पूर्वी चंपारण ज़िले के मोतिहारी एवं पीपरा कोठी प्रखंड को मिलाकर बनी मोतिहारी विधानसभा सीट भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. मोतिहारी पूर्वी चंपारण ज़िले एवं संसदीय क्षेत्र का मुख्यालय है. भारत सरकार के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह यहां से सांसद हैं. 2005 से 2010 तक के तीन विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा जीतती रही है, लेकिन बदले राजनीतिक माहौल में यह सीट निकालना भाजपा के लिए एक चुनौती जैसा है. इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए जदयू गठबंधन भी पूरी ताकत लगाएगा. भाजपा के प्रमोद कुमार ने फरवरी 2005 एवं अक्टूबर 2005 के चुनाव में राजद प्रत्याशी रमा देवी को हराया था. रमा देवी वर्तमान में शिवहर से भाजपा की सांसद हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में प्रमोद कुमार ने राजद के राजेश कुमार गुप्ता को परास्त किया. तीनों चुनाव में भाजपा और जदयू साथ थे, लेकिन इस बार स्थितियां भिन्न हैं. भाजपा और जदयू आमने-सामने हैं.
क्षेत्र में कलवार (जायसवाल) मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. कलवार भाजपा के परंपरागत वोट नहीं रहे. इसीलिए 1985 से 1995 तक यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के त्रिवेणी तिवारी चुने गए. तीनों ही बार भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा. 2005 और 2010 के चुनाव में जदयू के साथ होने एवं तत्कालीन घटनाक्रम का ़फायदा भाजपा को मिला. 2015 का विधानसभा चुनाव कई कारणों से दिलचस्प होगा. इस बार पार्टियों की स्थिति भिन्न है. गठबंधन का रूप बदल गया है. भाजपा के साथ लोजपा है, तो जदयू ने राजद और कांग्रेस से हाथ मिला लिया है. गठबंधन के कारण भावी प्रत्याशियों में टिकट को लेकर संशय बना हुआ है. जदयू-राजद गठबंधन के तहत मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र के राजद में जाने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि इस सीट पर पिछले कई चुनावों में राजद ही दूसरे स्थान पर रहा है. मोतिहारी सीट से राजद के कई नेता भाग्य आजमाना चाहते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा चुके विनोद कुमार श्रीवास्तव विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवारी के दावेदार हैं. मोतिहारी लोकसभा चुनाव में वह दूसरे स्थान पर थे. मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र से उन्हें 45,000 से ज़्यादा वोट मिले थे. राजद नेताओं का मानना है कि ये वोट मोदी लहर के दौरान आए थे. इस बार जदयू एवं कांग्रेस का साथ भी है. मोतिहारी में कायस्थों के समर्थन के साथ-साथ राजद के परंपरागत यादव-मुस्लिम वोट भी मिलेंगे. विनोद श्रीवास्तव कहते हैं कि अगर आला कमान का आदेश मिला, तो चुनाव लड़ूंगा.
मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र से राजद के टिकट के एक अन्य प्रबल दावेदार ई. मनोज कुमार गुप्ता कहते हैं कि वैश्य-कलवार बाहुल्य इस क्षेत्र में कलवार उम्मीदवार ही विजय दिला सकता है. मनोज टिकट और जीत के प्रति आश्वस्त हैं. मनोज कलवार हैं. वह जातीय वोटों के साथ यादव एवं मुस्लिम वोटों को अपना मान रहे हैं. बकौल मनोज, उच्च वर्ग और प्रबुद्ध जनों में भी उनकी अच्छी पकड़ है. वहीं आम जनता भी बदलाव चाहती है. राजद के प्रदेश महासचिव मुख्तार आलम ने स्पष्ट कहा कि किसी भी बाहरी उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया जाएगा. ज़िला पार्षद गुलशन बेगम एवं पीपरा कोठी के प्रखंड प्रमुख ने भी बाहरी नेताओं के विरोध का ऐलान करते हुए स्थानीय नेता के समर्थन की बात कही. मोतिहारी में निषादों की संख्या भी निर्णायक है. सहनी समाज से ओम प्रकाश सहनी भी जदयू के टिकट के दावेदार हैं. गत लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने लड़ने का मन बनाया था, लेकिन टिकट नहीं मिल सका था. तब उन्हें विधानसभा चुनाव में स्थान देने का आश्वासन मिला था. वह सहनी समाज के साथ गठबंधन के वोटों की बदौलत जीत का दावा करते हैं.
जदयू के टिकट के लिए युवा जदयू के प्रदेश महासचिव एवं ज़िला प्रवक्ता विशाल कुमार शाह दावेदारी कर रहे हैं. शाह नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय विश्वम्भर नाथ शाह के पुत्र हैं और कलवार हैं. सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने के कारण सभी वर्गों में उनकी पकड़ है. नगर अध्यक्ष कृष्णा कश्यप के अनुसार, यदि पार्टी विशाल शाह को टिकट देती है, तो जीत सुनिश्चित है. जदयू हर मोर्चे पर पूरी तैयारी कर रहा है. इसी के तहत प्रमोद सिन्हा को हटाकर प्रो. दिनेश चंद्र प्रसाद को दोबारा ज़िलाध्यक्ष बनाया गया है. कांग्रेस भी चुनावी तैयारी में जुटी हुई है. कांग्रेस के ज़िलाध्यक्ष शैलेंद्र शुक्ल के अनुसार, सभी सीटों पर तैयारी चल रही है और वर्तमान गठबंधन केवल विधानसभा चुनाव के लिए है. कांग्रेस से टिकट की दावेदारी विजय कुमार जायसवाल उर्फ मुनमुन कर रहे हैं. वह वर्तमान में ज़िला उपाध्यक्ष हैं. आम आदमी पार्टी के ज्ञानेश्वर गौतम उर्फ मुकेश चौधरी भी चुनावी समर में कूदने की तैयारी में हैं. आम आदमी पार्टी बिहार में कुछ सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. बकौल चौधरी, लोगों का मानना है कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने आम आदमी को छला है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में दिखा दिया कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो समस्याओं का समाधान हो सकता है.
उधर भाजपा नेत्री निर्मला सहनी ने आवाज़ बुलंद की है कि पार्टी महिलाओं को भी मौक़ा दे. वह वर्तमान में भाजपा की ज़िला मंत्री हैं और हरसिद्धि की ज़िला पार्षद रह चुकी हैं. अगर पार्टी ने हरी झंडी दी, तो वह चुनाव लड़ सकती हैं. वर्तमान भाजपा विधायक प्रमोद कुमार टिकट और जीत को लेकर आश्वस्त हैं. उनका विश्वास है कि उनके द्वारा कराए गए कार्यों के कारण जनता उनका समर्थन करेगी. कुल मिलाकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं. उनके दावे कितने सही साबित होंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन यह भी सत्य है कि कुछ मसले ऐसे हैं, जिन्होंने शासन-प्रशासन से आम लोगों का विश्वास खत्म कर दिया है. केंद्रीय विश्वविद्यालय के आज तक न खुलने और मोतिहारी चीनी मिल की बंदी से जनता का भरोसा काफी हद तक डिगा है.