MPEआमतौर पर माना जाता है कि मध्य प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता है. बहुत हद तक ये बात सही भी है. लेकिन, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टिया भी है, जिनका मध्य प्रदेश के कई हिस्सोँ में ठीकठाक असर है. और यही वजह है कि तकरीबन सभी पार्टियां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ मिलाना चाहती है.

दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा और गोंडवाना गणतंत्र जैसी पार्टियों ने 80 से अधिक सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट हासिल किए, जो की हार-जीत तय करने के हिसाब से पर्याप्त हैं. कांग्रेस की अंदरूनी रिपोर्ट भी मानती है कि मध्यप्रदेश के करीब 70 सीटें ऐसी हैं, जहां क्षेत्रीय दलों के मैदान में होने की वजह से कांग्रेस को वोटों का नुकसान होता आया है, जिसमें बसपा सबसे आगे है. इसीलिए कांग्रेस की तरफ से बसपा के साथ गठबंधन को लेकर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा था, जो संभव नहीं हो सका.

मध्य प्रदेश के महाकौशल के जिलों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का असर है. 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी ने 3 सीटें जीती थीं, लेकिन इसके बाद से आपसी बिखराव के कारण उसका प्रभाव कम होता गया है. पिछले चुनाव के दौरान उसे करीब 1 प्रतिशत वोट मिले थे. ऐसा माना जाता है कि गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी का अभी-भी शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी, कटनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिलों के करीब 10 सीटों पर प्रभाव है. 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी 8 सीटें जीतकर मध्य प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरी थी.

प्रदेश में उसके एक भी विधायक नहीं हैं, पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सपा को करीब सवा प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस के अलावा सपा और गोंगपा से भी गठबंधन करना चाहती थी, लेकिन अब सपा और गोंगपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना बन रही है.

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