कहावत है कि जब तक चाय मुंह के अंदर न चली जाए, तब तक यह मानना चाहिए कि चाय आपने नहीं पी है. बीच में कभी भी मक्खी गिर सकती है. मनोज सिन्हा की चाय में मक्खी गिर गई. मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री के खास पसंद थे. मनोज सिन्हा का सौम्य होना और संचार मंत्रालय को सफलतापूर्वक चलाना ही उनके मोदी के प्रिय होने का कारण बना था.

जब संचार मंत्रालय रविशंकर प्रसाद के पास था, तब उसकी आलोचना होती थी. लेकिन जैसे ही मनोज सिन्हा ने उस मंत्रालय को संभाला, संचार मंत्रालय सुर्खियों में आना बंद हो गया. हालांकि समस्याएं बहुत कम नहीं हुईं. उन्होंने जैसे भी मैनेज किया हो, अखबार की सुर्खियों से संचार मंत्रालय हट गया.

मनोज सिन्हा का सौम्य चेहरा, उनका विनम्र स्वभाव, सबसे प्यार से मिलने की आदत, अपने विरोधी का हाथ पकड़ कर खड़े रहने की आदत, हर एक से इस अंदाज से मिलना मानो वे उसी को सबसे ज्यादा जानते हों और उसकी इज्जत करते हों, इन्हीं खूबियों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए पसंदीदा चेहरा बनाया था.

मनोज सिन्हा 18 मार्च के पहले ही बनारस आ गए थे. उन्होंने संकट मोचन, काल भैरव और बाबा विश्वननाथ के दर्शन किए. इसके बाद,वे अपने ग्राम देवता का दर्शन करने गांव जाना चाहते थे.  मनोज सिन्हा के यहां कोई भी काम ग्राम देवता की पूजा के बिना शुरू नहीं होता.

मनोज सिन्हा जब बीएचयू में पढ़ते थे और इम्तिहान भी देने जाते थे, तो इसकी शुरुआत ग्राम देवता की पूजा कर के  होती थी.17 तारीख की रात तक शीर्ष गलियारे से चर्चा चली कि मनोज सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए अंतिम रूप ले चुका है. मनोज सिन्हा के दोस्त, रिश्तेदार लखनऊ पहुंचने लगे. लेकिन, 18 मार्च की सुबह अचानक स्थिति में परिवर्तन आ गया.

दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश में अति पिछड़े और दलित विधायक एकजुट हो गए थे. प्रदेशभर के अति पिछड़ों में यह संदेश चला गया कि अब केशव मौर्या मुख्यमंत्री बनेंगे. बहुत सारी जगहों पर लड्डू बांटे गए. अति पिछड़े और यादव समाज के अलावा जितने पिछड़े समाज थे,उन सबने मान लिया कि इस बार मुख्यमंत्री उन्हीं का प्रतिनिधि होगा.

दिल्ली में पूरा आकलन हुआ, तो केंद्रीय नेतृत्व को लगा कि योगी आदित्यनाथ की उपेक्षा भाजपा के भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा. चाय में मक्खी गिरने का अहसास लेकर मनोज सिन्हा बनारस से दिल्ली वापस चले गए. अब मनोज सिन्हा को केंद्र में कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाया जा सकता है.

18 मार्च की सुबह ही योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से दिल्ली बुलाए गए. दिल्ली में स्टेज सेट होने के बाद योगी आदित्यनाथ, ओम माथुर, सुनील बंसल, केशव मौर्या सब एक साथ ही दिल्ली से लखनऊ पहुंचे.

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