साथियों, अमेरिका के वर्ल्डट्रेड सेंटर पर हमले को परसों चौबीस साल पूरे हो रहे हैं ! इस उपलक्ष्य में मै आज यह लेख लिखने की कोशिश कर रहा हूँ ! जबकि इजराइल के उपर पिछले साल शनिवार 7 अक्तुबर के दिन, तथाकथित हमास के द्वारा, दागे गऐ, रॉकेट, और उसके बाद इजराइल तथा अमेरिका ने मिलकर यह जो जवाबी कार्रवाई शुरू की है ! उसके बारे में पहला लेख लिखा था !

तो कुछ लोगों को आज गाजा पट्टी में क्या हाल है ? और इसके बारह साल पहले मुझे पहला एशियाई देशों के तरफ से, अमन ओ कारवां में शामिल होने का मौका मिला था ! और उस समय एक जनवरी से छ जनवरी, 2011 में एक सप्ताह तक गाजा पट्टी में रहने का मौका मिला था ! और देखते ही लगा कि यह स्वतंत्र देश नही है ! तीन तरफ से इजराइल के द्वारा 25-30 फिट उंची कांक्रीट की दिवारें और उन दिवारों के उपर कुछ अंतर पर वॉच टॉवरों में इजराइल की सेना के जवान, बड़ी- बड़ी दुर्बिनो से देख रहे हैं ! मतलब खुला जेलखाना !


और जिस दिशा में दिवार नही है ! उस तरफ भूमध्य सागर, जिसमें गाजा पट्टी से लगे हुए, किनारे से दस किलोमीटर तक इजराइल ने वॉटर माईन्स डाली हुई है ! ताकि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की समुद्री हलचल करेंगे तो वह जिवित नही रहेगा ! और पश्चिमी दिशा जो बहुत ही संकरी है ! वहां पर रफा नामकी बॉर्डर है ! जो इजिप्त के सिनाई रेगिस्तान से लगीं हुई है ! और गाजा से बाहर जाने का एकमात्र रास्ता वहीं है ! लेकिन इजिप्त भले ही मुस्लिम बहुल देश है ! और किसी समय (अब्दुल गमाल नासेर के समय ) फिलिस्तीन के मुक्ति के लिए लड़ाई का नेतृत्व किया है ! लेकिन अन्वर सादात के समय से ही इजिप्त ने इजराइल के साथ ( कैंम्प डेविड ) समझौता करने की वजह से उनकी हत्या के बाद ! होस्नि मुबारक सत्तामे आए,) उसने भी इजराइल के साथ हाथ मिलाया था ! इसलिए गाजा से रफा बॉर्डर के तरफ से आवागमन बहुत ही कडे सुरक्षा बंदोबस्त में ! और बगैर वीसा पासपोर्ट, किसीका भी आना – जाना असंभव है ! बहुत कडाई से जांच – पडताल के बाद ही, वह रफा के रास्ते इजिप्त मे प्रवेश कर सकता ! क्योंकि हम लोग एक जनवरी को सबसे पहले ‘अल अरिश’ सिनाई रेगिस्तान में का एकमात्र हवाई अड्डा,और बंदरगाह के शहर से होकर गाजा पट्टी में आने का अनुभव से गुजरने के खुद के अनुभव से ही यह बात लिख रहे हैं ! बहुत ही अपमानजनक है ! उसपर फिर कभी लिखूंगा ! फिलहाल गाजा पट्टी के तत्कालीन हालत पर ही गौर करने का प्रयास कर रहा हूँ !


इसलिए मै अपनी गाजा पट्टी और इराक की , यात्राओं के अनुभवों को पुनः – पुनः लिखने के लिए प्रेरित हुआ हूँ ! मुख्य कारण इन दोनों युध्दभूमीयो को, मैने अपने आंखों से दोनों जगह खुद जाकर देखने की वजह से लिख रहा हूँ ! और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने युद्ध ही शांति का नारा देते हुए उस हमले के बदले की कार्रवाई सबसे पहले अफगानिस्तान और 2003 में इराक, लिबिया जैसे अमेरिका की दादागिरी के खिलाफ सीना तानकर खड़े देशों पर हमला किया था !


