पुराने संबंध किसी न किसी दिन जरूर काम आते हैं. कम से कम गौतम सान्याल को देखकर तो यही लगता है. गौतम सान्याल केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी हैं, जिन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का प्रधान सचिव बनाया गया है. सान्याल के पदोन्नति में ममता के साथ पुराने संबंध ही रंग लाए हैं. सान्याल की पदोन्नति आईएएस बिरादरी को कहीं से हैरान नहीं कर रही है. सान्याल का कोलकाता में दबदबा रहा है. हालांकि सान्याल के इस पदोन्नति से बहुत से अधिकारी असहज भी हो गए हैं, क्योंकि प्रधान सचिव का पोस्ट कैडर पोस्ट है और इस पोस्ट पर सिर्फ आईएएस अधिकारियों के ही बहाल होने की परंपरा रही है. सूत्रों का मानना है कि सान्याल की पदोन्नति आईएएस अधिकारियों की पदोन्नति नियमों की धज्जियां उड़ाने के समान है, लेकिन कोई अधिकारी सीएम के इस फैसले का विरोध करने के लिए आगे नहीं आ रहा है, क्योंकि वह सीएम का कोपभाजन नहीं बनना चाहता है. कहा जाता है कि ममता बनर्जी जब यूपीए-2 के समय में रेल मंत्री थीं, तभी सान्याल से बहुत प्रभावित हुईं थीं. उस समय सान्याल ममता के ओएसडी थे और जब ममता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं, तब भी सान्याल ममता के पीछे-पीछे चलते रहे. यह सान्याल की ममता के साथ नजदीकी का ही असर था कि राज्य में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के रहते हुए भी सान्याल को इस पद के लायक समझा गया. यह भी अफवाह था कि मुख्य सचिव संजय मित्रा सान्याल को पदोन्नत करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन वे ममता से बैर मोल नहीं लेना चाहते थे. ममता के इस निर्णय से यह साबित हो जाता है कि ममता जो चाहती हैं, वही करती हैं.
सीबीआई करेगी सीबीआई की जांच!
एक पूर्व सीबीआई अधिकारी के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी एक सीबीआई अधिकारी को ही दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को सीबीआई के विशेष निदेशक एम एन शर्मा की सहायता लेने के लिए कहा है, ताकि पूर्व सीबीआई प्रमुख रंजीत सिन्हा के कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता की जांच की जा सके. अगर शर्मा सीबीआई प्रमुख के तौर पर संगठन को अपनी सेवा देने के लिए तैयार हो जाते हैं तो यह उनके घर वापसी की तरह ही होगी. शर्मा 1972 बैच के राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. शर्मा को आर्थिक धोखाधड़ी और आतंकी गतिविधियों से संबंधित अन्वेषण करने में महारत हासिल है, जिसे उन्होंने अपने सीबीआई में रहने के दौरान सीखा. वे गैंगेस्टर अबू सलेम और बब्लू श्रीवास्तव के प्रत्यर्पण मामले के साथ-साथ हाईजैकिंग और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की गुत्थी सुलझाने के मामलों से भी जुड़े रहे थे. शर्मा के ही नेतृत्व में कुख्यात जालसाज एएन घोष को जर्मनी से प्रत्यर्पित कर 2007 में भारत लाया गया था. सूत्रों का कहना है कि 2008 में जब सीबीआई निदेशक के पद से विजय शंकर सेवानिवृत्त हो रहे थे, तब शर्मा का नाम इस पद के लिए सामने आया था, लेकिन आखिरी क्षणों में उनके कनिष्ठ अश्विनी कुमार को सीबीआई का नये प्रमुख के तौर पर नियुक्त कर दिया गया और शर्मा को सूचना आयोग में भेज दिया गया.
पत्रिका के खिलाफ आईएएस लॉबी सख्त
कभी-कभी स्मार्ट और चापलूसी भरी लेखन शैली भी किसी के लेखन के लिए महंगी साबित हो जाती है. आम तौर पर ऐसा नहीं होता है कि कोई आईएएस अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर किसी मुद्दे को बहुत ज्यादा गंभीरता से लेती है, लेकिन 2001 बैच की आईएएस अधिकारी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की अपर सचिव स्मिता सभरवाल पर एक पत्रिका ने कुछ सहानुभूति के लहजे में अपमानजनक टिप्पणी कर दी, जो सभरवाल को नागवार गुजरा. इसलिए सभरवाल ने उस पत्रिका पर मुकदमा दायर कर दिया. सभरवाल का बहुत ही शानदार प्रोफेशनल रिकॉर्ड है. पत्रिका के इस कृत्य के खिलाफ सभरवाल के समर्थन में उनके साथी आईएएस लॉबी का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. तेलंगाना कैडर के आईएएस अधिकारी संघ के प्रतिनिधि, जिसका नेतृत्व जे रेमंड पीटर कर रहे थे, ने हाल ही में तेलंगाना के मुख्य सचिव राजीव शर्मा से मिलकर पत्रिका के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही आरंभ करने की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है.