मिजोरम का यह चुनाव इस मायने में दिलचस्प होगा कि भाजपा का प्रदर्शन कैसा होता है, क्योंकि राज्य में भाजपा का अब तक खाता नहीं खुल पाया है. पूर्वोत्तर में यह राज्य कांग्रेस के लिए अंतिम राज्य है, जहां उनकी सरकार है. अब इस राज्य में भी भाजपा की जीत हुई, तो पूरा पूर्वोत्तर कांग्रेस मुक्त हो जाएगा.


assamपूूर्वोत्तर के एकमात्र कांग्रेस शासित राज्य मिजोरम में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव नजदीक आते ही राज्य में राजनीतिक उठापटक भी शुरू हो गई है. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दो मौजूदा विधायकों के इस्तीफे के कारण पिछले एक महीने से पार्टी के अंदर हलचल पैदा हो गई है. मिजोरम के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और गृह मंत्री आर. लालजिरलियाना ने राज्य के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. जब चुनाव सर पर हो, तब ऐसा झटका कांग्रेस के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

लालजिरलियाना ने यह फैसला तब लिया था, जब मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से कारण बताओ नोटिस भेजा गया था. लालजिरलियाना पर आरोप था कि पार्टी कार्यकर्ताओं को उनके द्वारा भ्रमित किया गया है. लालजिरलियाना मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष पद पर थे. 69 वर्षीय लालजिरलियाना आइजोल के तावी सीट से चुने गए थे. वे मुख्यमंत्री ललथनहावला के मंत्रिमंडल में दूसरे सबसे प्रमुख मंत्री थे. उनके इस्तीफे को मुख्यमंत्री ललथनहावला ने मंजूरी दी.

साथ में मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की डिसीप्लीनरी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष सी लालपियानथांगा ने एक नोटिस जारी कर लालजिरलियाना को पार्टी से हटा दिया. कमेटी के अध्यक्ष सी लालपियानथांगा ने कहा कि हमें पार्टी के हित और वर्तमान परिस्थिति के कारण निष्कासन आदेश जारी करना पड़ा है. अन्य दो मौजूदा विधायक लालरिनलियाना साइलो और बुद्धा धन चकमा ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. दोनों राज्य के कैबिनेट मंत्री थे. लालजिरलियाना और साइलो मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) में और चकमा अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए.

दो पूर्व पादरी भाजपा उम्मीदवार

बहरहाल, राज्य की सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है. आइजोल में आयोजित पार्टी के बुथ लेवल वर्कर्स की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि भाजपा विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) या सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन के बिना सभी उम्मीदवारों को राज्य के 40 निर्वाचन क्षेत्रों में उतारेगी. लेकिन भाजपा चुनाव से पहले समान विचारधारा वाले दल के साथ गठबंधन के लिए तैयार है.

शाह ने कहा कि राज्य में कांग्रेस शासन अंततः खत्म हो जाएगा और मिजोरम की जनता क्रिसमस का जश्न नए मुख्यमंत्री के साथ मनाएगी. मिजोरम चुनाव के लिए खुद को मजबूत करने के प्रयास में भाजपा ने मुख्य रूप से दो पूर्व पादरियों को चुनाव मैदान में उतारा है. दोनों रेव एलआर कोल्नी और रेव एच लालरुता पश्चिम आइजोल-2 और पूर्वी लुंगलै से चुनाव लड़ेंगे. 19 अक्टूबर को आयोजित भाजपा केंद्रीय कमेटी की बैठक के दौरान इसकी पुष्टी हुई थी.

क्रिसमस से पहले भाजपा को सत्ता में लाने की अमित शाह की महत्वाकांक्षी घोषणा से उनके विरोधियों ने कट्‌टरपंथी हिंदुत्व के साथ-साथ ईसाइयों की असुरक्षा के मुद्दे को उछालने की कोशिश की है. कुछ हफ्ते पहले कांग्रेसी नेताओं ने बीफ खाने के मुद्दे के बारे में बात की थी, जिसे भाजपा की विचारधारा के प्रति विरोधी सिद्धांत माना जाता है. मिजोरम और असम के भाजपा चुनाव प्रभारी असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने आइजोल में संवाददाताओं से कहा कि ईसाइयों को कभी भाजपा की वजह से समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और भविष्य में भी कभी ऐसा नहीं होगा.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए धार्मिक भावनाओं का उपयोग करने की कोशिश कर रही है. मिजोरम का यह चुनाव भाजपा के लिए एक परीक्षण की तरह है, क्योंकि राज्य में पार्टी सांगठनिक रूप से कमजोर है और पूर्व में इसके समर्थकों को हिंदुत्व के नाम पर धु्रवीकरण में बाधाओं का सामना करना पड़ा था. हालांकि पिछले कुछ सालों से पूर्वोत्तर में राजनीतिक गतिशीलता बदल गई है. भाजपा ने ईसाई वर्चस्व वाले नगालैंड में फरवरी 2018 के चुनाव में 20 सीटों में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