इसी महिने मे 2002 को ! अमेरिकाकी संसद ने तत्कालीन राष्ट्रपति ‘जॉर्ज बुश’ ( जूनियर को ) इराक के उपर सेना लेकर हमला करने की इजाजत दी थी ! और उसके साथ इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड ने मिलकर इराक में केमिकल वेपन है ! बोलकर, 13 मार्च 2003 से शुरू किए गए, हमले की याद दिला रहा है ! जिसमें किसी जमाने की विश्व की सब से पुरानी सभ्यता ‘बाबीलोन – मेसोपोटेमिया’ सभ्यता के देश इराक को खंडहरों में तब्दील करने की झलक,मैने खुद अपनी आंखों से देखने के बाद लिख रहा हूँ !
मुंबईसे इराकी एअरवेज के जंबोजेट, जो रात के दो बजे छुटता है ! जिसमे लगभग पांचसौ लोग बैठ सकते हैं ! बगदाद जानेवाली फ्लाइट में, चढते ही मैंने देखा कि हम कुछ बगदाद की बैठक में जाने वाले चार लोगों को छोड़कर, बचें हुए अन्य यात्री किसी का हाथ गायब है ! तो किसी का पैर ! और किसी की आंखें ! मतलब ज्यादातर इराकी यात्रियों में अमेरिका ने 2003 में किए गए, हमले की वजह से जख्मी हो गए, सिविलियन लोगों से फ्लाइट खचाखच भरी हुई थी ! जो मुंबई में इलाज के लिए आए थे ! मिलिटरी वाले तो इराकके मिलिटरी अस्पताल में या और कहीं इलाज ले रहे होंगे ! लेकिन इन सभी लोगों को देखकर, मैं बहुत ही हैरानी के साथ बड़ी मुश्किल से अपनी सिट पर बैठ पाया ! क्योंकि किसी भी तरह की यात्रा में, मैंने मेरे साथ ऐसे प्रवासियों से भरी हुई फ्लाइट नही देखी थी ! इस कारण मै बहुत ही शॉक मनस्थिति में बगदाद आने तक अमेरिका के तथाकथित शांति के लिए युद्ध जो सत्तर के दशक में विएतनाम के उपर किया था जब मैं स्कूल में पढ़ाई कर रहा था !


और बैठने के बाद जब फ्लाइट ने आकाश में उड़ान भरने के बाद ‘बेल्ट खोल सकते’ , यह एअरहोस्टेस ने अनाउंस करने के बाद, मैंने हमारे जख्मि सहप्रवासीयो से बातचीत करना शुरू किया ! तो उनमें कोई शिक्षक, तो कोई बिजनेस मेन, या कोई किसान, या अन्य भी हो सकता है ! लेकिन मुंबई के हवाईअड्डे से ही मुझे इराक युद्ध की विभीषिका का दर्शन होना शुरू हुआ ! जो बगदाद पहुचने के बाद शनैः-शनैः बढते ही गई !
तो कुछ घंटों के बाद सुबह के आठ बजे के आसपास, बगदाद हवाई अड्डे पर उतरने के बाद, हमें लेने के लिए विमान के भीतर ही प्रोटोकोल अफसर घुस आये थे ! और हमारे सामान को अपने हाथों में लेकर सबसे पहले हमें उतारा गया ! और निचे एअरपोर्ट के रनवे पर हमारे विमान की सिढी से लगकर ही देखता हूँ, कि काली लंबी जनरल मोटर्स की, दो कारे और दोनों कारों के पिछे और सामने दो बख्तरबंद गाड़ीया, तोपें लगी हुई खडी थी ! जिनमें हमें बैठाकर ले जाने लगे ! तो मैंने गाडी के भीतर बैठते ही देखा, तो लगा कि, मैं विमान के कॉकपिट मे बैठा हूँ ! तो प्रोटोकोल अफसर जो सामने की सिटपर ड्रायवर के दाहिनी ओर बैठा हुआ था ! पुछने के बाद मुझे बताया गया कि यह बुलेट प्रूफ कार है ! जिसमें बैठने का मेरे जीवन का पहला ही अनुभव था !
एअरपोर्ट के बाहर निकलने के बाद, दस किलोमीटर भी नही गए होंगे ! तो हमें पहले ही चेक पोस्ट पर रोका गया ! और गाड़ियों के बाहर हमें निकलने के लिए कहा गया ! हमें बाहर खड़े करने के बाद कुछ सेंसर जैसे अवजारो को हाथों में लेकर, गाडी के भीतर से बाहर बोनेट और डिक्की खोलकर, उन सेंसरो के द्वारा, गाडी को चेक करने के बाद, एक छ फिट से अधिक लंबा अमेरिकी सेना का एक जवान स्निफरडॉग को अपने हाथ में चैन पकडकर गाडी के पास आकर, उस कुत्ते के द्वारा, गाडी के अंदर और बाहर डिक्की तथा बॉनेट के अंदर सुंघाने के बाद हमारी यात्रा आगे बढने लगी,
होटल ‘अल रशिद’ जो बगदाद एअरपोर्ट से बीस – पच्चीस किलोमीटर दूर होगी ! लेकिन पहले चेकिंग के जैसे ही, हर दस किलोमीटर की दूरी पर, यह एक्सरसाइज और तीन – चार जगहों पर करने के अनुभवों से गुजरना पडा ! और बगदाद एअरपोर्ट से होटल ‘अल रशिद’ तक ! रास्ते के दोनों तरफ गाजा के जैसे बीस – पच्चीस फिट उंची कंक्रीट की दिवारों से घीरा हुआ ! तथाकथित ‘ग्रीनफील्ड’ नामके इलाके में से गुजरते हुए, हमे अगल – बगल की कोई भी झलक देखने को नहीं मिली !
मुझे लगा कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने घोषणा की है कि “अमेरिकी सेनाने इराक खाली कर दिया है !” बिल्कुल झुठ ! अमेरिकन सेना का अस्तित्व एअरपोर्ट के बाहर निकलते ही दिखाई दे रहा था ! और वह जो कांक्रीट की दिवारें खडी थी ! उनके दोनों तरफ के एरिया में जिसे ‘ग्रीनफील्ड’ से बोला जाता है ! जहाँ पर कभी सद्दाम हुसैन के राजमहल जैसे मकानों का अस्तित्व था ! वहां अब अमेरिकी सेना ने अपना डेरा जमाया हुआ था !


