भीड़ रोकने किया गया शहर सील
दुनियाभर ने जताया शोक

भोपाल। भोपाल और देश भर में आदर और सम्मान के साथ जाने जाने वाले धार्मिक विद्वान, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा जमीयत उलेमा हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हजरत मौलाना मुफ़्ती अब्दुर्रज़्ज़ाक़ खान साहब का बुधवार रात 10.30 बजे लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वह लगभग 95 वर्ष के थे। हज़रत के जनाज़े की नमाज गुरुवार दोपहर 2 बजे मस्जिद तर्जुमे वाली में अदा की गई और बड़े बाग क़ब्रिस्तान में आपको दफ़्न किया गया। मुफ़्ती साहब अपने पीछे एक भरा पूरा ख़ानदान छोड़ कर गए हैं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि हजरत कई प्रकार की बीमारियों से लड़ते हुए

बुधवार रात अंतिम सांस ली।

मुस्लिम समाज मध्यप्रदेश के संयोजक एवं प्रभारी, नूरउल्लाह यूसुफ़ जई ने बताया कि मुफ़्ती साहब को सभी धर्मों के लोगों में बड़ी इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता था। उन्होंने कहा कि रज़्ज़ाक़ साहब देश और प्रदेश की कई सरकारी संस्थाओं के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। उनकी गिनती देश के बड़े धार्मिक विद्वानों में होती थी।भोपाल ही नहीं बल्कि पुरे मध्यप्रदेश तथा देश के इस्लामिक विद्वान उनकी संस्था को मस्जिद एवं मदरसा तर्जुमे वाली के नाम से जानते हैं। फ़िलहाल मुफ़्ती साहब के छोटे बेटे मौलाना मोहम्मद अहमद साहब मदरसे की ज़िम्मेदारी सँभालते हैं।

राजकीय सम्मान के साथ हुई अंतिम विदाई

गौरतलब है कि दारुल उलूम देवबंद से फ़ारिग़ मुफ्ती अब्दुर्रजाक साहब एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजों के सामने कभी घुटने नहीं टेके, साथ ही विभिन्न देश एवं प्रदेश की सरकारी संस्थाओं में वे बतौर मेंबर भी रहे थे, लिहाजा नमाजे जनाजा के साथ ही मस्जिद तर्जुमे वाली में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया जिसके बाद बड़ा बाग़ कब्रिस्तान में राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे झंडे को उनके पार्थिव शरीर पर रखकर पुनः उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया ततपश्चात नम आंखों के साथ भोपाल सहित समस्त देशवासियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी,

मुख्यमंत्री सहित कई हस्तियों ने शोक संदेश के जरिए दी अंतिम विदाई, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, सज्जन वर्मा, सांसद नकुल नाथ, शायर इमरान प्रतापगढ़ी सहित कई सांसदों विधायकों वा देशभर से लाखों की संख्या में ट्विटर व फेसबुक आदि पर शोक व्यक्त किया।

मुफ़्ती रज़्ज़ाक़ साहब के बेटे ने पढ़ाई नमाज़ के जनाज़ा,

मुफ्ती अब्दुल रजाक साहब की नमाजे जनाजा उनके बेटे मौलाना अहमद साहब ने पढ़ाई, साथ ही उनके अन्य बेटे अब्दुल अजीज, अब्दुल मजीद सालार व साहबज़ादा अब्दुर्रशीद सहित सभी बेटे व करीबी भी उनकी अंतिम विदाई के समय वहां मौजूद रहे, जबकि तदफीन के बाद दुआ मुफ्ती ज़ियाउल्लाह साहब व मौलाना गाज़ी वली साहब ने कराई,

भीड़ को नियंत्रित करने रास्तों को रोका

मुफ़्ती अब्दुर्रज्जाक साहब के नवासे गाज़ी अब्दुल समद व उनके पोते साहबज़ादे अब्दुल रहमान ने बताया कि मुफ़्ती अब्दुर्रजाक साहब भोपाल शहर व प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर की एक जानी मानी शख्सियत थे, जिनके जनाजे में शरीक होने की तमन्ना हर कोई कर रहा था, लिहाज़ा जनाजे में कोरोना नियमों को मद्देनजर रखते हुए स्थानीय प्रशासन ने भोपाल आने वाले लगभग सभी रास्तों को शहर की सीमाओं से लगभग सौ किलोमीटर पहले ही बंद कर दिया था, जिससे बाहर के लोग खासकर मुस्लिम समुदाय भोपाल मैं दाखिल ना हो पाए, वही भोपाल के स्थानीय लोगों को रोकने के लिए भी प्रशासन ने शहर के अंदर लगभग सभी प्रमुख रास्तों को बंद कर रखा था। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने ये कदम कोरोना गाइडलाइंस को मद्दे नजर रखते हुए उठाया।

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