल देते हुए कहा था कि जिस जनता ने आपको बहुमत की सरकार दी है, वह मूर्ख नहीं है. वोटर गरीब या अनपढ़ हो सकता है, लेकिन सत्ता में बैठे नेताओं के आचरण में आने वाले बदलाव को वह समझता है और नाराज होने पर सबक सिखा देता है.
राजनीति और उम्र की इस दहलीज पर आकर मुलायम सिंह यादव के स्वभाव में लोहिया उतर रहे हैं. अब तक मुलायम की राजनीति पर लोहिया प्रभावी रहे हैं. लोहिया को स्वभाव में उतारना मुलायम की विवशता भी हो सकती है. लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद मुलायम के व्यक्तित्व पर लोहिया के नाम पर सियासत कम, लोहिया का आक्रामक व्यक्तित्व अधिक प्रभावी दिखने लगा है. अखिलेश सरकार के मंत्रियों की जन विरोधी गतिविधियों और उनके भ्रष्टाचार पर लगातार तीखा प्रहार कर रहे मुलायम ने 23 मार्च को लोहिया जयंती के मौके पर यह कह कर लोगों को आश्चर्य में डाल दिया कि पार्टी के नेता उनकी जासूसी कर रहे हैं, उन पर नजर रख रहे हैं. कुछ नेता सीआइडी का काम कर रहे हैं. उनका केवल इतना ही काम रह गया है कि वे इस बात पर नजर रखें कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक उनसे कौन-कौन मिलता है. मुलायम ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भी अपना खूब गुस्सा उतारा. मुलायम ने कहा कि सपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी का सत्यानाश कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली शर्मनाक हार का गुस्सा समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के चेहरे पर स्पष्ट दिख रहा था. उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने केंद्र में सरकार बनाने के उनके सपनों पर पानी फेर दिया. पार्टी के सारे नेता और कार्यकर्ता हक्के-बक्के होकर मुलायम का अर्धसत्य सुन रहे थे और बाहर निकल कर कोस रहे थे कि पार्टी को नेताओं ने मिल कर डुबोया और बदनाम कार्यकर्ता हो रहे हैं.
पार्टी मुख्यालय में डॉ. राम मनोहर लोहिया के नाम पर बने सम्मेलन कक्ष का उद्घाटन करने के बाद मुलायम कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि लोकसभा चुनाव में आपने कहीं का नहीं छोड़ा. अगर हम 40-45 सीटें जीत जाते तो केंद्र में सपा की सरकार होती. कांग्रेस भी समर्थन करती, लेकिन आपलोगों ने सारा सत्यानाश कर दिया. मुलायम ने लोहिया के विचार का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करतीं. आज लोहिया के विचारों को समझने की जरूरत है. कार्यक्रम के बाद बाहर निकलते कुछ कार्यकर्ताओं ने मुलायम के वक्तव्य पर चुटकी भी ली, जिंदा कौमों ने पांच साल कहां इंतजार किया, यूपी में सरकार बनने के दो साल बाद ही लोकसभा चुनाव में पार्टी को जमीन का अहसास करा दिया. लोकसभा चुनाव में सपा उत्तर प्रदेश में 80 में से केवल पांच सीटें ही जीत पाई, वह भी मुलायम परिवार के ही पांच लोग जीत कर संसद पहुंचे. आजमगढ़ सीट से मुलायम खुद जीते, जबकि उनकी बहू डिंपल यादव, भतीजे धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव व पोते तेज प्रताप सिंह यादव क्रमशः कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और मैनपुरी सीटों से चुनाव जीते. पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए मुलायम ने कहा कि पार्टी में चापलूसों की भरमार है. उन्होंने चुनौती देने के अंदाज में कहा कि इस बार यूपी में सरकार नहीं बनी तो अच्छा नहीं होगा. उन्होंने उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार फिर से बनाने के लिए उन्हीं कार्यकर्ताओं से आह्वान भी किया, जिन्हें कुछ ही मिनट पहले सत्यानाशी बताया था. लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार की वजह बताते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि बाबर की 13 हजार की फौज थी, जिसने भारत पर कब्जा कर लिया, क्योंकि उसकी सेना अनुशासित थी, हमारी सेना बंटी हुई थी. अनुशासन में रहेंगे तभी हम चुनाव जीत पाएंगे.
