bjpअखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह के दौरान गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नहीं आने को लेकर जमकर सियासत हुई. सीएम नीतीश कुमार ने बिना कोई आरोप-प्रत्यारोप के सधी भाषा में अपनी बात रखी. वहीं, राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने अपने खास अंदाज में उन पर जमकर हमला बोला. भाजपा को कोसने और उसे भला-बुरा कहने का कोई मौका लालू प्रसाद शायद ही छोड़ते हैं. यूपी चुनाव में करारी शिकस्त खाने के बाद से ही लालू प्रसाद किसी मौके की तलाश में थे. स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में उन्हें यह सुनहरा मौका मिल भी गया.

जैसे ही लालू प्रसाद को पता चला कि राजनाथ सिंह इस समारोह में आने की सहमति देने के बावजूद नहीं आ रहे हैं, तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि वे स्वतंत्रता सेनानियों का भी अपमान कर रहे हैं. लालू जब समारोह में पहुंचे तब पूरे रौ में थे. राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने मजाकिया लहजे में बोलना शुरू किया कि माननीय नीतीश कुमार सीएम हैं, इसलिए वे बोलने में परहेज करते हैं, लेकिन हमें इससे. कुर्सी लगवाकर हटानी पड़ी, नाम का प्लेट ऐन मौके पर हटाना पड़ा. नहीं आना है, तो मत आओ. यह नीतीश और लालू का कार्यक्रम थोड़े ही है. यह गांधी विचारधारा को प्रसारित करने और स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने का कार्यक्रम है. जिनके लोग कभी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नहीं हुए, वही आज इसकी दुहाई दे रहे हैं.

ऐसे लोगों को किसी तरह का ज्ञान देने का कोई हक नहीं है. इस तरह लालू प्रसाद ने अपने भाषण के अंत तक भाजपा के खिलाफ हमला जारी रखा. हालांकि सीएम नीतीश कुमार ने इशारों-इशारों में राजनाथ सिंह के नहीं आने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का आमंत्रण सभी पार्टी को दिया गया था. जो आए उनका बहुत अभिनंदन, लेकिन जो नहीं आए, उनसे भी किसी तरह की शिकायत नहीं है.

गांधी के विचार से सहमत हैं, तो बहुत अच्छा. अगर इनके विचारों से सहमत नहीं हैं, तो उनसे किसी तरह की घृणा नहीं है. जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि समारोह से भाजपा का अपने को समारोह सवे दूर रखना बेहद अफसोसजनक है. एक ऐसा कार्यक्रम जो किसी दल विशेष का नहीं, बल्कि राज्य सरकार द्वारा आयोजित था. इसका मकसद आजादी की लड़ाई में भाग लेनेवाले वीर सपूतों को सम्मानित करना था और जिसमें देश के राष्ट्रपति भी मौजूद थे, उससे दूरी बनाकर भाजपा ने अपनी संकीर्ण सोच का परिचय दिया है.

जदयू के एक और प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा है कि समारोह के तहत आयोजित देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान समारोह का बहिष्कार एनडीए की दुर्भाग्यपूर्ण हरकत है. ऐसा कर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने महात्मा गांधी की यादों, स्वतंत्रता सेनानियों और उन्हें सम्मानित करने आए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अपमान किया है.

इस रवैये से फिर सिद्ध हुआ है कि स्वतंत्रता आंदोलन से इन्हें न तो उस दौरान कोई मतलब था और न ही आज कोई मतलब है. राष्ट्रीय सम्मान और ऐसे कार्यक्रम का बहिष्कार कर भाजपा व एनडीए नेताओं ने यह साबित कर दिया कि आजादी की लड़ाई और उसके सेनानियों की उनकी नजर में कोई कीमत नहीं है. गांधी को महात्मा बनाने वाले चंपारण सत्याग्रह का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विशिष्ट स्थान है.

कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि समारोह में स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के कार्यक्रम में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का नहीं आना उनके विचारों की संकीर्णता का परिचायक है. उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करना गर्व की बात मानते हैं, तो फिर भाजपा का लालू प्रसाद व राहुल गांधी के इस कार्यक्रम में मौजूदगी पर सवाल उठाना बेमानी है. गृहमंत्री द्वारा आने की सहमति देकर अंतिम क्षणों में इसमें भाग नहीं लेना स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आयोजित सम्मान समारोह का अपमान है.

उन्होंने कहा कि भाजपा के ऐसे एजेंडे से देश में असहिष्णुता को बढ़ावा मिलेगा. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी जी ने सही कहा कि सत्ता में बैठे लोग डराने की कोशिश करेंगे, तो देश की जनता इसे कतई स्वीकार नहीं करेगी.

दूसरी तरफ राजनाथ सिंह सहित पूरे एनडीए के इस समारोह में न जाने को लेकर अपने तर्क हैं. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह जैसे गरिमामय कार्यक्रम का नीतीश कुमार ने राजनीतिकरण कर दिया और अपनी राजनीतिक लिप्सा के लिए चापलूसी की भी हद कर दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत यह सब किया और महामहिम राष्ट्रपति के पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई.

पांडेय ने कहा कि लालू प्रसाद और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को मंच पर लाकर नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि सत्ता बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है, स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान नहीं. महात्मा गांधी समेत देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वाधीनता संग्राम इसलिए नहीं लड़ा था कि आजादी मिलने के बाद किसी कार्यक्रम में लालू प्रसाद जैसे भ्रष्टाचारी और सजायाफ्ता लोग उन्हें सम्मानित करेंगे. अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति को भी सजायाफ्ता व्यक्ति के साथ एक मंच पर बिठा दिया.

मंगल पांडेय ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई देश के सम्मान के लिए लड़ी थी, लेकिन नीतीश कुमार ने आज सजायाफ्ता लालू प्रसाद को स्वतंत्रता सेनानियों के मंच पर बुलाकर उनका सम्मान नहीं, बल्कि अपमान किया है. इस कार्यक्रम को देखकर महात्मा गांधी की आत्मा भी कराहती होगी कि उनके नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर नीतीश कुमार राजनीति कर रहे हैं.

इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि लालू प्रसाद जैसे सजायाफ्ता व्यक्ति के साथ देश के गृह मंत्री को बैठना शोभा नहीं देता है. कार्यक्रम का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. यह सब लालू प्रसाद को खुश करने के लिए किया गया. यह सही है कि राजनाथ सिंह ने इस समारोह में आने की सहमति दी थी, लेकिन जानकार बताते हैं कि जब यह जानकारी मिली कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते अमित शाह को न्योता नहीं दिया गया तो गाड़ी पटरी से उतर गई. प्रदेश भाजपा कोर ग्रुप ने स्थिति की समीक्षा की और अपनी भावनाओं से आलाकमान को भी अवगत करा दिया.

राजनाथ सिंह को यह बात सही नहीं लगी कि अमित शाह जी को आखिर न्योता क्यों नहीं दिया गया? खैर कहते हैं कि राजनीति करने वालों को तो बस राजनीति करने के लिए बहाना चाहिए. सम्मान आजादी के सेनानियों का होना था इसमें पार्टी और उसके अध्यक्ष की बात कहां से आ गई. बात जब सेनानियों के सम्मान की थी, तो इसमें न्योता मिलने या नहीं मिलने का उतना महत्व कैसे हो गया? बिना न्योता के यहां आते तो उनका ही सम्मान बढ़ता. जो नहीं आए उन्हें खरी खोटी सुनाने से बेहतर होता कि वीर सेनानियों के सम्मान में दो-चार शब्द ज्यादा बोल दिया जाता.

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