बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अखिलेश सरकार को उत्तर प्रदेश में शराब पर रोक लगाने की चुनौती दी है. किसान मंच केतत्वावधान में उत्तर प्रदेश की महिलाओं द्वारा नीतीश को बुला कर यूपी में भी शराबबंदी आंदोलन का बिगुल फूंके जाने का संदेश यही है कि शराबबंदी का मसला अब सामाजिक आंदोलन के रूप में देशव्यापी हो रहा है. लखनऊ स्थित रवींद्रालय प्रेक्षागृह और रवींद्रालय परिसर में खचाखच भरी भीड़ के बीच जब नीतीश कुमार ने कहा कि अखिलेश जी डरिए नहीं, यूपी में भी शराबबंदी लागू कीजिए, तो लोगों की हर्षध्वनि ने व्यापक सामाजिक आंदोलन की मुनादी दी.
हॉल में पुरुषों के सीट घेर कर बैठने के कारण भारी संख्या में महिलाओं को कॉरिडोर, बरामदे और रवींद्रालय परिसर में इधर-उधर छाया तलाश कर बैठने को विवश होना पड़ा. इस पर तकरीबन सभी वक्ताओं ने खेद व्यक्त किया और कहा कि शराबबंदी का आंदोलन महिलाओं के कारण ही सफल हो रहा है, उनके लिए कुर्सी से लेकर हृदय तक में जगह देनी होगी. किसान मंच से जुड़ी महिला सदस्य देशभर से लखनऊ आई थीं, यहां तक कि रेल आरक्षण नहीं मिलने पर महाराष्ट्र किसान मंच की नेता कविता दमभरे कुछ अन्य महिला सदस्यों के साथ कार ड्राइव कर महाराष्ट्र से लखनऊ चली आईं. उनके इस साहस की नीतीश कुमार समेत सभी वक्ताओं ने सराहना की.
बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी शराबबंदी लागू करने की किसान मंच की मांग पर उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों की महिलाओं के इस कदर भारी संख्या में लखनऊ पहुंचने का सामाजिक असर तो हुआ ही, इस आमद ने राजनीतिक दलों की बेचैनी भी खूब बढ़ा दी. खास तौर पर समाजवादी पार्टी में सुगबुगाहट और बौखलाहट कुछ अधिक ही रही. कार्यक्रम स्थल पर भी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) के अधिकारी और कर्मचारी खासी संख्या में टोह लेते दिखते रहे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कार्यक्रम में आने को लेकर सपा में सरगर्मी इतनी थी कि पार्टी ने पहले से ही कुर्मी मतदाताओं को प्रभावित करने की कवायद शुरू कर दी और इस बेचैनी का फायदा हाशिए पर जा चुके कांग्रेसी नेता बेनी प्रसाद वर्मा ने उठा लिया.
मुलायम ने बेनी को न केवल पार्टी में शामिल कराया बल्कि राज्यसभा तक पहुंचा दिया. राजनीतिक प्रेक्षक बेनी के इस फायदे को नीतीश की लखनऊ में धमक का प्रतिउत्पाद मानते हैं. उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी ने नीतीश कुमार को कुर्मी प्रभाव से जोड़ कर देखने की संकुचन-दृष्टि से काम लिया, जबकि अब नीतीश कुमार का व्यक्तित्व जाति, दल और सियासी केंचुए से बाहर निकल चुका है. किसान मंच के आयोजन में कई प्रमुख वक्ताओं ने भी यह बात कही. सपा के प्रवक्ता व अखिलेश सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी तो बौखलाहट में यहां तक बोल गए कि नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक शक्तियों को मजबूत कर रहे हैं.
ऐसे कई हास्यास्पद कथन सपा प्रवक्ता के मुंह से निकले, मसलन, नीतीश अब ओवैसी और मोहन भागवत की श्रेणी में आ गए हैं, जो राज्य की जनता को गुमराह करने के लिए दौरा कर रहे हैं. राजेंद्र चौधरी ने फिर कहा कि नीतीश ने शराब पर प्रतिबंध की बात की, लेकिन विकास के बारे में एक शब्द भी नहीं बोले.
