भोपाल। मदरसा से आधुनिक शिक्षा देने की सरकार की मंशा के मुताबिक मदरसा तैयार कर लिए गए, लेकिन सरकार ने अपने वादे से मुकर कर मदरसा शिक्षकों के सामने भीखमंगे बनने के हालात बना दिए हैं। लगातार 4 सत्र से रुके हुए अनुदान के चलते प्रदेश के आधे से ज्यादा मदरसा बंद हो चुके हैं। बचे मदरसा लाचारी में घिसट रहे हैं। हालत यही रहे तो जल्दी ही इन पर भी तालाबंदी हो सकती है।

मदरसा आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत प्रदेश में लगभग 1600 मदरसो में पांच हजार शिक्षक नियुक्त हैं। इन शिक्षकों को पिछले चार सालों से मानदेय नहीं मिला है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और प्रदेश सरकार के संयुक्त अनुदान से मिलने वाले वेतन के लिए मदरसा संचालक दिल्ली से लेकर भोपाल तक अधिकारियों और राजनेताओं की चौखट पर दस्तक दे चुके हैं। लेकिन नतीजा शून्य है।

शिक्षक हुए मजदूरी को विवश
लॉक डाउन में हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। मदरसा शिक्षकों को लंबे समय से वेतन न मिलने से उन्हें घर खर्च चलाने के लिए ट्यूशन मजदूरी, रात की चौकीदारी, रिक्शा, ठेला अन्य काम धंधा करके अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करना पड़ रहा है।

परिवार की रोटी का इंतजाम करो सरकार
आधुनिक मदरसा कल्याण संघ के शोएब कुरैशी, कफील अहमद, हाफिज जुनैद ने कहा है कि
मजदूर की शाम को मजदूरी न मिले तो उसके चूल्हे मे रोटी नहीं बनती। लेकिन इन शिक्षकों को 45 महीने से तनख्वाह न मिले तो यह अपना घर परिवार कैसे चला रहे होंगे, यह चिंता का विषय है।

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