बिहार में सरकार बनने के बाद से ही ये चर्चा शुरू हो गई थी कि महागठबंधन की उम्र ज्यादा नहीं है और लालू-नीतीश के बीच में कभी भी तलवार खींच सकती है. दोनों तरफ के नेताओं की जुबानी जंग भी यदा-कदा सामने आ ही जाती है.
लेकिन फिर भी बिहार में अब तक सरकार चल रही है. हालांकि बिहार की सीमा पार करते ही ये महागठबंधन अपनी पहचान खो देता है. हाल ही में हुए यूपी चुनाव में भी यह देखने को मिला, जब लालू यादव खुलकर सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए प्रचार करते नजर आए, जबकि नीतीश कुमार ने खुद को यूपी चुनाव से दूर रखा.
हालांकि बिहार के ये दोनों गठबंधन सहयोगी अब दिल्ली में एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकने को तैयार दिख रहे हैं. नीतीश कुमार पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वे दिल्ली की सभी निगम सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे.
अब लालू यादव ने भी दिल्ली निगम चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. वी भी बिना किसी दूसरे दल से गठबंधन किए, अकेले. दिलचस्प बात ये है कि ये दोनों पार्टियों भाजपा के साथ-साथ उस कांग्रेस के खिलाफ भी लड़ेंगी, जो बिहार में इनकी गठबंधन सहयोगी है.