सपा प्रवक्ता ने बयान देने से पहले इतना भी होमवर्क नहीं किया था कि किसान मंच का कार्यक्रम शराबबंदी को लेकर ही केंद्रित था और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस गैर राजनीतिक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होकर आए थे. कार्यक्रम के पहले राज्य और देशभर के अखबारों में किसान मंच के इस गैर राजनीतिक कार्यक्रम में खबरें विस्तार से प्रकाशित हुई थीं. चौधरी ने बयानोत्साह में यह भी कहा कि बिहार में आग लगी हुई है और वहां के नेता यूपी पर्यटन में व्यस्त हैं. बिहार में जंगलराज है और नीतीश शराब की चर्चा में लगे हुए हैं.
इसी प्रसंग में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के उस बयान को भी जोड़ कर देखा जाना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि शराबबंदी के बाद नीतीश कुमार को हाथ में कटोरा थाम कर घूमना पड़ेगा. रामगोपाल के उस बयान पर नीतीश कुमार ने चुटकी भी ली और कहा, रामगोपाल जी! हम कटोरा लेकर नहीं निकलने वाले हैं. शराबबंदी लागू करने का फैसला काफी सोच-समझकर लिया है. जनहित के काम कठिन तो होते हैं लेकिन शुरू कर दें तो कामयाबी मिलती है. देखा नहीं किस तरह केरल के चुनाव में शराबबंदी अहम मुद्दा बना. तमिलनाडु में जयललिता और करुणानिधि के साथ-साथ अन्य दलों को भी शराबबंदी का आश्वासन देकर ही चुनाव में उतरना पड़ा.
क्या ये सब कटोरा पकड़ने के लिए ऐसा कर रहे हैं? यह समय की मांग है, इसे समझिए नहीं तो देर हो जाएगी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में शराबबंदी सामाजिक परिवर्तन के आंदोलन जैसा असर कर रही है. बिहार में सभी विधायकों ने शराब न पीने का संकल्प लिया है. बिहार के मुख्य सचिव से लेकर तमाम अधिकारी और कर्मचारी तक व डीजीपी से लेकर सभी अधिकारी और सिपाहियों तक ने यही संकल्प लिया है. थानों से भी अंडरटेकिंग ली गई है कि उनके क्षेत्रों में शराब का व्यापार कतई नहीं होगा. शराबबंदी का बिहार के समाज पर यह असर पड़ा कि बिहार के एक करोड़ 19 लाख स्कूली बच्चों ने अपने-अपने अभिभावकों से शराब न पीने का शपथ पत्र भरवाया.
नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार को यूपी में शराब पर पाबंदी लगाने के लिए कहा और यह भी आग्रह किया कि बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगने वाले इलाकों में पांच किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानें न खुलने दी जाएं. नीतीश कुमार ने इसके लिए उत्तर प्रदेश आबकारी कानून के प्रावधानों का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि जहां दो प्रदेश या दो जिलों की सीमा मिलती है उसके पांच किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकान नहीं खुलेगी. नीतीश ने कहा कि इस प्रावधान को बिहार से सटे यूपी के जिलों में लागू कराने का अनुरोध करते हुए बिहार के मुख्य सचिव ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
नीतीश बोले कि वे बिहार में शराबबंदी लागू कर रहे हैं और यूपी अपनी सीमा पर ज्यादा शराब बेच रहा है. हमनें उधर दुकानें बंद कीं तो यूपी के सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की और ज्यादा दुकानें खुल गईं. इस बारे में नीतीश ने यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर सीमावर्ती क्षेत्रों में शराब की बिक्री सीमित करने व निगरानी रखने का आग्रह किया था. लेकिन अखिलेश ने पत्र का जवाब देने का सामान्य शिष्टाचार भी नहीं निभाया. नीतीश ने कहा कि जवाब तो दूर पत्र की पावती (एकनोलेजमेंट) तक नहीं मिली.