होटल ‘अल रशिद’ में पहुचने के बाद फ्रेश होने के बाद , नाश्ता करने के बाद, मैंने सोचा कि थोड़ा पैदल घुमने चलते हैं ! जैसे ही होटल के गेट तक पहुंचे तो गार्ड ने रोककर कहा कि “बाहर जाने की मनाही है ! “और घुमना-फिरना है, तो होटल के चारदीवारी वाले इलाके में ही ! बाहर अकेले और पैदल जाने की सुरक्षा की वजह से मनाही है !
उसके बाद बैठक के लिए ले जाया गया ! वहीं बख्तरबंद गाडिय़ों के बीच मे हमारे गाडी ! तो मैंने प्रोटोकॉल अफसर को मैंने कहा कि “हमें हमारे घर के पड़ोसी भी पहचानते नहीं ! और यहां यह सब किसलिए ? और दुसरी महत्वपूर्ण बात ऐसे बंदोबस्त की वजह से ही, किसी को लगेगा कि इस गाड़ी में कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति जा रहा है ! और असुरक्षा के लिए यह अटेंशन सिकिंग है ! ऐसी किसी भी साधारण गाडी से निकलने के बाद, मुझे नहीं लगता कि हमारे तरफ कोई देखेंगे ! लेकिन आपके इस तरह के बंदोबस्त से बेमतलब हमें खतरा पैदा हो सकता है !” उसने सुनकर अनदेखी की !


हमारे बैठक की जगह इराक की पार्लियामेंट के अंदर ही दुसरे हॉल में आयोजित की गई थी ? देखा तो विश्व के विभिन्न देशों से लोग आए हुए थे ! और इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को हटाकर, अमेरिकी सेना की तरफ से बैठाएं गए ‘जलाल तलबानी’ ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, बैठक की शुरुआत हुई ! लेकिन होटल से पार्लियामेंट में पांच किलोमीटर भी फासला नहीं होगा! लेकिन बगदाद की सड़कों पर यातायात नही के बराबर ! और जो भी यातायात दिखाई दे रही थी, वह हमारे जैसे ही बख्तरबंद गाडीयो के काफिले के साथ ! और चेकिंग की व्यवस्था एअरपोर्ट से आने वाले रास्ते से भी ज्यादा, और कडी ! और ज्यादा से ज्यादा, अमेरिकी सेना के साथ !
बैठक में इजराइल के जेलों में बंद, फिलिस्तीन के नागरिकों को जेलों में दी जा रही अमानवीय यातनाएं, और जेल के कोड अॉफ कंडक्ट के खिलाफ रखने के उपर ही मुख्य बातचीत हुई ! और हमारे बैठक के समय में इजराइल के जेल में बंद फिलिस्तीन के कैदियों की भूकहडताल चल रही थी ! जिसे लेकर विश्व भर से आए हुए प्रतिनिधि अपनी चिंता व्यक्त करते हुए उनकी मांगों को समर्थन दिया ! और यूएन को हस्तक्षेप करने की मांग की !


मेरी राय में इजराइल के खिलाफ यूएनओ के सबसे ज्यादा प्रस्ताव पारित होने के बावजूद ! और जिस इराक में बैठ कर हम लोग मानवाधिकारों की चर्चा कर रहे हैं ! यहां पर अमेरिका और उसके साथ यूएनओ, और उसके अध्यक्ष कोफी अन्नान ने मिलकर इराक की क्या हालत बनाकर रख दी है ? यूएनओ अमेरिका की गुलाम बनी हुई है ! इजराइल की निर्मिति से लेकर विएतनाम, अफगानिस्तान, इराक,लॅटिन अमेरिका के पनामा, निकारागुआ, रवांडा, बोस्निया, सर्बिया, मतलब तथाकथित शितयुध्द के दौरान जितनी भी लडाईया हुई ! उन सभी में अमेरिका ने कितना अपराधिक काम किया है ? लेकिन यूएनओ की आज तक ऐसी कोई भी भूमिका याद नहीं आ रही है ! कि उसने कभी भी अमेरिका के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई हो ? तो इस बैठक में भी, यूएनओ के तरफ से फिलिस्तीन के कैदियों के लिए कोई भी रियायत की उम्मीद करना बेकार है ! उल्टा महात्मा गाँधी जी ने आजसे सौ वर्ष पहले दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद वाली सरकार के खिलाफ सत्याग्रह के अहिंसक हथियार का इस्तेमाल कर के, अपनी लड़ाई में जीत हासिल की है ! वैसे ही इजराइल के जेलों में बंद कैदियों का अनशन का हथियार शायद ज्यादा कारगर कदम होगा ! और हुआ भी इजराइल को उन कैदियों की कई मांगों को मानना पडा !
और इसिलिए इजराइल ने कभी भी यूएनओ की कोई परवाह नहीं की ! और हर बार अमेरिका ने इजराइल के तरफ से अपने विटो पॉवर का इस्तेमाल किया ! इसलिए इजराइल आज की हमारी चर्चा से क्या परवाह करेगा ? हालांकि इस बैठक में शामिल लोगों में कुछ अमरीकी भी थे ! जो अमेरिका के इजराइल के तरफ से होने के खिलाफ बोल रहे थे !


