झारखंड में हुए निवेशकों के सम्मेलन की सफलता से मुख्यमंत्री रघुवर दास अतिउत्साहित नजर आ रहे हैं. ‘मोमेंटम झारखंड’ में 210 कंपनियों के द्वारा 3 लाख 11 हजार करोड़ से अधिक के निवेश का एमओयू साइन हुआ. मुख्यमंत्री का दावा है कि इस सफल कार्यक्रम से झारखंड ने पूरी दुनिया में अपनी छवि बदली है, निवेशक गदगद दिखे और उन्होंने निवेश की प्रतिबद्धता जताई है.
मेक इन इंडिया में झारखंड की अहम भूमिका होगी, क्योंकि झारखंड अपनी सरल नीतियों और संसाधनों के साथ बदलाव की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है. हालांकि यहां की जनता में अभी भी कोई उम्मीद नहीं जगी है. आम लोगों का यह मानना है कि इससे पूर्व अर्जुन मुंडा एवं हेमन्त सोरेन की सरकार ने भी लगभग चालीस लाख करोड़ का एमओयू किया था, मित्तल जैसे उद्योगपतियों के साथ उद्योग लगाने के लिए करार हुआ था, लेकिन एक भी उद्योग जमीन पर नहीं उतर सका और न ही लोगों को रोजगार मुहैया हो सका.
इसीलिए लोगों का मानना है कि ‘मोमेंटम झारखंड’ भी एक हसीन सपना है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले यह सपना अर्जुन मुंडा एवं हेमंत सोरेन ने दिखाया था और अब रघुवर दास यह सपना दिखा रहे हैं. वैसे झारखंड में उद्योग लगाना एक बड़ी चुनौती है. सबसे बड़ी चुनौती तो जमीन की उपलब्धता ही है. अधिसूचित क्षेत्र होने के कारण राज्य में सीएनटी एसपीटी एक्ट लागू है और इस वजह से कंपनियों को जमीन पर उतारना एक बड़ी चुनौती होती है. आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाले अभी से ही शोर मचाने लगे हैं कि अगर ये कंपनियां झारखंड आईं, तो आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन से तो वंचित होना ही होगा.
लगभग तीस लाख से भी अधिक लोगों को पलायन का दंश झेलना पड़ेगा और आदिवासी जमीन विहीन हो जाएंगे. ऐसे में राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए और उद्योगपतियों को जमीन कैसे मुहैया कराई जाए. दरअसल, इससे पूर्व अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में मित्तल एवं अंबानी समूह ने जब सरकार के साथ एमओयू कर उद्योग बिठाने के लिए जमीन की तलाश शुरू की, तो इनलोगों को जमीन ही नहीं मिला. राज्य सरकार भी इनलोगों को जमीन नहीं दिला सकी, फलतः इन बड़े औद्योगिक घरानों ने झारखंड में उद्योग बैठाने की अपनी योजना ही रद्द कर दी. कई अन्य औद्योगिक घरानों के सामने भी यह समस्या आई.
राज्य सरकार ने देश-विदेश के निवेशकों को आकर्षित करने के लिए देश के विभिन्न महानगरों में रोड शो किया, विदेशों में भी रोड शो हुए, साथ ही निवेशकों के साथ कई बैठकें हुईं. उद्योगपतियों को झारखंड में प्रचुर खनिज संपदा के साथ ही बुनियादी चीजों की उपलब्धता बताई गई. राज्य सरकार ने निवेशकों को यह भी भरोसा दिलाया कि उन्हें हर संभव सहयोग दिया जाएगा. 16-17 फरवरी को ‘मोमेंटम झारखंड’ का आयोजन किया गया. टाटा, रिलायंस, बॉम्बे-डाइंग एवं देश के जाने-माने उद्योगपति सहित 11 हजार से अधिक निवेशकों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया, जिसमें 600 से भी अधिक विदेशी निवेशक थे.
इस आयोजन के लिए रांची को दुल्हन की तरह सजाया गया था. आयोजन की सफलता के लिए सरकारी खजाने से लगभग पांच सौ करोड़ रुपये खर्च किए गए. जाहिर है कि अगर रघुवर सरकार की यह योजना सफल रही, तो लगभग 6 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा एवं पूरे राज्य में विकास की बयार बहेगी. इस सम्मेलन में 210 कंपनियों ने लगभग चार लाख करोड़ के निवेश पर एमओयू किया. ‘मोमेंटम झारखंड’ के बाद व्यवसायिक जगत में दो-तीन शुभ संकेत देखने को मिल रहे हैं. ये संकेत अगर बरकरार रहे, तो निवेशकों के लिए झारखंड एक बेहतर मुकाम साबित हो सकता है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है और अधिकारियों को यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि निवेशकों को कोई समस्या नहीं आने दें और उन्हें हर सुविधा मुहैया कराई जाए.