बिहार में शराबबंदी कारगर तरीके से लागू करने में नीतीश सरकार को कितनी मशक्कत करनी पड़ रही है, इसे सुनने के बाद राजनीति की दुनिया के कई वरिष्ठ व्यक्तित्वों ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य से देखें तो नीतीश द्वारा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आकर दी गई शराबबंदी की चुनौती के न केवल सामाजिक अर्थ हैं बल्कि इसके गहरे राजनीतिक निहितार्थ भी हैं. नीतीश कुमार जब अखिलेश और रामगोपाल जैसे
नेताओं को शराबबंदी का अर्थशास्त्र समझाते हैं तो उसके पीछे के राजनीतिक अर्थ-संकेत समझ में आते हैं. नीतीश ने जब अखिलेश को साहस देते हुए कहा कि यूपी में भी शराबबंदी लागू करिए तो उन्हें उसका अर्थशास्त्र भी बताया. नीतीश ने कहा कि 16 हज़ार करोड़ के राजस्व के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के 60 हज़ार करोड़ रुपये बर्बाद मत कीजिए. शराबबंदी नुकसान का नहीं, दूरगामी फायदे का सौदा है. यूपी में 16 से 18 हज़ार करोड़ रुपये का राजस्व कमाने के लिए लोगों को 60 हज़ार करोड़ से अधिक की शराब पिलाई जा रही है.
लोग शराब पीना बंद कर दें तो जनता की गाढ़ी कमाई का 60 हज़ार करोड़ रुपया बाजार में लगेगा और अच्छे कामों पर खर्च होगा. उससे कर राजस्व तो बढ़ेगा ही, सामाजिक फायदे भी सामने दिखेंगे, घरेलू हिंसा में कमी आएगी, गांवों में शांति रहेगी, महिलाओं का जीवन और परिवार के अन्य सदस्यों का जीवन सुखमय होगा, सड़क हादसे कम होंगे और अपराध की घटनाओं में कमी आएगी. शराबबंदी से 60 हज़ार करोड़ रुपया बाजार में ही आएगा और उसके टैक्स से राजस्व की कमी पूरी हो जाएगी. नीतीश ने कहा कि शराब का धंधा सामाजिक बुराई है, यह नैतिक व्यापार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट भी यह कह चुकी है कि शराब पीना और इसका व्यापार करना मौलिक अधिकार के तहत नहीं आता.
उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के समक्ष नैतिकता की कसौटी रखते हुए नीतीश ने कहा कि डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे महापुरुषों का केवल नाम ही नहीं लेना चाहिए, बल्कि उनके विचारों के अनुरूप काम भी करना चाहिए. नीतीश बोले, हमारा मजाक उड़ाकर कितने दिन काम चलाइयेगा. लोहिया का नाम लेकर सरकार चलाते हैं, लोहिया का नाम लेते हैं तो लोहिया के कुछ काम भी कीजिए. उनके नाम पर शराबबंदी ही लागू कर दीजिए. हम यहां किसी को परेशान करने या तंग करने नहीं आए हैं, हम तो यह कहने आए हैं कि जो हमने किया उसे आप भी करिए, क्योंकि यह समाज के भले के लिए जरूरी है. आमदनी की चिंता मत करिए, यूपी में भी शराबबंदी लागू कीजिए.
इससे सरकारी खजाने को जितना घाटा होगा उससे ज्यादा लाभ आपको मिलेगा. नीतीश ने संकेतों से यह जाहिर किया कि शराबबंदी के सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक फायदे क्या हैं. उन्होंने इसके लिए अखिलेश का साहस बढ़ाने के भाव से कहा कि साहस तो करिए, बिहार में भी जब शराबबंदी लागू की गई थी, तो पीने वालों से लेकर धंधा करने वालों और उन्हें संरक्षण देने वालों को कुछ दिन परेशानी हुई, लेकिन उसके बाद सब शांत हो गए.