और इसिलिये मेरा कहना है कि कोई भी देश की सरकार और जनता के बीच फर्क करना चाहिए ! जनता में काफी लोगों को जो गलत लगता है ! वह सरकार को सही लगता है ! जैसे नरेंद्र मोदी ने 7 अक्तुबर के तुरंत बाद, अपने ट्विटर हेंडल से हम इजराइल के साथ है, कह दिया ! और अधिकारिक वक्तव्य में भारत की सतहत्तर सालों से जो भुमिका फिलिस्तीन के तरफ से है, यही कहा गया है !


बैठक के बाद हमारे वापसी के टिकट चार दिनों बाद के थे ! तो प्रोटोकॉल अफसर ने पुछा की “आपको और क्या देखने की इच्छा है ?” “मैने कहा कि नजफ और करबला जाना संभव है ? “उसने कहा कि “कल सुबह ब्रेकफास्ट के बाद पोर्च में तैयार रहिएगा !” बगदाद से यह दोनों जगहों का फासला दो सौ किलोमीटर था ! दुसरे दिन सुबह नाश्ता कर के हम लोग तैयार ही थे ! और वैसे ही बख्तरबंद गाडीयो के बिचमे हमारी गाडी से हमारी यात्रा शुरू हुई !
हमारा कारवां जैसे ही, बगदाद शहर से बाहर निकलने लगा, तो रास्ते मे एक बडी नदी दिखाई देते ही, मैंने प्रोटोकॉल अफसर को पुछा की “यह नदी कौन-सी नदी है ?” तो उसने कहा कि “टिग्रिस” तो मैंने तुरंत पुछा की “इस नदी का पानी लाने के लिए मुझे हमारे नागपुर कि भाविक महिला मित्र ने कहा है ! क्या हम गाडी रोककर थोडा पानी ले सकते ?” तो उसने कहा कि “अमेरिकी सेना ने हमारी सभी नदियों के जल में जहरीला केमिकल मिला दिए हैं ! इसलिए इस पानी में उंगली डालना भी खतरनाक है ! हमारे लोग जितने युद्ध में मारे गए ! उससे अधिक लोगों की मौत इन नदियों के विषैला जल पिने की वजह से हुई है ! कुल दस से पंद्रह लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है ! जिसमें पंद्रह साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या आधी है ! ” यह आकडे अमेरिका ने जपान के दो शहरों के उपर, नागासाकि और हिरोशिमा मे 6,9 अगस्त 1945 को गिराये ! एटमी बमों के बाद, मारें गए जपानी लोगों की मौत से अधिक है ! लेकिन इस विभीषिका की चर्चा विश्व के मिडिया में कहीं भी नहीं है ! यह भी अमेरिका की, और तथाकथित मानवाधिकारों के हनन के मुद्दे पर हंगामा करने वाले यूरोप का मिडिया भी शामिल है !


और बगदाद से नजफ – करबला जाते समय, रास्ते के दोनो तरफ हमने एक भी इमारत को खडा नही देखा ! सब मलबे में तब्दील ढेर ! और कुछ तात्कालिक टिन से बने हुए मकान हैं ! अमेरिका विश्व के उपर अपना राजनीतिक प्रभाव बनाने के लिए, पांचसौ सालों से यही प्रॅक्टिस करते आ रहा है ! और उसके बावजूद वह विश्व को सभ्यता और मानवाधिकार तथा शांति का पाठ पढ़ाने का काम भी करते रहता है ! नेथ्यानू के सात अक्तूबर के हमले के बाद इजराइल मे जो बायडेनने जाकर और क्या किया ? अमेरिका का कोई भी राष्ट्रपति और किसी भी पार्टी का होने के बावजूद वह यही करतूतों को अंजाम देने का ही काम करते आए हैं ! इजराइल की निर्मिति के समय, यूएनओ में इजराइल बनाने के पक्ष में मतदान के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति हॅरी ट्रूमन ने जबरदस्त दबाव डालकर इजराइल के निर्माण को मान्यता देने के लिए मजबूर किया ! उदाहरण के लिए एक हैती नामक देश को 50 लाख डॉलर का कर्ज देकर हैती को इजराइल बनाने के पक्ष में वोट देने के लिए मजबूर किया है !


लेकिन नरेंद्र मोदी को, बचपन से ही संघ की शाखा के प्रशिक्षण की वजह से, वह इस्लामोफोबिया के शिकार है ! लेकिन वह भूल गए कि, वह संघ के स्वयंसेवक के साथ ही, भारत जैसे बहुआयामी देश के प्रधानमंत्री भी है ! और संघ लाख इजराइल के गुणगान करते रहे ! लेकिन भारत की जनता में हमारे जैसे बहुत से लोगों को लगता है ! कि इजराइल की निर्मिति हजारों वर्ष पुराने फिलिस्तीनी लोगों के मर्जी के खिलाफ अंग्रेजों ने फिलिस्तीन छोडने के पहले जैसा भारत पाकिस्तान का विभाजन किया वैसे ही 14 मई 1948 को इजराइल की निर्मिति और उस समय फिलिस्तीन का क्षेत्रफल 10,000 स्क्वेयर मिल था जिसमें से इजराइल को 5,700 स्क्वेअर मील इजराइल के हिस्से में दे दिया और फिलिस्तीन के लिये 4300 स्क्वेयर मील दी है !

