गुजरात के मानवाधिकारों हनन के मामलों से लेकर, झुग्गी झोपड़ी वाले लोगों से लेकर, मजदूरों के सवाल और 2002 के बाद, नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ! जो सरकार पुरस्कृत दंगे किए गए ! इसमें मारें जानेवाले लोगों से लेकर, अपने पारंपरिक घरों से खदेडे गए लोगों से लेकर गोधरा कांड के नाम पर बेकसूर लोगों को गिरफ्तार करके ! उन्हें गैरकानूनी तरीके से बंद करने की नरेंद्र मोदी की करतुत के खिलाफ ! अपनी जान हथेली पर लेकर ( क्योंकि उस समय नरेंद्र मोदी अपने कारिंदो के द्वारा, पूरे कोर्ट को हजारों की संख्या में घेर कर रखने का कारनामा करते थे ! इसलिए कई केसेस को गुजरात के बाहरी कोर्ट में भेजने पडे लेकिन उसके बावजूद जस्टिस लोया की मृत्यु एक संशयास्पद मृत्यू मानी जा रही है ! )

गोधरा के कोर्ट में अपने सहयोगि वकिलो की टिम के साथ, पहले साधे कपडों में ! और कोर्ट में पहुचने के बाद कोर्टरुम मे ही काला कोट पहनकर कोर्ट के कामकाज में भाग लेने के बाद, फिर गोधरा से वापस दो सौ किलोमीटर दूर अहमदाबाद वापस आने का पूरा वर्णन, मै जब उनके साथ गुजरात में विभिन्न जगहों में प्रवास तथा उनके अहमदाबाद के आवास पर ठहरने के दौरान मुकुलभाईने अपने मुंह से मुझे बताया है ! अगर मेरा थोड़ा भी फिल्म इंडस्ट्री के साथ संबंध होता तो, मैने मुकुलभाईने अपने सहयोगी वकिलो के साथ अपनी जान हथेली पर रखकर, जो कानूनी लड़ाई लड़ने की कोशिश की है ! वह भारत की न्यायिक व्यवस्था में अनूठा उदाहरण है !
अहमदाबाद के कोर्ट से लेकर गोधरा तथा अन्य जगहों पर जाकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जो कानूनी तथा मानसिक साहस दिलाने का प्रयास किया है ! उसे देखते हुए मै जरूर उनकी इस जद्दोजहद पर फिल्म बननी चाहिए इस नतीजे पर आया हूँ ! जिससे नए जनरेशन के वकील और एक्टिविस्ट लोगों को कुछ प्रेरणा मिले !


क्योंकि नरेंद्र मोदी इतना बड़ा कांड करने के बाद प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होते है ! और उसके बाद अपनी छवि बनाने के लिए जिस तरह की कमर्शियल फिल्मों को खुद नरेंद्र मोदी ने ही प्रमोट किया है ! यह कश्मीर फाइल्स से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक, मंदिर के उपर हमला से लेकर, केरला स्टोरी, गोडसे और उसके गुरु सावरकर तथा सभी हिंदुत्ववादी मानसिकता बनाने के लिए किए जा रहे नाटक, सिनेमा तथा सेफ्रोन डिजिटल आर्मी के द्वारा सोशल मीडिया पर किया जा रहा प्रचार-प्रसार सभी की कोशिश सांप्रदायिक ध्रविकरण करना ! यही एकमात्र उद्देश्य है !


और सबसे हैरानी की बात नरेंद्र मोदी खुद इन सब गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं ! इस काम के लिए उन्होंने लाखो लोगों को 2007 में ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ! एक थायलंड की एजेंसी को हायर करते हुए शुरुआत की है ! इसी लिये महात्मा गाँधी का ब्रांड कमर्शियल ढंग से प्रचार-प्रसार नही किया गया यह बात नरेंद्र मोदी बोल गए हैं ! क्योंकि नरेंद्र मोदी खुद इस प्रकार के प्रचार-प्रसार का उपयोग अपनी छवि बनाने के लिए करते हैं ! उसमें दिन में दस बार कपडे बदलने से लेकर, दाढी तथा भौवे के बालों को सजाने का भी समावेश है !
सत्तर तथा अस्सी वाले दशक में जस्टिस कृष्ण अय्यर, बैरिस्टर तारकुंडे,हैदराबाद के एडवोकेट के. जी. कन्नाबरियन, जस्टिस सावंत, सुरेश होस्पेट, अभी हाल ही में एडवोकेट प्रशांत भूषण, इंदिरा जयसिंग, नंदिता हक्सर तिस्ता सेटलवाड, मिहीर देसाई, कपिल सिब्बल, यह कुछ चंद लोगों की वजह से भारत की न्यायिक व्यवस्था में थोडी आशा बचीं हुई है !


अन्यथा नरेंद्र मोदी ने 2002 के बाद गुजरात की न्यायिक व्यवस्था की जो हालत बना दी थी ! वह संपूर्ण भारत की बनाने के लिए तूले हुए हैं ! इसलिए नरेंद्र मोदी को वर्तमान न्यायाधीश चुनने की प्रक्रिया में बदलाव करने की कोशिश कर रहे हैं ! हो सकता आने वाले समय में वह इसमें कामयाब हो जाते हैं ! तो कोई अचरज नही होना चाहिए ! क्योंकि उन्हें सपोर्ट देने वाले नितिश कुमार और चंद्राबाबू नायडू के अपने खुद के अलग- हिसाब है !
पिछले लोकसभा में लगभग पूरा विपक्ष सभागार से बाहर कर दिया ! और तथाकथित भारतीय दंड संहिता में बदलाव कर के, इसी महीने की पहली तारीख से लागू भी कर दिया ! वैसे ही चुनाव आयोग की नियुक्ति की प्रक्रिया से मुख्य न्यायाधीश को निकाल बाहर किया ! और सिर्फ विरोधी दल का नेता और अन्य चुनने वाले सदस्यों में नरेंद्र मोदी के साथ उनके मंत्रिमंडल के एक और सदस्य ! इस तरह से एकतरफ़ा फैसले लेकर, हमारी सभी संविधानिक संस्थाओं को सिर्फ सरकार के मन मर्जी से चलाने के हिसाब से इस्तेमाल किया जा रहा है ! ऐसे समय में हमारे अहमदाबाद के विलक्षण हिम्मत वाले मित्र एडवोकेट मुकुल सिन्हा की बरबस याद आ रही है ! मुकुलभाई की स्मृति को क्रांतिकारी अभिवादन !

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