प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों का आकर्षण अब समाप्त हो रहा है. मोदी की सभाओं में भीड़ की कम आमद और भाषण के बीच ही भीड़ का उखड़ना, राजनीतिकों को गहराई से सोचने और इसका विश्लेषण करने पर विवश कर रहा है. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों की प्रामाणिकता नहीं रही, इसलिए लोग अब उनका भाषण सुनने में रुचि नहीं ले रहे हैं. यह कोई अचानक नहीं हुआ है. पिछले चार साल से मोदी के भाषणों को तथ्यपरक सूचनाओं की कसौटी पर घिस कर देखा जाता रहा और उनके बयान तथ्यहीन और खोटे साबित होते रहे. मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र में ही लोग उन्हें सुन नहीं रहे. अब मोदी लोगों को खुशामद करके उन्हें सभा में रुकने की प्रार्थना करने लगे हैं.
बनारस में पिछले दिनों ऐसा ही हुआ. सभा के बीच ही लोगों के उठ कर जाने से प्रधानमंत्री और बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी काफी परेशान हो उठे. मोदी ने लोगों से बैठ जाने की चिरौरी की, लेकिन लोग नहीं माने. मोदी का बनारस दौरा उनके जन्मदिन को देख कर तय किया गया था. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा आयोजित थी. लोकसभा चुनाव के पहले की अहम जनसभा मानते हुए भाजपा ने सभा में भीड़ जुटाने की काफी जद्दोजहद की थी. सभा करीब डेढ़ घंटे देर से शुरू हुई. देर से सभा शुरू करने के पीछे भी यही कारण था कि आयोजक भीड़ जुटने का इंतजार कर रहे थे.
लोगों के आने की रफ्तार धीमी थी. भीड़ के प्रायोजन की झलक साफ दिख रही थी. प्रधानमंत्री का भाषण अभी चल ही रहा था कि लोग बीच में ही उठ कर जाने लगे. भीड़ को चलता देख कर प्रधानमंत्री भी हक्के-बक्के हो गए. लोगों ने मोदी के संबोधन की शुरुआत सुनी, पर जैसे ही मोदी उपलब्धियों के बखान और उसकी फेहरिस्त गिनाने पर उतरे, लोग उठ कर चल पड़े. राजनीतिक समीक्षकों और सभास्थल पर मौजूद पत्रकारों का भी कहना है कि पूरी सभा ने उपलब्धियों का बखान सुनने से जैसे साफ-साफ इन्कार कर दिया. मोदी का भाषण शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही पंडाल खाली होना शुरू हो गया. भाजपाई कार्यकर्ता और स्वयंसेवक लोगों को बैठाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कोई सुन ही नहीं रहा था. पंडाल की पिछली कतार से लोगों का बाहर निकलना शुरू हुआ और वह पहली कतार तक पहुंच गया. प्रधानमंत्री मोदी के सामने से लोग उठ-उठ कर जा रहे थे.
मोदी को भी यह इतना नागवार लगा कि उन्होंने लोगों से अपील करनी शुरू कर दी कि वे सभा छोड़ कर न जाएं. मोदी ने जनता से बनारसी अंदाज में भी रुकने को कहा, ‘बइठ जा भइया’, लेकिन ‘भइया’ सब कहां सुनने वाले थे! मोदी ने यह संवाद कई बार दोहराया, लेकिन लोगों ने उनकी बोली अनसुनी कर दी और पंडाल छोड़ कर जाते रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर हताशा साफ-साफ देखी जा सकती थी. बाकी समय मोदी ने किसी तरह उपलब्धियां गिनाते हुए, पानी पीते हुए और पसीना पोछते हुए काटे. आखिर में यह भी कहा, ‘आप ही मेरे मालिक हैं, आप ही हाईकमान हैं.’ लेकिन ‘हाईकमान’ तो तब तक जा चुका था.
प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान उठ कर जाती एक महिला ने कहा, ‘जब सबै जात हौ त हम रुक के का करबै.’ छात्राओं के एक समूह में से आवाज आई कि पीएम ने जिन योजनाओं का पहले लोकार्पण किया था, उनमें से ही कई योजनाएं मूर्त रूप नहीं ले पाईं. मोदी ने इस बार भी योजनाएं लॉन्च करते हुए जब यह कहा कि इससे बनारस ही नहीं पूर्वांचल के लाखों लोगों का भला होने वाला है, तो लोग हंसते नजर आए. मोदी यह सब देख-समझ रहे थे और जनता का मूड भांप रहे थे.
भाजपाइयों ने जिस सभा में कम से कम 50 हजार लोगों को जुटाने का दावा किया था, उस सभा में शुरुआत से ही पंडाल खाली रहा. स्थिति तो यहां तक पहुंच गई कि ग्रामीण क्षेत्र से आई महिलाओं और हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं के सभास्थल से निकलने का सिलसिला शुरू हुआ, तो फिर वह थमा ही नहीं. ग्रामीण इलाकों से लोगों के जत्थे लेकर आए स्थानीय नेता भी उन्हीं जत्थों के साथ वापस लौटते दिखे. मोदी चार साल का हिसाब गिनाते रहे और बनारस के लोग हिसाब टटोलते हुए वापस होते रहे.
