लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने कांग्रेस पर बढ़त हासिल कर ली है. जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने युध्स्तर पर अपने प्रचार अभियान की शुरुआत की है. तो वहीं कांग्रेस अभी तक अपने विज्ञापन के लिए एजंसी का चुनाव तक नहीं कर पाई है
गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा ने उसी एजंसी पर भरोसा जताया है जिसने साल 2014 में पार्टी के पक्ष में प्रचार किया था. कयास लगाये जा रहे है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का स्लोगन ‘नामुमकिन अब मुमकिन’ होगा. जबकि पार्टी ने 2014 लोकसभा चुनाव ‘अबकी बार मोदी सरकार’ ने नारे के साथ लड़ा था.
वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस गुटबाजी का शिकार नज़र आ रही है. खुलासा हुआ है कि कांग्रेस अभी तक अपने विज्ञापन के लिए एजंसी का चुनाव तक नहीं कर पाई है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव के मध्येनजर कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं. कांग्रेस के चुनाव प्रचार में देरी की वजह पार्टी में कथित तौर पर चल रही गुटबाजी बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि मौजूदा समय में कांग्रेस में दो गुट सक्रिय हैं.
एक है आनंद शर्मा का, जो लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पब्लिसिटी कमिटी का काम देख रहे हैं तो वहीं दूसरा ग्रुप है पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का, जो पार्टी कोर ग्रुप के कोऑर्डिनेटर हैं.जानकारी के मुताबिक इन दोनों गुटों में समन्वय का आभाव है. एक गुट ने दुसरे पर बिना बताये विज्ञापन फर्म को पावरपॉइंट प्रेंटेशन के आमंत्रित करने का आरोप लगाया है. एक ऐसी फर्म को शॉर्टलिस्ट करने की बात भी समाने आई है जो बेहद ही साधारण है.
ऐसे में जहां बीजेपी ने लोकसभा चुनावों की अंतिम रूप रेखा तैयार कर ली है. तो वहीं कांग्रेस की चुनावी तैयारियां पार्टी की अंदरूनी खेमे बाजी की भेंट चढ़ती नज़र आ रही हैं. अगर समय रहते राहुल गांधी ने इसे नहीं सुलझाया तो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.