बीजेपी सांसद व प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी को सीलिंग तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनके ऊपर लगे अवमानना के आरोप को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि एक सांसद होने के नाते अगर बीजेपी चाहे तो उनपर कार्रवाई कर सकती है.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक सांसद होने के नाते मनोज तिवारी ने जो कुछ भी किया था वो गलत था. उन्होंने कानून को अपने हाथ में लेने का प्रयास किया. इस पर तिवारी ने कहा कि उन्होंने कानून को अपने हाथ में नहीं लिया. बल्कि, कानून व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास किया है.
गौरतलब है बीते 13 सितबंर को उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकलपूरी इलाके में सांसद मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी के द्वारा सील किए गए एक दूध के डायरी की सीलिंग तोड़ दी थी. जिसको लेकर मॉनिटरिंग कमेटी ने अपनी खिन्नता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में तिवारी के खिलाफ शिकायत करने के बाद कोर्ट ने तिवारी को अवमानना का नोटिस जारी कर दिया.
हालांकि, शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गत 25 सितंबर को इस मामले की सुनवाई की थी, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तिवारी को जमकर फटकार लगाई थी. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि क्यों न आपको सिलिंग ऑफिसर ही बना दिया जाए. इसके बाद सुनवाई के एक दिन बाद तिवारी ने अपना बयान जारी कर कहा था कि वे सीलिंग ऑफिसर बनने के लिए तैयार है.
अगली 30 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट में तिवारी ने अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि जिसको मॉनिटरिंग कमेटी ने दूध की डेयरी बोल कर सील कर दिया था. वो वास्तव में दूध की डेयर नहीं है. बल्कि, वहां तो एक व्यक्ति अपनी परिवार के साथ रहता है और साथ ही दो भैंसे पाल रखी है. जिसको सिलिंग अधिकारियों ने ये कहते हुए सील कर दिया कि ये दूध की डेयरी है.