बनारस के लोगों को भावना के घेरे में लेने के लिए मोदी ने कई बनारसी जुमले प्रयोग किए. मोदी कहते रहे, आप लोगों ने मुझे प्रधानमंत्री चुना, मैं बनारस का सासंद भी हूं. आपका प्रतिनिधि होने के नाते चार साल मैंने क्या किया, उसका हिसाब तो मुझे देना ही है. बनारस को पूर्वी भारत का गेट-वे बनाना है. यह मेरा सौभाग्य है कि देश के लिए समर्पित एक और वर्ष की शुरुआत मैं बाबा विश्वनाथ और मां गंगा के आशीर्वाद से कर रहा हूं. आपका प्रेम और आशीर्वाद मुझे हर पल सेवा के लिए प्रेरित करता है. सेवा भाव को आगे बढ़ाने के लिए ही साढ़े पांच सौ करोड़ से ज्यादा की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है. इनका लाभ बनारस शहर और आस-पास के गांवों को मिलेगा. काशी की परम्परा, प्राचीनता को संजोए रखते हुए इस शहर को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है.
मोदी ने कहा कि बनारस में सीएनजी गाड़ियां चलाने का काम तेजी से हो रहा है. बनारस को आरा और छपरा से भी जोड़ा जा रहा है. काशी शहर का सौंदर्य भी निखारा गया है. काशी के घाटों पर अब गंदगी नहीं है. नावों के साथ क्रूज की सेवा भी मिल रही है. परिवर्तन से सेवा का अभियान निरंतर जारी है. जनवरी में दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों का कुंभ काशी में लगने वाला है. इसके लिए सरकार काम कर रही है. जनता का सहयोग भी आवश्यक है. काशी की गली, नुक्कड़ और चौराहों पर बनारस की सांस्कृतिक विरासत दिखनी चाहिए. मोदी ने लोगों को बताया कि बनारस के राजातालाब में कार्गो सेंटर की स्थापना हो चुकी है, जिससे बनारस ही नहीं, पूर्वांचल के किसानों को भी लाभ मिलेगा. आलू, टमाटर सहित अन्य फल व सब्जियों का निर्यात हो रहा है.
अब इसके बाद इंटरनेशनल राइस सेंटर खुल रहा है. मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि यहां शहद का रिकार्ड उत्पादन हो. गंगा सफाई का एकमुश्त काम गंगोत्री से गंगासागर तक चल रहा है. इसके लिए 21 हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं. छह सौ करोड़ रुपए से तो सिर्फ बनारस में काम हो रहा है. रमना, करसड़ा एसटीपी के अलावा हजारों सीवर चैंबर बनाए जा रहे हैं. कोशिश है कि गंगा में गंदगी गिरे ही नहीं. मोदी ने लोगों से यह भी कहा, ‘आप सभन भाई बंधु भगिनी के हमार प्रणाम बा. हमरे काशी क लोगन से एतना प्यार मिलल कि हमार मन गदगद हो जाला. हम त आप लोगन क बेटा हईं. हमार बार-बार काशी आवै क मन करेला.’ लेकिन काशी के लोग इस बार मोदी के इस प्रेम-पाश में नहीं पड़े और सभास्थल से रवाना होते रहे.
मोदी ने बताया उन्होंने बनारस के लिए क्या किया
रामनगर में कार्गो टर्मिनल
रामनगर के राल्हूपुर गांव में गंगा के किनारे बना मल्टी मॉडल कार्गो टर्मिनल बनारस में सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है. प्रधानमंत्री इस प्रोजेक्ट को खुद मॉनीटर करते रहे. यह गंगा नदी पर बना छोटा-मोटा बंदरगाह है, जहां कार्गो जहाज आ रहे हैं. इस पोर्ट से बंगाल का हल्दिया बंदरगाह जुड़ा रहेगा. अभी यहां एक हजार टन के मालवाहक जहाजों का आवागमन शुरू हो चुका है. इनसे सीमेंट और मारुति कारों की ढुलाई हो रही है. यह सड़क मार्ग से काफी सस्ता है. इस पोर्ट को रेलवे और सड़क से जोड़ा जा रहा है. इस नदी बंदरगाह का एक टर्मिनल गाजीपुर में भी बनने वाला है. इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसे उद्योग-धंधे खुल सकेंगे, जो हल्दिया के रास्ते अपना माल एक्सपोर्ट कर सकेंगे. इससे बनारस समेत पूर्वी यूपी उद्योग-धंधों से सम्पन्न हो जाएगा और लोगों को भरपूर रोजगार मिलेगा.
डीजल रेल इंजन काऱखाने की क्षमता बढ़ी
रेल मंत्रालय ने वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्लू) की क्षमता एक चौथाई बढ़ाने का काम शुरू किया है. वाराणसी के इस इकलौते बड़े कारखाने में डीजल इंजन बनाए जाते हैं. टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन न होने से यह कई साल से मंदी झेल रहा था. बनारस के डीएलडब्लू कारखाने के जरिए हजारों परिवारों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार मिल रहा है.