दूसरी तरफ, सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने आठ मौजूदा विधायकों को छोड़कर और 12 नए चेहरे को जोड़कर अपने 36 उम्मीदवारों की घोषणा की है. राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ललथनहावला दो निर्वाचन क्षेत्रों-गृह क्षेत्र, सर्चिप और दक्षिण चम्फाई से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस पार्टी की एक ही महिला उम्मीदवार हैं, वनलालमपुई चाउंगथू, जो कारपोरेट मिनिस्टर थीं, वे रांगतुर्जो से लड़ेंगी. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के मिजोरम प्रभारी अम्पेरेन लिंगदोह ने कहा कि राज्य में कांग्रेस स्थिर है और आने वाले विधानसभा चुनाव में हम जीत को लेकर आश्वस्त हैं.

आत्मविश्वास के साथ लिंगदोह ने कहा कि मिजोरम में राजनीति ज्यादातर कांग्रेस और एमएनएफ के आसपास घूमती है और कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता बनाए रखेगी. जबकि एमएनएफ की मौजूदगी ज्यादातर आइजोल शहर जैसे स्थानों में ही है, जहां ज्यादातर लोगों का समर्थन क्षेत्रीय दलों के प्रति है. एआईसीसी नेता ने कहा कि पूरे राज्य में कांग्रेस की व्यापक स्थिति काफी अच्छी है.

बहरहाल, मिजो नेशनल फ्रंट राज्य के 40 सीटों में से 39 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. एक सीट सेन्स ट्‌वीचांग विधानसभा चकमा ऑटोनोमस डिस्ट्रिक काउंसिल के अंदर आती है, यहां से एमएनएफ ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. क्योंकि राज्य के गैर सरकारी संगठनों ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की थी कि वे चकमा समुदाय से सम्बन्धित उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में न उतारें.

घोषित उम्मीदवारों की सूची के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री और एमएनएफ के अध्यक्ष जोरमथंगा पूर्वी आइजोल-1 विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि एमएनएफ 2016 में भाजपा द्वारा पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय दलों के साथ राजनीतिक गठबंधन के रूप में गठित नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलाइन्स (नेडा) का एक हिस्सा है. लेकिन दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ रही हैं.

चकमा बहुल क्षेत्र की राजनीति

राज्य के प्रभावशाली गैर सरकारी संगठनों द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद राजनीतिक दलों द्वारा विधानसभा चुनावों में चकमा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की संभावना है. किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक दो चकमा वर्चस्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो जिरलाई पॉल जैसे कई एनजीओ के संगठन मिजोरम एनजीओ समन्वय समिति ने 2017 में मिजो समाज पर भारी प्रभाव डाला था.

इन संगठनों ने राजनीतिक दलों से कहा था कि वे किसी भी चकमा को चुनाव मैदान में न उतारें, जिनमें से अधिकतर बांग्लादेश से अवैध अप्रवासी हैं. मिजोरम एनजीओ समन्वय समिति के महासचिव लालमाचुआना ने कहा कि अगर चकमा विधायक चुने जाते हैं, तो हमें डर है कि वे बांग्लादेश के चकमा शरणार्थियों को राज्य में शरण देने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करेंगे और वे चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) को भंग करने की मांग भी कर रहे हैं.

लालमुचुआना ने कहा कि हमने एक सप्ताह पहले उसी अपील के साथ एक मेमोरेंडम भेजा था, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने हाल के पत्र का जवाब नहीं दिया है. 2017 में जोरम नेशनलिस्ट पार्टी, जो बाद में जोरम पीपुल्स मूवमेंट का हिस्सा बन गई थी, ने कहा था कि चकमों को चुनाव मैदान में नहीं उतारेंगे. ईसाई वर्चस्व वाले मिजोरम में चकमा एक बौद्ध अल्पसंख्यक हैं. इस बीच मिजोरम में प्राथमिकता बनाने की उम्मीद करते हुए भाजपा ने सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हाल ही में राज्य में यात्रा के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आत्मविश्वास से कहा था कि मिजोरम भाजपा की अगुवाई वाली राज्य सरकार के तहत क्रिसमस मनाएंगे.

मिजोरम का यह चुनाव इस मायने में दिलचस्प होगा कि भाजपा का प्रदर्शन कैसा होता है, क्योंकि राज्य में भाजपा का अब तक खाता नहीं खुल पाया है. पूर्वोत्तर में यह राज्य कांग्रेस के लिए अंतिम राज्य है, जहां उनकी सरकार है. अब इस राज्य में भी भाजपा की जीत हुई, तो पूरा पूर्वोत्तर कांग्रेस मुक्त हो जाएगा.

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