नीतीश ने शराबबंदी के बाद के बिहार और आज के यूपी के समाज की तुलना करने की भी चुनौती दी और कहा कि तुलना करा लीजिए, जांच दल भेज दीजिए. शराबबंदी के बाद से बिहार के लोगों को जो खुशी मिल रही है, वह सामने है. सड़क दुर्घटनाओं से लेकर अपराध तक में कमी आई है. नीतीश ने कहा कि शराब पीकर घरों में विवाद, झगड़ा और घरेलू हिंसा करने वाले पति अब बदली हुई स्थिति में समय पर घर पहुंचते हैं, परिवार के साथ रहते हैं और खाना बनाने में पत्नी का हाथ भी बंटाते हैं. नीतीश बोले कि बिहार में शराबबंदी कारगर करने में महिलाओं की बड़ी भूमिका है.
नीतीश ने कहा कि 1915 के बिहार एक्साइज एक्ट (आबकारी कानून) में संशोधन कर अवैध शराब बनाने और बेचने वालों को फांसी और शराब पीकर उत्पात मचाने वालों को 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. सरकार की तरफ से बिहार की महिलाओं से कहा गया है कि कहीं भी चोरी-छिपे अवैध शराब की भट्ठी चलती देखें तो उसे तोड़ दें, सरकारी तंत्र उनका साथ देगा, क्योंकि भावी पीढ़ी की खुशहाली के लिए शराबबंदी जरूरी है. अब कोई भी राज्य इससे बच नहीं सकता. इसलिए सबको समय रहते चेत जाना चाहिए. नीतीश ने कहा कि शराबबंदी को लेकर जैसा समर्थन उन्हें उनके राज्य में मिला, वैसा ही जन समर्थन उन्हें उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी मिल रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि देश के अन्य राज्यों में भी इस सामाजिक आंदोलन को व्यापक परिणामकारी जन समर्थन प्राप्त होगा.
देश के वरिष्ठ पत्रकार और चौथी दुनिया के प्रधान संपादक व पूर्व सांसद संतोष भारतीय की अपील पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भरोसा दिया कि शराबबंदी आंदोलन से लेकर किसानों के मसले और खनन व
भू-माफियाओं के खिलाफ चलने वाले संघर्ष में वे हर कदम साथ देंगे. संतोष भारतीय ने कहा भी कि मैं यहां पत्रकार के नाते या चौथी दुनिया का संपादक होने के नाते नहीं, बल्कि किसान परिवार का सदस्य होने के नाते निवेदन करने आया हूं. क्योंकि नीतीश जी से किसानों की क्या आशाएं हैं उसे नीतीश जी को जानना जरूरी है. महिलाओं के लिए उन्होंने ऐतिहासिक काम किया है. महिलाओं को उन्होंने घर की चारदीवारी से निकाल कर राजनीति की अगली कतार में खड़ा कर दिया है. इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं.
संतोष भारतीय ने कहा कि नीतीश कुमार का शराबबंदी का आंदोलन सिर्फ शराबबंदी का आंदोलन नहीं है, गांधी जी का शराबबंदी का आंदोलन केवल शराबबंदी के आंदोलन तक सीमित नहीं था. गांधी ने उस आंदोलन के जरिए महिलाओं को आजादी की लड़ाई के साथ जोड़ दिया. उसी तरह नीतीश जी शराबबंदी आंदोलन के जरिए महिलाओं को समाज परिवर्तन और राजनीतिक परिवर्तन की लड़ाई की अगली कतार में खड़ा करना चाहते हैं. महिलाएं अगर विकास के काम पर नजर रखेंगी तो सटीक और बेहतर परिणाम सामने आएंगे. नीतीश जी से बात करते हुए मुझे यह झलक भी मिली है कि बिहार में विकास के काम पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी भी महिलाओं को सौंपी जा सकती है. यह कमाल का काम बिहार करने जा रहा है. यह काम सम्पूर्ण भारतवर्ष में होना चाहिए.
