लखीसराय जिले में बालू माफिया एवं कुछ भ्रष्ट नौकरशाहों के संरक्षण में किउल नदी बालू घाट से बालू के अवैध उत्खनन एवं बिक्री का कार्य परवान पर है. इस दौरान अवैध खनन की रोकथाम के लिए गठित जिलास्तरीय टास्क फोर्स भी इन मामलों में कार्रवाई नहीं कर रही है. फलस्वरूप सुरजीचक से मंझवे तक 18 किलोमीटर लंबी किउल नदी बालू घाट के दोनों साइड में दिन-रात ट्रैक्टरों से बालू की ओवर लोडिंग जारी है. इस क्रम में लखीसराय, चानन एवं रामगढ़ चौक प्रखंड स्थित सुरजीचक, सलोनाचक, गढ़ी विशनपुर, कबैया, काली पहाड़ी, जयनगर, महिसौना, गोडीह, घोषीकुंडी, मोहनकुंडी, पचाम, खुटुपार, गोहरी, मलिया, इटौन, भलूई, तेतरहट, शर्मा, मंझवे, नोनगढ़ आदि कई स्थानों पर माफिया की दबंगई एवं पुलिसिया मिलीभगत से बालू का अवैध उठाव एवं बिक्री चालू है.
जिले में गठित एसटीएफ टीम यदा-कदा कानूनी रस्म अदायगी के लिए ओवर लोडिंग एवं अवैध बालू खनन को लेकर वाहन चालकों के विरुद्ध छापामारी अभियान भी चलाती है. वित्तीय वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में राज्य सरकार को इससे करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की बांदा स्थित मेसर्स वेस्ट लिंक ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 24 करोड़ 42 लाख 65 हजार रुपये की बोली लगाकर 2016 से 2019 तक जिलेे की किउल नदी बालू घाटों की आम नीलामी हासिल की है. इस दौरान मुंगेर प्रमंडलीय आयुक्त की देखरेख में 16 जुलाई 2016 को लखीसराय-जमुई एकीकृत यूनिट के बालूघाटों की नीलामी प्रक्रिया का इकरारनामा भी मेसर्स कंपनी के नाम संपन्न हो गया.
इसके पूर्व 2011-15 की बंदोबस्ती राजधानी पटना की मेसर्स राजनंदनी प्रोजक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम था, जिसका समय 31 दिसम्बर 2015 को पूरा हो गया था. इस दौरान 01 जनवरी से 15 जुलाई 2016 तक बालू के धंधों पर रेगिस्तान के बेताज बादशाहों के वर्चस्व की लड़ाई के कारण जिला प्रशासन को दो-तीन बार डाकबोली रद्द करनी पड़ी थी.
बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया संपन्न होने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने के कारण कंपनी ने अभी तक बालू उत्खनन एवं उठाव-बिक्री के कार्य शुरू नहीं किए हैं. हालांकि इकरारनामे के अनुसार कंपनी ने 25 फीसदी अग्रिम राशि राजकोष में जमा कर दी है. विभागीय सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार की ओर से पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष में जारी किए जाने की उम्मीद है. इसके लिए विधायी प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
इस बीच मेसर्स वेस्ट लिंक ट्रेडिंग कंपनी के निदेशक अतुल सिंह एवं कार्यकारी पदाधिकारी अनूप सिंह ने जिला प्रशासन से किउल नदी बालूघाटों से जारी अवैध उत्खनन पर तत्काल पाबंदी लगाने की गुहार लगाई है. उन्हें उम्मीद है कि नए वित्तीय वर्ष से पूर्व पर्यावरण मानकों से संबंधित एनओसी भारत सरकार को देकर जिले में बालू उठाव एवं बिक्री कार्य सुचारू रूप से आरंभ हो जाएंगे. लेकिन तब तक किउल नदी से चोरी छिपे बालू की बिक्री पर रोक लगाने की जिम्मेवारी जिला प्रशासन की है.
इस संदर्भ में पटना हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सूबे के सभी जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को बालू एवं अन्य खनिज संपदा की अवैधानिक खुदाई, उठाव एवं बिक्री पर रोक लगाने को लेकर जिलावार विशेष टास्क फोर्स गठित करने के आदेश जारी किए हैं. इसके बावजूद कोर्ट के आदेश की प्रशासनिक अनदेखी की जा रही है.