रघुवर दास आत्मविश्र्वास के साथ कहते हैं कि झारखंड निवेश के मामले में पूरे देश में इतिहास रचेगा. पूरे राज्य में औद्योगिक माहौल बना है और सरकार औद्योगिक घरानों के साथ हुए एमओयू को जमीन पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. निवेशकों को कोई परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए हर विभाग तत्पर है. मुख्यमंत्री का मानना है कि इस बार हुए एमओयू को जमीन पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. निवेशकों के लिए उनका दरवाजा हमेशा खुला हुआ है और उनलोगों की समस्याओं का ऑन स्पॉट समाधान किया जाएगा.
अधिकारियों को भी इस संबंध में सख्त निर्देश दिए गए है और कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. वे स्वयं हर माह हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे. सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाएगा. विपक्षी पार्टियों खासकर झारखंड नामधारी पार्टियों पर हमला बोलते हुए रघुवर दास ने कहा कि आदिवासियों का विकास नहीं चाहने वाले ही आदिवासियों को बरगलाने का काम कर रहे हैं. इनलोगों को भय है कि अगर आदिवासियों का विकास हो जाएगा, इनकी राजनीति खत्म हो जाएगी. उधर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार भाजपा समर्थक उद्योगपतियों को झारखंड में स्थापित करना चाहती है.
विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि जल, जंगल, जमीन आदिवासियों की अस्मिता एवं संस्कृति की पहचान है, लेकिन भाजपा सरकार आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने पर उतारु है. एक साजिश के तहत विकास के नाम पर जमीन लूटकर उद्योगपतियों को देने का काम किया जा रहा है, इसके कारण आदिवासियों की पहचान मिट जाएगी और तीस लाख से भी अधिक आदिवासी परिवार बेघर हो जाएंगे और उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी. उद्योगपतियों को कौड़ियों के भाव में जमीन देने के लिए ही सीएनटी एवं एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया है. इस संशोधन का पूरे झारखंड में विरोध हो रहा है और राजनीतिक दल एवं कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.
वैसे रघुवर सरकार ने ‘मोमेंटम झारखंड’ को तो सफल बना दिया, पर अब अधिकारियों की बारी है. हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि थोड़ी सी अनदेखी हुई, तो परिणाम नकारात्मक होगा, वैसा ही जैसा पूर्व में हुए ढेरों मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग का हुआ था. राज्य के लोग खासकर व्यापार जगत पूर्व के एमओयू की असफलता को भूल नहीं पाया है और यही बात है कि इस बार भी इसकी सफलता को लेकर लोगों के मन में एक आशंका है. निवेश के लिए पहली आवश्यकता है, जमीन की उपलब्धता और यह फिलहाल सरकार के पास नहीं है. आमलोगों से जमीन लेने में व्यापक पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ता है.
कंपनियां अगर खुद जमीन लेने की कोशिश करती है, तो उसे विरोध एवं गंदी राजनीति का सामना करना पड़ेगा. झारखंड में पहले भी निवेश की कई कोशिशें हुईं, पर इसका परिणाम गड़बड़ ही रहा है. अभिजीत और एस्सार ग्रुप इसके ताजा उदाहरण है. ‘मोमेंटम झारखंड’ में तीन लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव आए हैं. इनमें से कुछ भी कंपनियां अगर निवेश करती हैं, तो यह झारखंड के लिए बड़ी बात होगी और रघुवर सरकार के लिए भी उपलब्धि. अब देखना है कि झारखंड में इस बार एमओयू जमीन पर उतरता है या फिर इस बार भी पहले की तरह ही कागजों में सिमट कर रह जाता है.