जबकि फिलिस्तीन की कुल जनसंख्या 20 लाख थी ! और उसमे 14 लाख से अधिक अरब थे ! और 6 लाख यहूदी लोग , मतलब कुल फिलिस्तीन के जनसंख्या में यहूदियों की संख्या वन थर्ड थी ! और उसके बावजूद अंग्रेजों ने यहूदियों को सब से अच्छी किस्म की जमीन और वह भी 56% दे दिया ! और 56%से अधिक जनसंख्या वाले फिलिस्तीन के हिस्से में 44 % ही जमीन आने के दुसरे क्षण से इजराइल फिलिस्तीनयो के बीच चल रहा विवाद, आज पिछले साल भर से गाजा पट्टी पर चल रहे युद्ध तक कायम है ! और अब तो छहत्तर सालों में इजराइल के हिस्से में लगभग अस्सि प्रतिशत से अधिक जमीन फिलिस्तीन की समय-समय पर हुए युद्ध, और तथाकथित आतंकवाद के नाम पर की गई कार्रवाई के बाद इस्राइल के कब्जे में कर ली गयी है ! अब गाजा पट्टी को खाली कराने के लिए इजराइल ने खुल कर ऐलान कर दिया है !

छहत्तर सालों से फिलिस्तीन के लोगों के उपर लगातार अन्याय करते आ रहा है ! फिलिस्तीनी जमीन पर कब्जा करते हुए, उन्हें दिवारों के भीतर जेल जैसे, फिर वेस्ट बैंक हो या गाजा पट्टी की जमीन दखल करने का बहाना मिलना चाहिए ! जो मई 1948 से जबरदस्ती से लेते हुए ! अब फिलिस्तीन के नक्शे को राई के दाने जैसे बना कर रख दिया है ! और पिछले साल के 7 अक्तुबर के बहाने समस्त फिलिस्तीनी लोगों का जनसंहार करने की शुरुआत की है ! 23 लाख जनसंख्या में से आधी आबादी को खुलेआम कह रहा हैं ! कि” तुम गाजा का आधा हिस्सा खाली करो !” और विश्व का कोई भी सभ्य समाज इस कृति का समर्थन नहीं कर सकता !


जो नरेंद्र मोदी ने अपनी गुजरात “2002 के मॉडल की आदत के कारण ! एक क्षण का विचार किए बगैर हम इजराइल के साथ है ! कह दिया ! और वैसे ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेनने खुद इजराइल पहुंच कर, अपने साथ पांच हजार नौसैनिक से लदे हुए, जहाजी बेडे को भूमध्य समुद्र में उतार दिया है ! यह वही अमेरिका है ! जिसने अपने जन्म के समय से ही दो करोड़ रेड इंडियन लोगों को मारकर, अपने तथाकथित राष्ट्र बनाने की शुरुआत की है ! और पांच सौ सालों से अमेरिका लगातार संपूर्ण विश्व में अबतक कितने लोगों की जाने ले चुका है ? लेकिन अमेरिका में भी हमारे जैसे स्वतंत्र विचार करने वाले लोग हैं ! और हम इस तरह की बर्बरता के खिलाफ है ! यह भी साफ- साफ बता रहे हैं !
क्योंकि नरेंद्र मोदी हो या जो बायडेन या नेथ्यानू, सभी अपनी क्षुद्र राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए यह मानवता के खिलाफ गुनाह कर रहे हैं ! जो सौ वर्ष पहले हिटलर – मुसोलिनी ने किया है ! और बीस साल पहले इराक के उपर हमला करते हुए बुश ने भी ऐसा ही अपराध किया है ! भले ही इन सब गुनाहों को रोकने के लिए ही यूएनओ की स्थापना की गई है ! पर अमेरिका के न्यूयार्क में, और अधिक मात्रा में अमेरिका यूएनओ को धन मुहैया कराने की वजह से ही ! यूएनओ शुरू से ! अमेरिका के दबाव में रहकर ही अपने निर्णय लेता है ! इराक के युध्द को तो अमेरिका ने यूएनओ को साथ-साथ लेकर ही लढा है !