संतोष भारतीय ने कहा कि देश के तमाम राजनीतिक नेताओं पर नजर डालें, जिनके ऊपर जिम्मेदारी है समाज परिवर्तन की, उनमें ऐसा कोई नहीं दिखाई देता जो हर आदमी से संवाद कर सके, हर आदमी से लोगों की समस्याओं पर चर्चा कर सके. नीतीश कुमार अकेले ऐसे व्यक्ति दिखाई देते हैं जो देश समाज के विकास और एकजुटता के लिए मुलायम से भी बात कर सकते हैं, लालू यादव से भी बात कर सकते हैं, मायावती से भी बात कर सकते हैं और नरेंद्र मोदी से भी बात कर सकते हैं. किन सवाल पर… जो देश के सवाल हैं, देश के सवाल क्या हैं…
देश का पहला सवाल शराबबंदी है और दूसरे सवाल किसानों को उनकी फसलों का उचित मुआवजा दिलाना है. किसान के बेटों को नौकरी दिलाना है, गांवों में रोजगार के अवसर सृजित करना है. ये सवाल नीतीश के समक्ष राष्ट्रीय योजना के सदृश हैं. इस योजना पर कोई बात कर सकता है तो अकेले नीतीश कुमार कर सकते हैं, यह हमें दिखाई दे रहा है. नीतीश कुमार में लोगों को वीपी सिंह की छवि दिखाई देती है. जैसा शेखर दीक्षित ने कहा, सही कहा कि वीपी सिंह की कोमलता, उनकी
लगनशीलता, उनकी कल्पनाशीलता नीतीश कुमार में नजर आती है और लोगों के लिए मरना दिखाई देता है. उसे हम कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं. वीपी सिंह अपने आखिरी दिनों में भी अपना खून डायलिसिस कराते थे और समाज के बीच निकल पड़ते थे. नीतीश कुमार के सारे कार्यक्रम लोगों के लिए होते हैं, लोगों के बीच में होते हैं, लोगों के लिए वे घूम रहे हैं. कोई दूसरा नेता ऐसा नजर नहीं आता जो इस तरह का हो. देश के आम लोगों को बहुत धोखे मिले हैं. उनका भरोसा नीतीश कुमार के प्रति फिर से जागा है.
ऐसे में नीतीश कुमार को यह वादा करना ही चाहिए कि सामाजिक न्याय, गैर बराबरी, किसानों की लड़ाई और शराबबंदी के जरिए महिलाओं को राजनीति में लाने का अभियान पूर्णाहुति तक जारी रहेगा. नीतीश कुमार अब पार्टी की सीमाओं से काफी विस्तार ले चुके हैं, अब वे देशभर के लोगों, महिलाओं, किसानों और युवकों के बीच जा चुके हैं. नीतीश कुमार अब जहां जा रहे हैं, वहां आशा की लौ जाग रही है. उनकी आंखों में अब आंसू न आए, यह वादा उन्हें मिलना ही चाहिए.
यूपी में शराबबंदी लागू करने और उस लड़ाई के साथ भूमाफियाओं के खिलाफ संघर्ष को जोड़ने की मांग पर किसान मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जदयू के वरिष्ठ नेता व सांसद केसी त्यागी ने बिहार में शराबबंदी लागू करने के लिए नीतीश को युग पुरुष बताया और कहा कि महात्मा गांधी से लेकर देश में जितने भी महापुरुष हुए, चाहे वे विनोबा भावे हों या जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई हों या चौधरी चरण सिंह या कर्पूरी ठाकुर सब लोगों का यही सपना था कि देश शराब से पूर्ण रूप से मुक्त हो, समाज में वैमनष्यता न हो और सबको सबका अधिकार मिले. आज के समय में उन नेताओं का असली वंशज या उत्तराधिकारी होने लायक अकेले नीतीश कुमार हैं.
