यह गोअलपारा आसामके 22 किलोमीटर की दूरी पर मटिया कदमतला मे 45 करोड़ के बजट से डिटेन्शन सेन्टर केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के तरफसे जिनका नाम एन आर सी की लिष्टमे नहीं है ऐसे 25 सौ पुरूष और महिला 500 को रखने के लिए बनाया जा रहा है !
शायद इस तरह की हरकत भारतीय आजादी के बाद प्रथम बार किया जा रहा है !! जर्मनीमें यहूदियों के लिए और रशियामे सैबेरियामे विरोधियों के लीये 100 साल पहले के केम्पोकी याद दिला दी है !
सबका साथ सबका विकास ! का नारा देने वाले प्रधानमंत्री रामलीला मैदान से चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि हमारे देश के किसी भी प्रदेश में एक भी डिटेंशन सेंटर नहीं है ! जो की भारत के सभी बीजेपी शासित राज्यों में बन रहे हैं और कर्नाटक में बंगलोर के पास बनकर तैयार है !
संविधान की शपथ लेकर झूठ बोलने के लिए मोदी जी माहिरों के माहिर हैं ! गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हुए उन्होंने शपथग्रहण में कहा था कि मै नरेंद्र दामोदर दास मोदी आजसे गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेता हूँ कि मैं गुजरात मे रहने वाले हर नागरिक के साथ बगैर किसी भेदभाव से सुरक्षा और सम्मान पूर्वक व्यवहार करूंगा ! क्या हुआ था 27 फरवरी 2002 की सुबह साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में आग लगने के बाद आग में जले हुए शवों को विश्व हिंदू परिषद के लोगों के हवाले करने वाले कौन थे और उसके बाद उन्होंने 28 फरवरी से शुरू हुआ दंगों को रोकने के लिए कितनी चूस्ति बरती ?
क्राईम अगेन्स्ट हूम्यानिटी और, गुजरात फाइल्स, जैसे दर्जनो रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी जीकी दंगों में क्या भूमिका रही है और अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राज धर्म का पालन नहीं किया है यही कहा था ना ?
2014 के चुनाव प्रचार में विदेशी बैंकों से धन वापस लाने के बाद हर भारत के नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने के वादे का क्या हुआ ? और क्रिमिनल लोगों को बक्षा नहीं जायेगा ! आज भारत के गृहमंत्री पदपर कौन बैठा है ? और उन्हे किसने बैठाया है ? इसके अलावा कई-कई मुख्यमंत्री, संसद सदस्य और विधायक जो बीजेपी के है? कितनों के दामन साफ है ?
2014 के मई मे सत्ता सम्हालने के बाद माॅब लिंचिग मे कितने लोगों को जान गवानी पडी और उन्हे मारने वाले लोग कौन थे ? और उनमें से कितने लोगों पर कारवाई हुई ? फिर कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एबीवीपी के गुंडो द्वारा भारत विरोधी नारे लगाने से लेकर मार पीट तक करने के लिए किसने खुली छूट दे दी थी और सिसि टीवी तोडकर लडकीयो से लेकर अन्य विद्यार्थियों के उपर हमले करने वाले लोगों को किसने भेजा था उनके उपर कारवाई करने का छोड़ कर और अन्य विद्यार्थियों के उपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर उन्हें फसाने वाले लोग कौन हैं ? और यह सब दिल्ली में आपके नाक के नीचे इतना बडा कांड हो रहा है और आज तक आपने इसकी कोई दखल नहीं ली ! क्यो ?
फिर जो डिटेंशन सेंटर नहीं है बोलने वाले आप एन आर सी के बिल के खिलाफ चल रहे आन्दोलन कारियों पर चुन-चुन कर कारवाही कर रहे हैं वह भी कोरोनामे? फरवरी महिने के अंतिम सप्ताह में दिल्ली दंगों मे असली गुनाहगारों गोली मारो सालो को नारे लगाने वाले जो आपकी रामलीला मैदान की रैली में आरहे थे और उन्हे छोड़कर अन्योको फसाओ अभियान किसके कहने से जारी है ?
निजामुद्दीन के तब्लिगी जमात के मुख्यालय में लाॅकडाऊन के पहले से जमा लोगों को बार-बार निकालने के लिए उसके पदाधिकारियों की विनती को दिल्ली पुलिस के अफसरों ने अनदेखा कर दिया और उन्हे कोरोना फैलाने वाले बोलकर मिडिया की मदद से और दिल्ली पुलिस, सब मिलकर एक विशेष समुदाय के लोगों को बार-बार बदनाम करने के लिए कौन जिम्मेदार है ? और इस बात का भारत की एकता और अखंडता के लिए क्या परिणाम होंगे ? अंतमे औरंगाबाद हाईकोर्ट ने किसे दोषी ठहराया ? और अब ऊन गुनाहगारों को क्या सजा दे रहे हो ?
अब आखिरी बात जिस तरह से पंजाब और हरियाणा में किसान आंदोलन पर उतारू हो गये हैं क्या आप को लगा नहीं कि आपका किसानो की भलाई के लिए लाया जा रहा विधेयक किसानों को समझाने के लिए कुछ प्रयास करे ! क्योकिं आपने सरकार बनाने के तुरंत बाद ही मन की बात शुरू कर दी है तो जिस उद्योगमे देश की आधी आबादी निर्भर करती है उस उद्योग के संबधित लोगों को विस्वास मे लेकर उनके हित अनहित बताया जाता !
और उनकेही चुनें हुए प्रतिनिधि संसद में विरोध कर रहे हैं उनको संसद से बर्खास्त कर दिया और अब संसद को सत्रावसान करने जा रहे हैं ! यह संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में कौनसे नये प्रयोग कर रहे हैं ? और इतनी जल्दी किस बात के लिए ? एक तरफ देश महामारी की मार झेल रहा है और आज आप देश की आधी आबादी के खिलाफ निर्णय थोपने की कोशिश कर रहे हैं ? तो फिर देश आराजकता की और ढकेलनेकी गलती कौन कर रहा है ?
बिल्कुल 100 साल पहले के जर्मनी की संसद जिसे ड्यूमा कहा जाता है उसका इस्तेमाल हिटलर ने हूबहू किया था ! कयोंकि वह भी मै संपूर्ण जर्मनी की जनता की तरफ से हो रहा है का जुमला इस्तेमाल करके करता था! रविवार के दिन तो आप लोगों ने उसे भी मात दे दी है ! कयोंकि जब देखा कि बिल पास होने की संभावना कम है तो आवाज में तब्दील कर दिया पर हरिवंश अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए अंधे हो गये हैं कि संसद में अगर एक भी सदस्य मतदान के लिए अनुरोध करता है तो आवाज की बात नहीं चलती है लेकिन वह कोई भी नियम का पालन नहीं करने के लिए ही दोबारा राज्य सभा के उपाध्यक्ष बनाये गये हैं !
और फिर सोमवार की सुबह चाय लेकर भेजे गए वह भी मीडिया के लोगों को लेकर ! आपकी नकल करने की कोशिश या फिर आपने भेजा था? क्योंकि ट्विटर पर तुरंत आपने उनके लिए आपने उनके लिए कशिदे पढने का काम किया ! और महामहिम राष्ट्रपति महोदय को चिट्ठी लिखी गई थी ! वाह संविधान की मर्यादा का पालन करने का अनूठा प्रयोग कर रहे हैं ! जय संविधान! जय भारत माता की जय हो !!!!!!!!!
डाॅ सुरेश खैरनार, 23 सितम्बर 2020,नागपुर