दागदार नेताओं की मौजूदगी में मुलायम ने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कि अगर वे बेदाग रहेंगे तो लंबी राजनीति कर सकते हैं, वर्ना अब लंबी राजनीति नहीं की जा सकती. मुलायम ने पार्टी कार्यकर्ताओं से यह भी कहा कि वे विपक्षी दलों के दुष्प्रचार से सतर्क रहें. मुलायम ने कार्यकर्ताओं को कुछ लिखने-पढ़ने की भी सलाह दी. मुलायम बोले कि सम्मेलनों-बैठकों में कार्यकर्ता न तो कुछ लिखते हैं और न ही उन्हें पार्टी संविधान और
घोषणापत्र की कोई जानकारी है. सबको पार्टी संविधान और 2012 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयार पार्टी का घोषणापत्र पढ़ना चाहिए. जनता को बताना चाहिए कि सपा सरकार ने क्या किया है और किस तरह उसने अपने सभी चुनावी वायदे पूरे किए हैं. मंत्रियों को अपने स्वार्थ और अपनी प्रशंसा से ही फुर्सत नहीं रहती. वे सरकार के काम के बारे में लोगों को क्या बताएंगे. मुलायम ने कहा कि मंत्रियों को तो पार्टी के संविधान तक की
जानकारी नहीं है. उन्होंेने अपने मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव पर भी कड़ा प्रहार किया. यह भी कहा कि वे जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब मुंबई में चार-चार विधायक हुआ करते थे. कर्नाटक में भी दो विधायक होते थे, लेकिन अब तो पार्टी यूपी के अंदर ही सिमट कर रह गई है.
पिछले साल अक्टूबर महीने में हुए पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम ने कहा था कि अखिलेश सरकार के कुछ मंत्री जनहित में काम नहीं कर रहे हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. मंत्रियों ने जनता का काम नहीं किया और केवल व्यक्तिगत लाभ उठाया. उन मंत्रियों और कुछ विधायकों का कच्चा-चिट्ठा उनके पास है. मुलायम ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सतर्क करते हुए कहा था कि जनता से दूरी बनाओगे तो खुद खत्म हो जाओगे. जनता की उपेक्षा न करें. जनता अपनी उपेक्षा कभी नहीं भूलती. उपेक्षा करने वाले मंत्रियों को जनता सबसे पहले हराती है. पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा था कि मंत्री कोई काम नहीं कर रहे हैं, उनके काम-काज का हिसाब लिया जाना चाहिए, लेकिन इन नसीहतों का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर कोई असर नहीं पड़ा. मंत्रियों की भ्रष्ट गतिविधियां उसी तरह जारी हैं. मुलायम ने हर मौके पर अखिलेश सरकार को आगाह किया और सार्वजनिक प्रहार करने से कभी नहीं चूके. उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार में चापलूस राज कर रहे हैं. मंत्री और अफसर सब इन्हीं से घिरे हैं. कुछ मंत्री तो पूरी सरकार को बहका रहे हैं. मुलायम ने अखिलेश को चाटुकारों से दूर रहने की सलाह भी दी थी, लेकिन चाटुकारों का मोह कौन नेता त्याग पाता है.
लोहिया जयंती पर कार्यकर्ताओं पर हमला बोलने वाले मुलायम ने लोहिया की पुण्यतिथि पर पिछले साल जनता और कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा था कि सरकार के मंत्रियों की गलती की सजा उन्हें न दी जाए. मुलायम ने डॉ. राममनोहर लोहिया के जीवन की कई मिसाल देते हुए कहा था कि जिस जनता ने आपको बहुमत की सरकार दी है, वह मूर्ख नहीं है. वोटर गरीब या अनपढ़ हो सकता है, लेकिन सत्ता में बैठे नेताओं के आचरण में आने वाले बदलाव को वह समझता है और नाराज होने पर सबक सिखा देता है.