यही वजह है कि उन्हें देशभर का प्रेम और समर्थन प्राप्त हो रहा है. उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों के विभिन्न महिला संगठन और महिला मोर्चा की सदस्याएं नीतीश कुमार को सम्मानित कर रही हैं. इसकी शुरुआत झारखंड के धनबाद से हुई. उसके बाद किसान मंच द्वारा लखनऊ के रवींद्रालय में यह अभूतपूर्व स्वागत किया जा रहा है.
इसी तरह के कई कार्यक्रम राजस्थान, उत्तराखंड और ओड़ीशा व कुछ अन्य राज्यों में भी होने जा रहे हैं. जदयू नेता ने कहा कि बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश समेय अन्य राज्यों में भी शराबबंदी को लेकर व्यापक मुहिम चलाए जाने की तैयारी है. 16 कलाकारों का एक दल उत्तर प्रदेश में जगह-जगह जाकर नुक्कड़ नाटक और अन्य माध्यमों के जरिए लोगों को शराब के प्रति जागरूक करेगा. त्यागी ने कहा कि शराबबंदी के लिए आंदोलन के साथ-साथ यूपी में किसानों को उनकी फसलों की कीमत, किसानों की आत्महत्याएं, भुखमरी, खनन और भू-माफियाओं के खिलाफ किसान मंच के अभियान को भी तेज किया जाएगा.
महिलाओं की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में कुर्सियों पर काबिज पुरुषों पर कटाक्ष करते हुए केसी त्यागी ने भी कहा कि मूलतः यह कार्यक्रम महिलाओं के द्वारा और महिलाओं के लिए आयोजित है, लेकिन पुरुष प्रधान समाज का अगर असली रूप देखना हो तो इस कार्यक्रम में देखने को मिलता है.
महिलाओं के लिए जो कार्यक्रम आयोजित किया गया वे अधिकांशतः बाहर बैठी हैं और जिनके विरुद्ध आयोजित किया गया, वह सब अंदर बैठे हैं. शराब पुरुष ही अधिक पीते हैं तो शराबबंदी का आंदोलन महिलाओं का ही है. किसान मंच की सराहना करते हुए त्यागी ने कहा कि वीपी सिंह की अगुवाई वाले किसान मंच ने दादरी में कौड़ियों के मोल रिलाएंस को दी गई किसानों की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ कानूनी से लेकर सामाजिक लड़ाई तक लड़ी और रिलाएंस को उस मामले में अपने पैर पीछे खींच लेने को विवश होना पड़ा. वीपी सिंह जिस समय देश के प्रधानमंत्री थे उस समय नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के सदस्य थे. उस समय वे और संतोष भारतीय दोनों सांसद थे.
जयप्रकाश आंदोलन में भी सब साथ रहे और सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय के संघर्षों में साक्षी और साझीदार दोनों रहे. त्यागी ने बिहार में शराबबंदी को भी वैसा ही जन आंदोलन बताया, जिसकी पराकाष्ठा यह है कि कोई पति शराब पीता हुआ पाया जाता है तो उसकी पत्नी थाने में सूचना देकर अपने पति को गिरफ्तार करा देती है. त्यागी ने गुजरात के कुछ व्यापारियों के पटना के होटल में शराब पीते पकड़े जाने का वाकया सुनाया और कहा कि गिरफ्तारी की खबर गुजरात में इस तरह प्रकाशित की गई कि जैसे नीतीश ने राजनीतिक वैमनष्यता में गुजरात के व्यापारियों को गिरफ्तार कराया हो.
असलियत ऐसे उजागर हुई कि व्यापारी की पत्नी ने ही कहा कि नीतीश कुमार को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने मेरे शराबी पति को पकड़ा. देशभर में बन रहे ऐसे प्रभाव के कारण ही पार्टियों को और राज्य सरकारों को परेशानी हो रही है, लेकिन वे निश्चिंत रहें, हम उनकी रोजी-रोटी पर लात मारने नहीं आए हैं. हम तो केवल यह समझाने आए हैं कि शराब एक सामाजिक बुराई है.