इंटिग्रेटेड टेक्सटाइल ऑफिस कॉम्प्लेक्स
बनारस के चौकाघाट इलाके में हैंडलूम टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के साथ में बन रहे इस कॉम्प्लेक्स में कपड़ा और हथकरघा उद्योग से जुड़ी हर सहायता मौजूद होगी. बुनकर यहां आकर नई डिजाइन और नए डिमांड की जानकारी ले सकेंगे और यहां से सीधे कारोबारियों को अपना माल भी उचित कीमत पर बेच सकेंगे. यहां पर बुनकर सेवा केंद्र और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) का एक्सटेंशन भी होगा जो समय-समय पर कारीगरों की ट्रेनिंग का इंतजाम करेगा, ताकि बनारस का कपड़ा उद्योग नए वक्त की जरूरत के हिसाब से बन सके. यहां हैंडलूम टेक्नोलॉजी में बीटेक कोर्स भी शुरू होने जा रहा है.
आईआईटी बीएचयू में रेल रिसर्च
विश्वविद्यालयों को उद्योगों से जोड़ने के सपने के तहत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में रेलवे का रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) सेंटर खोला गया. इसके तहत रेलवे की टेक्नोलॉजी में सुधार पर शोध हो रहा है.
मिनी पीएमओ
बनारस शहर में मिनी पीएमओ नाम से मशहूर दफ्तर सांसद नरेंद्र मोदी का कार्यालय है. यहां हर रोज लोग अपनी शिकायतें लेकर आते हैं. इनमें गैस कनेक्शन से लेकर रेल टिकट कन्फर्म कराने की अर्जी तक होती है. अक्सर यहां पर कोई न कोई केंद्रीय मंत्री लोगों की शिकायतें सुनते और उनका निपटारा करते हैं. राज्य सरकार के दायरे वाले कार्य राज्य सरकार को भेज दिए जाते हैं.
बिजली, टेलीफोन के तार अंडरग्राउंड
केंद्रीय बिजली मंत्रालय और टेलीकॉम मंत्रालय की मदद से बनारस में बिजली और फोन के तारों को अंडरग्राउंड किया जा रहा है. पूरे बनारस में बिजली के तारों का जंजाल हुआ करता था. अस्सी से राजघाट तक गंगा घाटों के किनारे के इलाकों में तारों को अंडरग्राउंड किया गया है.
हेरिटेज सिटी योजना
बनारस की विरासती पहचान बनाए रखने के लिए हृदय-योजना के तहत काम चल रहा है. इसके तहत वाराणसी की 24 सड़कों की पहचान की गई है. इनमें से नौ सड़कों को बनाने का काम नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ने किया है. इसके अलावा 10 सड़कों को नए सिरे से बनाने का काम नगर निगम कर रहा है.
बनारस में गंगा पर क्रूज, प्राइवेट सेक्टर में निवेश
शहर में दुनिया भर से आने वाले सैलानियों को देखते हुए यहां वर्ल्ड क्लास टूरिज्म विकसित करने का काम भी जारी है. इसी के तहत पर्यटन मंत्रालय ने गंगा पर क्रूज चलाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके तहत बनारस से पटना और कोलकाता के बीच क्रूज चलाए जा रहे हैं. बनारस के अंदर ही राजघाट से अस्सी घाट के बीच क्रूज चलाने की भी तैयारी है. ये क्रूज पूरी तरह प्राइवेट सेक्टर में हैं, लेकिन इनके रेगुलेशन का काम पर्यटन मंत्रालय और इनलैंड वाटरवेज़ अथॉरिटी देख रही है. इसके अलावा अस्सी घाट पर हर रोज शाम को लाइट एंड साउंड लेज़र शो का प्रोजेक्ट भी लगा है.
गंगातीरी गाय संरक्षण योजना
बनारस शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर शहंशाहपुर गांव का अनोखे प्रोजेक्ट लुप्त हो चुकी गंगातीरी नस्ल की गायों के संरक्षण का काम कर रहा है. 195 एकड़ में बने डेयरी फार्म में शुद्ध नस्ल की 249 गायों को रखा गया है. ये गायें रोज आठ से 10 लीटर दूध देती हैं. अब प्रजनन के जरिए इन गायों की संख्या बढ़ाई जा रही है और इन्हें गंगा से लगे क्षेत्रों के किसानों को दिया जाएगा.
कुश्ती और जूडो जैसे खेलों को बढ़ावा
जिस तरह से हरियाणा के गांवों में कुश्ती के खिलाड़ी तैयार करने की परम्परा है, वैसा ही बनारस में भी कई गांवों में होता है. ऐसे ही एक गांव ककरहिया में खेल गांव विकसित किया जा रहा है. यहां पर कुश्ती और जूडो के खेलों की अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का इंतजाम हो रहा है. यहां सैकड़ों अखाड़े बनाए गए हैं, जिनमें हर रोज सैकड़ों की तादाद में पहलवान दाव-पेंच सीखते हैं.