क्योंकि तथाकथित केमिकल वेपन यूएनओ के इन्स्पेक्टर की जांच के बाद नहीं मिलने की रिपोर्ट के बावजूद ! अमेरिका ने इराक पर हमला कर के अपने कब्जे में कर लिया है ! और यूएनओ के तरफ से अमेरिका के उपर कोई कार्रवाई नहीं हुई ! और अमेरिका के ऐसे गुनाहों की बहुत बड़ी फेहरिस्त है ! उसे खोलकर एक्शन लेंगे तो अमेरिका के उपर सजा से अमेरिका का अस्तित्व ही समाप्त हो जा सकता है ! लेकिन वही अमेरिका विश्व को किराये के लेखक लेकर ‘सभ्यता का संघर्ष’ ( Clash of Civilization ! ) जैसी लफ्फाजी करने की हिमाकत करता है ! क्या यही अमेरिकी सभ्यता है ?
और वर्तमान समय में संपूर्ण गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के इलाकों को दिवारों के भीतर बंद कर के ! पूरा कंट्रोल इजराइल का ही है ! और मोसाद और इजराइली सेना के द्वारा इतना जबरदस्त सर्विव्हिलेंस के रहते हुए ! इस तरह की हरकत बगैर मोसाद या इजराइल के सेना की नजरों से कैसी छुटी है ? या उन्होंने ने ही वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेथ्यानू को राजनीतिक संजीवनी देने के लिए, और बचा-खुचा फिलिस्तीन दखल करने के लिए ! यह सब कुछ किया होगा, ऐसा भी हो सकता है ?
जैसे इराक में केमिकल वेपन के नाम पर सद्दाम हुसैन के फांसी की सजा से लेकर इराक के उपर किया गया हमला ! जिसमें संपूर्ण रूप से इराकको खंडहरों में तब्दील कर दिया है ! और दस से पंद्रह लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई ! जिसमें आधे से अधिक, पंद्रह साल के निचले उम्र के बच्चों की संख्या सर्वाधिक है ! जो 1945 में अमेरिका ने जपानी शहर, नागासाकि और हिरोशिमा के उपर डाले गए, एटम बमों के बाद मारे गए लोगों की संख्या से तिगुनी है ! और सबसे संगीन बात, इराक की सबसे बड़ी दोनों नदियों में यूफ्रेटिस और टिग्रिस में अमेरिकी सेना ने, जहरीले केमिकल मिला देने की वजह से ! उस पानी को पीने के बाद और प्रतिबंधों की वजह से, दवाइयां और अन्न के अभाव में ज्यादा बच्चे मरे है ! यह है ! अमेरिका की सभ्यता !
1980 के दशक के इरान – इराक युद्ध से लेकर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों तक छद्म युद्ध के दो दशक इराक पर हमले की पृष्ठभूमि तैयार की गई है ! और इस क्षेत्र के लिए अमेरिकी विदेश नीति में आई तब्दीलियो की सूचना देते है !


1979 की, इरान की इस्लामिक क्रांति ने ! अमेरिकी विदेश नीति के लिए, पिछले सत्तर साल से, अधिक समय से ! इस्लाम कम्युनिस्ट विरोधी और राष्ट्रवाद विरोधी शक्ति के सिध्दांत को ! इरानी इस्लामी क्रांति ने इरान में इस्लामिक – राष्ट्रवादी सरकार बनाकर अमेरिका की अवधारणा को बदल कर रख दिया ! और तब अमेरिका ने इरानी क्रांति के प्रभाव को रोकने के लिए इराक की तरफ रुख किया ! तब अमेरिका को सद्दाम हुसैन के तानाशाह होने को लेकर, कोई समस्या नहीं हुई ! और उस युध्द के समय अमेरिका ने इराक को एकसे बढकर एक विनाशकारी हथियारों का प्रयोग करने के लिए दिया है ! जिस युद्ध में दोनों देशों के कुल मिलाकर 50 लाख से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है ! और दोनों देशों की आबादी 10 करोड़ है ! ( इरान – 7 करोड़, इराक – 3 करोड )
अमेरिका के इराक के साथ के संबधों को तीन चरणों में देखा जा सकता है ! पहले चरण में (1980 ) में अमेरिका ने, इराक को इरान के साथ, युद्ध करने के लिए, खुलकर समर्थन दिया ! या अमेरिका ने ही इस युध्द की पटकथा लिखने का काम किया ! क्योंकि उसे आयातोल्लाह खोमेनि द्वारा किया गया सत्ता पलट बहुत नागवार लगा था ! क्योंकि उनका कठपुतली, रेझा शाह पहलवी को हटाने के लिए ही, इरान की क्रांति हुई है !
और सबसे पहले तेहरान स्थित अमेरिकन दूतावास पर इरान की क्रांतिकारी सेना ने 4 नवंबर 1979 के दिन, कब्जा करने के बाद 70 अमेरिकी नागरिकों को कब्जे में कर के, 444 दिनो तक बंदी बनाकर रखा हुआ था ! उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जीमी कार्टर थे ! और उसी के बाद अमेरिका ने इराक के सद्दाम हुसैन की मदद से इरान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया ! जो 8 साल तक चलता रहा ! तथाकथित शितयुध्द के दौरान यह सबसे लंबे समय की लड़ाई थी ! जिसमें लाखों की संख्या में दोनों तरफ के लोगों की मौत हो गई ! और संसाधन तथा अन्य नुकसान हुआ सो अलग !