औद्योगिक विकास पर सवालिया निशान
झारखंड में पूरे तामझाम के साथ ‘मोमेंटम झारखंड’ का आयोजन तो हो गया, लेकिन अभी भी आशंका बनी हुई है कि क्या झारखंड में उद्योग स्थापित हो पाएंगे. अधिसूचित क्षेत्र होने के कारण जमीन की उपलब्धता एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जो औद्योगिकीकरण के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. औद्योगिक घरानों और रैयतों के साथ हुए जमीन विवाद में दर्जनों बार गोलीकांड की घटना हुई और कई लोग इस हिंसक घटना में मारे गए. एनएचपीसी को अपना महत्वाकांक्षी कोयलकारों प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा. नेशनल हाइडल पावर प्रोजेक्ट ने अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी तपकरा गोलीकांड के कारण अपना बोरिया बिस्तर समेट कर प्रोजेक्ट बंद करने की घोषणा कर दी. हजारीबाग में एनटीपीसी को अपने प्रोजेक्ट के लिए अभी तक रैयतों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. कई बार यहां भी हिंसक झड़पें हुई हैं. अभी हाल ही में हुए गोलीकांड में आधा दर्जन लोगों की जानें चली गई थी. रामगढ़ जिले के गोला में भी एक पावर प्रोजेक्ट पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया था, यहां भी हिंसक झड़पें हुईं और कई लोगों की जानें चली गईं. मित्तल समूह ने एमओयू के बाद जमीन की तलाश की. रांची से सटे तोरपा में जमीन भी चिन्हित हुए. भूमि मालिकों को जमीन की दोगुनी कीमत दी जा रही थी, पर यहां भी स्थानीय लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया, परिणाम यह हुआ कि मित्तल को अपना कॉरपोरेट ऑफिस बंद करना पड़ा और उन्होंने झारखंड से अपना मुंह मोड़ लिया. कुछ यही हाल अडानी, एस्सार, आरपीजी समूह एवं अभिजीत ग्रुप के साथ भी हो रहा है और ये लोग भी कारोबार समेटने के मूड में हैं. अंबानी ने तो पावर प्रोजेक्ट से एक तरह से मुंह ही मोड़ लिया है. झारखंड में बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है, पूरा क्षेत्र नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहा है और विधि-व्यवस्था एक बड़ी समस्या बनी हुई है, ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि औद्योगिक घराने एमओयू को जमीन पर उतारने में कितनी रुचि दिखाते हैं. वैसे झारखंड में पहली बार बहुमत की सरकार है और मुख्यमंत्री रघुवर दास दृढ़ इच्छाशक्ति भी रखते हैं, तो यह संभव है कि एमओयू को सफल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.
किसने क्या कहा…
ज़मीन की कोई कमी नहीं होगी – रघुवर
मुख्यमंत्री रघुवर दास पूरे आत्मविश्वास के साथ यह दावा कर रहे हैं कि उद्यमियों को जमीन की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. हर तरह के उद्योगों के लिए जमीन चिन्हित करने का काम किया जा रहा है. औद्योगिक घरानों को जमीन की कोई कमी नहीं हो, इसके लिए लैण्ड बैंक की स्थापना की गई है. सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन आदिवासियों, मूलवासियों के हित में किया गया है. इस संशोधन के तहत आदिवासियों की जमीन भी नहीं बिकेगी और उनलोगों को जमीन के एवज में पैसा भी मिलता रहेगा.
मेक इन इंडिया में झारखंड की अहम भूमिका होगी- वैंकैया नायडू
‘मोमेंटम झारखंड’ में शिरकत करने आये केन्द्रीय मंत्री वैंकैया नायडू का मानना है कि मेक इन इंडिया की सफलता में झारखंड की अहम भूमिका होगी, क्योंकि झारखंड अपनी नीतियों के कारण तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, झारखंड बीमारू प्रदेश से विकास की ओर अग्रसर होता हुआ प्रदेश बन गया है. झारखंड में खनिज एवं वन संपदा की प्रचुरता है और यहां के लोग मेहनती हैं, ऐसे में झारखंड के विकास में संदेह की गुंजाईश ही कहां बनती है.
नए भारत का हिस्सा बनेगा झारखंड – रतन टाटा
टाटा समूह के रतन टाटा ने कहा कि झारखंड में अपार संभावनाएं हैं. यहां वह हर चीज है, जो किसी औद्योगिक घराने को चाहिए. ‘मोमेंटम झारखंड’ के आयोजन से ऐसा अहसास हुआ कि झारखंड नए भारत का हिस्सा बनने को तैयार है. झारखंड खनिज संपदा के मामले में समृद्ध है और राज्य सरकार भी निवेशकों के लिए हरसंभव सहयोग देने को तैयार है, इसलिए औद्योगिक घरानों को झारखंड जैसे राज्यों के अवसर का इस्तेमाल करना चाहिए. टाटा ने भी अपना कार्यक्षेत्र झारखंड को ही चुना था.
आदिवासियों की ज़मीन नहीं छीनने देंगे- हेमंत सोरेन
विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुवर सरकार आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त करने की कोशिश में है. यह आदिवासियों के हक की लड़ाई है. इसके लिए हमारी पार्टी किसी भी स्तर तक उतरने को तैयार है. राज्य सरकार की तानाशाही के विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा, इसके लिए गैर भाजपाई दलों से भी समर्थन लिया जाएगा. हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार को यह सुझाव दिया कि वे राज्य के गैर-मजरुआ जमीन एवं अन्य को चिन्हित कर लैंड बैंक बनाए और उद्योग के लिए इसी जमीन का आवंटन औद्योगिक घरानों को करे.