मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की आंच अब प्रदेश के मुख्यमंत्री और सुशासन बाबू के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंच गई है। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले कोर्ट ने मामले में सीएम नीतीश कुमार और दो अन्य नौकरशाहों के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने ये आदेश एक याचिकाकर्ता अश्विनी द्वारा दायर किए गए एक आवेदन कि सुनवाई के बाद आदेश दिया है। साल 2018 में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम सेक्स स्कैंडल का मामला पूरे देश में बेहद चर्चा में रहा था। इस आश्रय गृह में 30 से अधिक लड़कियों के साथ कथित रुप से बलात्कार किया गया था।
मामले में याचिकाकर्ता अश्विनी मुजफ्फरपुर के उसी शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों को नशीली दवाइयों का इंजेक्शन लगाकर उनका सेक्शुअली इस्तेमाल करता था। अश्विनी ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि इस मामले की जांच में सीबीआई सबूतों के साथ खिलवाड़ कर रही है। इसके साथ ही इस याचिका में उसने मुजफ्फरपुर के पूर्व डीएम धर्मेंद्र सिंह, वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर अतुल कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर के पूर्व डिवीजनल कमिश्नर, सामाजिक कल्याण विभाग के वर्तमान सचिव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम का भी जिक्र किया था।
मामले कि सुनवाई करते हुए पॉक्सो जज मनोज कुमार ने सीबीआई से इन उपरोक्त नामों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। बता दें कि बिहार के इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच का जिम्मा 7 फरवरी को ही दिल्ली के साकेत स्थित पॉक्सो कोर्ट को दे दिया गया था। मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होनी है।
इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी नीतीश सरकार को जमकर फटकार लगाई थी और कहा था कि राज्य सरकार मामले में सही एफआईआर फाइल करने में असफल रही। साथ कोर्ट ने सरकार को 24 घंटे की मोहलत देते हुए आईपीसी की धारा 377 (रेप) और POCSO एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि अगर अपराध हुआ था तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और POCSO एक्ट के तहत अभी तक मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप (बिहार सरकार) क्या कर रहे हैं? यह शर्मनाक है। बच्चों के साथ अप्राकृतिक यौन शोषण किया जाता है। आप कहते हैं ऐसा नहीं है। आप यह कैसे कर सकते हैं। यह अमानवीय है।