यहां पर लेकिन ऐसी योजना भी बनायी गयी, कि युद्ध किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच सके ! इसलिए आठ साल से अधिक वर्षों तक वह युध्द चला है ! और दोनों देशों के सिर्फ सैनिकों के मृत्यु के आकडे बीस लाख से अधिक है ! जो मैंने इरान में 2010 के दिसम्बर में, ‘अमन ओ कारवां’ के समय, एक दर्जन से अधिक शहिद स्मारकों को भेट देतें हुए देखा हूँ ! और आखिरी शहर शायद दियारबकिर के शहिद स्मारक पर मुझसे रहा नही गया ! और मैने अपने श्रध्दांजलि के भाषण में कहा कि “मैं महान अलमायती अल्लाह को प्रार्थना कर के दुआ मांग रहा हूँ ! कि हे अल्ला मुझे इस मुल्क में दोबारा भेट देने के समय, और शहिद स्मारक नही दिखाई देना चाहिए ! ” क्योंकि हर शहिदस्मारक के कब्रिस्तान में बीस से तीस साल की उम्र के एक से सव्वा लाख इरान के सैन्य में शामिल नौजवानों की कब्रों पर, साफ – साफ उन का नाम, उम्र तथा कहा ? और कब मारे गए ? यह लिखा है ! तो ग्यारह स्मारकों के कुल नौजवानों की संख्या पंद्रह लाख से अधिक ! और लगभग उतनी ही संख्या में इराक के और दोनों देशों की कुल जनसंख्या दस करोड़ ( इरान 7 करोड़ इराक 3 करोड ! ) और सिविलियन्स मिला कर पचास लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है ! इसमें अमेरिका का क्या नुकसान हुआ ?


मुझे 2010-11 में एक सप्ताह के लिए गाजा पट्टी में रहने का अवसर मिला है ! और 2012 में इराक में फिलिस्तीनी कैदियों को इजराइल की जेल में बंद होने के सवाल पर, एक बैठक में शामिल होने के लिए ! इराक में बगदाद भी जाने का अवसर मिला है ! और मैंने दोनों जगहों को अपनी आंखों से जो देखा है ! वहीं लिखने के लिए प्रेरित हुआ हूँ ! क्योंकि कुछ लोगों को, गलतफहमी में फंसा हुआ देखकर, मै आपबीती बताने की कोशिश कर रहा हूँ !
गाजा पट्टी में जाने के पहले से ही होश सम्हाला तबसे, फिलिस्तीन के आतंकवादियों के बारे में बहुत कुछ पढा और सुन रखा था ! और इस वजह से मै वहां के अस्पताल से लेकर स्कूल तथा विश्वविद्यालय की इमारतों में घुसकर गौर से देखने की कोशिश कर रहा था ! कि कहीं अस्पताल या स्कूल की आड़ में आतंकवाद के केंद्र तो नही ना ?
उल्टा अस्पतालों से लेकर स्कूलों तथा रिहायशी मकानों और विश्वविद्यालय में, सभी इमारतों के हिस्से बम या मोर्टार के हमलों से टुटे हुए ! या दिवारों में बडे-बडे छेद, और किसी इमारत का बेडरूम झुल रहा है ! तो कहीं किचन, और विश्वविद्यालय के प्रांगण की, आधी से अधिक इमारतों को ऐसा ही, बमों या मोर्टार के हमलों से टुटे हुए देखा हूँ ! तब गाजा पट्टी में 10-15 लाख लोग रहते थे ! अब लगभग डबल है 20 – 25 लाख !


139 स्केअर मैल की कुल गाजा पट्टी का क्षेत्रफल ! जो उत्तरपूर्व में इजराइल की तरफ से दो दिशाओ के तरफ से 25-30 फीट उंची कांक्रीट की दिवारों से घीरा हुआ है ! और पश्चिमी दिशा में भुमध्य सागर और नूकिले हिस्से में इजिप्त के हिस्से की रफा बॉर्डर है ! गाजा पट्टी की कुल मिलाकर साइज बनती है ! अमेरिका की राजधानी वॉशिंग्टन डी सी की साइज से डबल ! और जनसंख्या में वॉशिंग्टन डीसी से तिगुनी है ! मतलब विश्व के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में गाजा पट्टी की गणना होती है !
और उसीका आधा हिस्से को, अब इजराइल खाली करो बोल रहा है ! मतलब पहले से ही गाजा विश्व की सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में शुमार है ! और अब आधे बचे हुए हिस्से में, 23 लाख से अधिक लोगों को डालने की इजराइल की धमकी से लगता है ! कि इसीलिए 7 अक्तुबर के दिन तथाकथित हमास केद्वारा हमला करवाया था क्या ? क्योंकि हमास को पैदा करने वाले भी इजराइल ही है ! नब्बे के दशक में यासर अराफात के पी एल ओ का प्रभाव कम करने के लिए इजराइली एजेंसी मोसाद ने हमास को पैदा करने की साजिश की है ! अब उसे आतंकवादी संगठन बोल रहे है ! लेकिन इस आतंकी संगठन को समय-समय पर पालने पोसने का काम कौन कर रहा है ?