मुलायम के आक्रामक तेवर के कारण लोहिया की 105वीं जयंती याद रखी जाएगी. समाजवादी पार्टी ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर लोहिया जयंती समारोहों का आयोजन किया था. मुख्य समारोह लखनऊ में गोमती नगर स्थित डॉ. लोहिया पार्क में हुआ, जहां डॉ. लोहिया की मूर्ति पर
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव, मंत्री शिवपाल सिंह यादव समेत अन्य नेताओं ने माल्यार्पण किया. इस अवसर पर प्रो. राम गोपाल यादव की किताब डॉ. लोहिया और उनका समाजवाद, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की पुस्तिका- पूरे हुए वादे, अब हैं नए इरादे और दीपक मिश्र की किताब-लोहिया, मुलायम व समाजवाद का विमोचन भी हुआ.
इस मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के विकास का उल्लेख किया. समारोह में विधानसभाध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव, पूर्व वरिष्ठ नेता भगवती सिंह, राष्ट्रीय महासचिव किरनमय नन्दा, राज्यसभा सांसद जया बच्चन, रंजना बाजपेयी शादाब फातिमा, अहमद हसन, बलराम यादव, राजेन्द्र चौधरी, डॉ. अशोक बाजपेयी, अवधेश प्रसाद, अरविन्द सिंह गोप, डिम्पल यादव, नरेश उत्तम, राम आसरे विश्वकर्मा, डॉ. मधु गुप्ता, सरोजनी अग्रवाल, राज किशोर मिश्र, रामवृक्ष यादव, जयप्रकाश अंचल, डॉ. हीरा ठाकुर, आशु मलिक, विजय यादव, गीता सिंह, गायत्री प्रसाद प्रजापति, एसआरएस यादव, मनोज पांडेय, सुनील यादव, डॉ. राजपाल कश्यप, राम सागर यादव, आनन्द भदौरिया, बृजेश यादव, मो. एबाद, सोनम सिंह यादव और खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की उल्लेखनीय उपस्थिति रही.
नेताजी को याद आए अमर
लोहिया जयंती के मौके पर अखिलेश सरकार के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को आड़े हाथों लेते वक्त सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को अमर सिंह खूब याद आए. मुलायम ने अमर सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि अमर सिंह हमेशा सही बोलते थे. अमर सिंह पूरी तैयारी के बाद ही बोलते थे. उन्हें चीजों की सही-सही जानकारी रहती थी. वे पढ़ते थे और पूरी जानकारी लेने के बाद ही उसे सामने रखते थे. मुलायम ने कहा कि पार्टी में अब ऐसे नेता नहीं हैं.
अब व्हाट्स-ऐप से समाजवाद सिखाएंगे अखिलेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व्हाट्स-ऐप की तर्ज पर समाजवाद-ऐप लाएंगे. अखिलेश प्रदेश के युवाओं को व्हाट्स-ऐप के जरिए समाजवाद सिखाएंगे. लोहिया के शिष्य मुलायम सिंह यादव से समाजवाद की सीख प्राप्त करने में चूके अखिलेश लोहियावाद की गंभीरता को मोबाइल फोन के माध्यम से सरलीकृत करेंगे. लोहिया जयंती पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को नारेबाजी से ज्यादा लोहिया के विचारों पर ध्यान देने की नसीहत दी और बोले कि जल्दी ही समाजवादी पार्टी मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए युवाओं तक समाजवादी पार्टी की नीतियों और योजनाओं को पहुंचाएगी. युवाओं को व्हाट्स-ऐप के जरिए समाजवादी सिद्धांतों के बारे में बताया जाएगा. अखिलेश ने कहा कि डॉक्टर लोहिया के विचार समाजवादी थे. उन्होंने अपने समाजवादी विचारों से देश की सेवा की. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के समाजवादी विचारों को आगे बढ़ाने का काम किया. अखिलेश ने कहा कि समाजवादी विचारधारा के लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि कैसे लोहिया के विचारों से देश और पार्टी आगे बढ़े.