जिले में अवैध बालू उठाव एवं बिक्री के कारण आम लोग फिलहाल दो से पांच हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर बालू खरीदने को मजबूर हैं. इसके पूर्व प्रति ट्रैक्टर एक हजार से ढाई हजार रुपये तक बालू उपलब्ध था. इसके चलते कई सरकारी एवं प्राइवेट निर्माण कार्य की लागत में कई गुना वृद्धि हो गई है. वहीं कई बड़ी निर्माणाधीन कार्य परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं और इंदिरा आवास निर्माण भी दिवा स्वप्न साबित हो रहा है.
विदित हो कि जिले में पंजीकृत असंगठित 7368 मजदूरों में से ढाई हजार खनन उद्योग के काम में लगे हैं. इसके चलते इसे लखीसराय की अर्थव्यवस्था का लाइफलाइन भी कहा जाता है. कुल आबादी के 20 फीसदी लोगों के परवरिश का जरिया बालू खनन ही है. बालू माफिया के लिए डायमंड रिवर कहलाने वाली किउल नदी से देखते-देखते इलाके के कई लोग मालामाल हो गए.
1960-70 के दशक में इस धंधे में जिले के धन्नासेठों एवं रेलवे अधिकारियों का वर्चस्व था. उस वक्त किउल एवं लखीसराय में बालू को रेलवे वैगन से राज्य के बाहर भेजा जाता था. 1980 के दशक तक इस धंधे में बाहुबलियों एवं कई सफेदपोशों का प्रवेश हुआ, जो देखते-देखते एमएलए, एमपी एवं अन्य जनप्रतिनिधि बन गए. इस बीच अफसरशाह एवं व्यवसायी बालू व्यवसाय से बाहर हो गए. इस दौरान बालू के धंधों पर वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई. किउल नदी बालू के घाटों से लेकर सड़कों पर बालू लदे वाहनों से रंगदारी टैक्स वसूलने का धंधा भी
शुरू हुआ.
इस बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी सुनील कुमार कहते हैं कि अवैध खनन में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. अवैध उत्खनन को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय एवं खान एवं भूतत्व विभाग के निर्देश के अनुसार गठित जिला स्तरीय टास्क फोर्स छापेमारी कर धरपकड़ अभियान चला रही है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण सुरक्षा मानकों का भी अक्षरश: अनुपालन किया जा रहा है. जिलाधिकारी ने बताया कि प्रशासनिक स्तर पर वाहनों की जांच कर अवैध बिक्री और ओवरलोडिंग पर हर हाल में पाबंदी लगाई जाएगी. उन्होंने बताया कि 2011-15 तक जिले में खनन राजस्व में तीन गुणा राजस्व की वृद्धि हुई है.
वित्तीय वर्ष 2015-16 में वाहनों की जांच से वार्षिक लक्ष्य के अनुरूप 50 फीसदी से ज्यादा राजस्व की वसूली की गई. इस दौरान 1000 से ज्यादा वाहनों चालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. 2016-17 में भी अपेक्षित खनन राजस्व का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जिला खनन विभाग प्रयासरत है. गौरतलब है कि गठित जिला स्तरीय टास्क फोर्स में प्रभारी जिला खनन पदाधिकारी, एएसपी (अभियान), पर्यावरण संरक्षण पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी के अलावा लखीसराय अनुमंडल स्तर के कई पदाधिकारी भी शामिल हैं.
इसी मामले में एसपी अशोक कुमार ने कहा कि जिले की प्राकृतिक संपदा लूटने वालों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में जिला पुलिस कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगी.
उन्होंने बताया कि अवैध बालू खनन एवं बिक्री रोकने के लिए जिले के एसपी (अभियान) पवन कुमार उपाध्याय एवं प्रभारी खनन एवं भूतत्व सह वरीय उपसमाहर्ता मुकेश कुमार सहित सबंधित थानाध्यक्षों व अन्य अधिकारियों की अगुआई में कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बालू माफिया के विरुद्ध सघन छापेमारी अभियान चलाए जाएंगे.