हमारे गाजा पट्टी में रहने के समय, 2011 के एक जनवरी से छ जनवरी तक,के समय में बाकायदा चुनाव के द्वारा चुनी गई, हमास की सरकार थी ! और ‘इस्माइल हनिया’ वहां के प्रधानमंत्री थे ! जो अभी अभी इरान के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मोसाद के द्वारा आतंकवादी हमले में मारे गए हैं ! हमें गाजा की संसद को संबोधित करने का भी मौका मिला है ! जो हमारे देश के किसी भी नगरपालिका के हॉल जैसे ही लगी ! और श्याम को प्रधानमंत्री ‘इस्माइल हनिया’ के सरकारी आवास पर जो हमारे देश के संसद सदस्य के लुटेन्स दिल्ली के सरकारी आवास के जैसा ही था ! भोजन के लिए भी बुलाया गया था ! और उस भोजन समारोह में इस्माइल हनिया होस्ट के नाते सभी मेहमानों को एक – एक करते हुए मिल रहे थे तभी वह मेरे पास आने के बाद मैंने उन्हें कहा कि जब तक फिलिस्तीन के सवाल को इस्लामिक सवाल बोलते रहेंगे तबतक फिलिस्तीन की समस्या को पूरे विश्व का समर्थन नहीं मिलेगा इसे विएतनाम के समस्या के जैसे ही मानवाधिकार की समस्या के रूप में रखकर ही हम संपूर्ण विश्व का समर्थन पा सकते हैं तो तपाकसे उन्होंने अपने अरबी सभ्यता के अनुसार मुझे गले लगाते हुए, और मेरे दोनों गाल तथा कपाल की पप्पी लेते हुए कहा कि “बिल्कुल हमारी भी कोशिश यही है ! और मुझे खुशी हो रही है कि आप भारत फिलिस्तीन सॉलिडॅरिटी फोरम के अध्यक्ष भी यही ख्याल रख रहे हैं ! ”
लगभग एक सप्ताह के दौरान गाजा पट्टी के सभी क्षेत्रों में जाने का मौका मिला था ! और मुझे रह रहकर आस्चर्य लगता रहा था ! कि आधी से भी अधिक इमारतों में इजराइल के हमलों के वजह से टूटे हुए मकान ! और कुछ लोग ऐसे ही मकानों में रहते हुए देखा हूँ ! और बगल से इजराइल कभी भी मोर्टार या रॉकेट से हमला कर सकता है ! साक्षात मौत के साये में जी रहे हैं ! कभी भी कुछ हो सकता है ?


इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा था कि “गाजा दुनिया की सबसे खुली जेल है !” गाजा की आधी आबादी अठारह साल से कम उम्र के लोगों की है ! डिफेंस फॉर चिल्ड्रेन इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार गाजा में पिछले अठारह साल में एक हजार से अधिक बच्चों ने अपनी जान गवाई है ! आगे रिपोर्ट में कहा गया है कि आधे से अधिक बच्चे आत्महत्या के विचारों से जुझ रहे हैं !


1 इजराइली बनाम बीस फिलिस्तीनी मौत का अनुपात है ! तो इजराइल की आबादी 93 लाख और क्षेत्रफल 22 हजार वर्ग किलोमीटर है ! तो फिलिस्तीन की कुल जनसंख्या 49 लाख ! और क्षेत्रफल 6 हजार वर्ग किलोमीटर है ! इजराइल का जीडीपी 40 लाख करोड़ रुपये है ! और फिलिस्तीन का 3700 रुपये ! प्रति व्यक्ति आय इजराइल की 44000 रुपये है ! तो फिलिस्तीन की 3700 रुपये ! जीवन प्रत्याशा दर इजराइली का 82 वर्ष का है ! तो फिलिस्तीनी का 74 वर्ष है ! बेरोजगारी का अनुपात, इजराइल में 3 प्रतिशत है ! तो फिलिस्तीन का 24 प्रतिशत ! गरीबी रेखा का अनुपात, इजराइल में 03 प्रतिशत है ! तो फिलिस्तीन में 24 प्रतिशत है ! कुल मौतों का अनुपात, 2008 से इजराइलीयो का 308 है ! तो फिलिस्तीनीयो की 6407 मौतें हो गई है ! यह आकड़े संयुक्त राष्ट्र के हवाले से लीए गए है !


पिछले साल अक्तुबर के 7 तारीख के बाद शुरू हुए युद्ध में मारे गए लोगों के आंकड़े और गाजा में बच्चों के साथ क्या हो रहा है ? यह मनुष्यता के खिलाफ गुनाह चल रहा है ! क्योंकि गाजा पट्टी में आधी आबादी अठारह साल से कम उम्र के बच्चों की है ! आज वहां पर पानी – बिजली का कनेक्शन इजराइल की सेना ने काट दिया है ! और रफा बॉर्डर पर शेकडो की संख्या में राहत सामग्री के ट्रांसपोर्ट करने वाले ट्रक खड़े है ! लेकिन इजराइल की सेना उन्हें गाजा पट्टी में प्रवेश करने नही दे रही है ! जबकि दुनिया के दादा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन और इंग्लैंड के प्रधानमंत्री श्री ऋषि सुनक खुद अपने तरफसे इजराइल में बेंजामिन नेथ्यानू को मिलकर लौटे हैं !

इसपर से लगता है, कि गोरे लोगो का विश्व के अन्य लोगों के प्रति देखने का रवैया कितना नस्ली भेदभाव का होता है ? यह बात रह- रहकर सिध्द हो रही है ! और भारत जो अपने आप को विश्वगुरु की दौड़ में जोर – जबरदस्ती से शामिल करवाने की कोशिश कर रहा है ! क्या विश्वगुरु को अमेरिका के जैसा बेरहम बेशर्म और संवेदनहीन होना है ?

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