समाजवादियों को शहीदों की याद नहीं आई
23 मार्च, बलिदान व समाजवाद की एक यादगार प्रेरक तारीख है. 1910 में 23 मार्च के ही दिन समाजवाद को नई परिभाषा देने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया का जन्म हुआ था. डॉ. लोहिया के जन्म के मात्र पांच वर्ष बाद 23 मार्च, 1915 को भारत की आज़ादी के लिए छेड़े गये फरवरी विप्लव के कथित अपराधी रहमत अली, दुदू खान, गनी खान, सूबेदार चिश्ती खान और हाकिम अली को मलय-सिंगापुर में वतन परस्ती के जुर्म में गोली से उड़ा दिया गया. 23 मार्च, 1931 को ही बलिवेदी पर भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव फांसी पर चढ़ा दिये गये थे. वर्ष 1988 में 23 मार्च के ही दिन क्रांति के गीत लिखने वाले अवतार सिंह पाश को आतंकवादियों ने गोलियों से भून दिया. इन ऐतिहासिक घटनाओं ने 23 मार्च को प्रेरणाश्रोत तारीख बना दिया, लेकिन डॉ. लोहिया की लखनऊ में भव्य जयंती मनाने वाले समाजवादियों को 23 मार्च के उन शहीदों की याद नहीं आई, जो जंग ए आज़ादी की बलिवेदी पर हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर इस दुनिया से विदा हो गए. – अरविन्द विद्रोही
लोहियावादियों और अंबेडकरवादियों की ढुलमुल राजनीति
उत्तर प्रदेश की लोहियावादी पार्टी सपा और अंबेडकरवादी पार्टी बसपा, दोनों ही ढुलमुल राजनीति पर चल रही है, इसीलिए जनता के बीच पकड़ खोती जा रही है. यूपीए के कार्यकाल में दोनों पार्टियां कांग्रेस का साथ देती रहीं और प्रदेश में कांग्रेस विरोध की सियासी नौटंकी मंचित करती रहीं. अब केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद सपा और बसपा ने अपना पैंतरा फिर बदल दिया है. प्रदेश में भाजपा की खूब लानत-मलामत होती है, लेकिन केंद्र में ये दोनों पार्टियां भाजपा सरकार का साथ दे रही हैं. मोदी सरकार ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सहयोग से अपने दोनों
महत्वपूर्ण बिल कोयला और खनन बिल पास करा लिए. राजग के पास राज्यसभा में इन बिलों को पास कराने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था, लेकिन सपा और बसपा के चलते उनका काम बन गया. इससे यह साफ हो गया है कि ये दोनों पार्टियां भले ही विपक्ष में हों, लेकिन ठीक उसी तरह भाजपा सरकार की संकटमोचक बनी हैं, जैसे कांग्रेस सरकार के लिए थीं. सपा और बसपा ने कई महत्वपूर्ण मौकों पर कांग्रेस का साथ देने के अलावा अहम बिलों को पास कराने में भी यूपीए सरकार का साथ दिया था. 2008 में अमरीका के साथ परमाणु संधि के दौरान सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने ऐन मौके पर कांग्रेस का समर्थन किया था. उस समय कांग्रेस नाजुक स्थिति में थी. अब भाजपा को समर्थन देने के बाद यह स्थापित हो गया कि दोनों पार्टियां केंद्रीय सत्ता से अलग रह ही नहीं सकतीं. इन बिलों पर भाजपा को बिजू जनता दल, तृणमूल कांग्रेस और अनाद्रमुक का भी समर्थन मिला, लेकिन भाजपा सरकार को समर्थन देने की सपा और बसपा की राजनीति का अवसरवादी पक्ष उत्तर प्रदेश के लोगों को हैरान भी करता है और नाराज भी. उत्तर प्रदेश में ये दोनों दल भाजपा को ही अपना मजबूत प्रतिद्वंद्वी दिखाते हैं. पिछले साल लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूपी की 80 में 73 सीटों पर जीत हासिल की थी. सपा पांच सीटें लाई, जबकि बसपा का तो सफाया हो गया था. जानकार यह भी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार को केंद्र से मदद दिलाने और बेटे का सियासी रास्ता साफ रखने के लिए सपा ऐसा कर रही है. बिजली के लिए खनन और कोयला जैसे मसले असलियत में कुछ भी नहीं हैं.