नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी के बीच बीजेपी की निगाहें आखिरी दो चरणों पर लगी हुई हैं। बीजेपी इसे अपना गढ़ मानती है क्योकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का परचम इस इलाके में जमकर लहराया था। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में इस इलाके में मुलायम का दबदबा रहा था लेकिन बीजेपी को उम्मीद है कि पूर्वांचल में बीजेपी करिश्मा करने में कामयाबी पा लेगी। बीजेपी यहां अपने 5 फैक्टर्स के भरोसे ऐसा सोच रही है। चलिए बताते हैं आपको की आखिर बीजेपी के पास ऐसा क्या है।
मोदी फैक्टर: इस बाद में कोई संदेह नहीं की बीजेपी आज जिस स्थिति में खड़ी है उसमे नरेंद्र मोदी की बड़ी भूमिका रही है। लोकसभा चुनाव से चला मोदी नाम का सिक्का बीजेपी को कई जीत के जश्न मनवा चुका है। उत्तर प्रदेश के आखिरी दो चरणों में बीजेपी मोदी नाम को फिर से भजाने की तैयारी में है। इसिलिए नरेंद्र मोदी की 3 रैलियां पूर्वांचल में रखी गई हैं। जिसमे एक रात वो अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी बिताएंगे।
पूर्वांचल की पुरानी जमीन: बीजेपी इन चुनावों में लोकसभा चुनाव के समीकरणों को भुनाना चाहती है इसलिए बार बार ये याद दिलाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्वांचल से खासा प्यार मिला था और इसिलिए कैबिनेट में पूर्वांचल के नेताओं को खास जगह दी गई है। इसके अलावा पूर्वांचल के प्रसिद्ध नेता मनोज तिवारी को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाना भी पूर्वांचल में बीजेपी को मदद करेगा।
वोट धुर्वीकरण: बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने पिछले दिनों जो बयान दिए उससे एक खेमा खासा नाराज है। इस नाराजगी ने बीजेपी को वोटों के धुर्वीकरण की जमीन तैयार करके दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी ने सब कुछ एक रणनीति के तहत किया है। जिसका फायदा वो 6वें और 7वें चरण में मिलेगा।
भोजपुरी अट्रैक्शन: बीजेपी ने पूर्वांचल को ही ध्यान में रखते हुए भोजपुरी सितारों को अपने दामन में जगह दी है। चुनाव के ठीक पहले भोजपुरी फिल्मों के स्टार रवि किशन को बीजेपी में शामिल करवाया गया। इन दिनों वो पूर्वांचल में बीजेपी के लिए जमकर प्रचार प्रसार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि मनोज तिवारी और रवि किशन जैसी भोजपुरी स्टार के बीजेपी खेमे में भोजपुरी फिल्म जगत में बीजेपी का दबदबा बढ़ गया है। इसको भुनाने की पुरजोर किशिश चुनाव में की जाएगी।