शराब का धंधा करने वालों द्वारा नीतीश को काला झंडा दिखाने की चर्चा का हवाला देते हुए त्यागी ने कहा, मैंने सुना कि शराब का धंधा करने वाले नीतीश को काला झंडा दिखाने की तैयारी कर रहे थे. काले झंडे तो गांधी जी को भी दिखे, नेहरू को भी दिखे, जयप्रकाश को भी दिखे, वीपी सिंह को भी दिखे. ऐसे महापुरुषों के लिए तो काले झंडे नजर का टीका हैं, यह तो नीतीश कुमार जी के लिए अत्यंत शुभ संकेत हैं. त्यागी ने कहा कि सत्ता किसी की भी हो, नीतीश ने जो आग लगाई है वह पूरे देश में फैलेेगी और वह दिन आने वाला है जब वोट उसे ही मिलेगा जो शराब पर रोक लगाने का ठोस वादा करके चुनाव मैदान
में उतरेगा.
किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सिंह ने हॉल की कुर्सियों पर काबिज पुरुषों पर प्रहार से ही अपनी बात शुरू की. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम बिहार में शराबबंदी लागू करने वाले नीतीश कुमार जी के सम्मान के लिए महिलाओं द्वारा आयोजित है. लेकिन देखिए महिलाओं की क्या स्थिति है, कुर्सी पर पुरुषों ने कब्जा कर रखा है. महिलाएं गैलरी में, तो बाहर पेड़ के नीचे बैठी हैं. लड़ाई वो लड़ती हैं, शराब के खिलाफ मुहिम वो चलाएंगी, आपको उनके साथ चलना था, लेकिन कहीं न कहीं आप लोग जो घर में करते हैं, वही इस कार्यक्रम में भी कर दिखाया. विनोद सिंह ने आगाह किया कि आगे से ऐसा मत करें.
अगर महिलाओं को सम्मान देंगे तो निश्चित रूप से आपकी यह मुहिम आगे बढ़ेगी. जब महिलाएं आगे निकलेंगी, महिला मुहिम चलाएंगी, तो आपकी मुहिम शराब के साथ किसानों के सवालों को लेकर आगे बढ़ेगी. तब चलेगा खनन माफिया के खिलाफ संघर्ष, तब चलेगा कारपोरेट घरानों के खिलाफ संघर्ष. लड़ाई को धार लाने के लिए महिलाओं को आगे करना होगा. जिस तरह राजनीतिक दल दिखाते हैं, उस तरह काम नहीं करना है. 50 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी की बात करते हैं, लेकिन महिलाओं को बैठने के लिए
भागीदारी क्यों नहीं दिखाते. किसान मंच के कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों के जुटने से उत्साहित किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि लखनऊ में ऐसा कार्यक्रम करना पैसे का खेल होता है. लेकिन ऐसी अंधी रेस के दौर में किसान मंच का कार्यक्रम मिसाल है. लोग अपने साधनों से आए. महिलाएं अपने साधनों से आईं. विनोद सिंह ने ऐलान किया कि किसान मंच शराबबंदी के पक्ष में और खनन व
भू-माफियाओं के खिलाफ अभियान को पूरे उत्तर प्रदेश में और देशभर में चलाएगा. सितंबर में देवरिया से दादरी तक की यात्रा निकाली जाएगी. छह महीने के अंदर पूरी ताकत के साथ किसान मंच उभरेगा और आंदोलन शक्तिशाली बनेगा. विनोद सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार में वीपी सिंह का चेहरा दिखाई देता है. सामाजिक न्याय और ईमानदारी की छवि दिखाई देती है.
देश में एक ही चेहरा है नीतीश कुमार का जिसे किसानों का चेहरा बनना है, दबे कुचलों का चेहरा बनना है, वीपी सिंह के सिद्धांतों पर चलने वाले नीतीश कुमार ने शराब बंद करने का जोखिम उठाया. अब यूपी में भी शराब पर पूर्ण पाबंदी लगनी चाहिए. यूपी में शराब का धंधा एक पौंटी परिवार के हाथों में केंद्रित है. विनोद सिंह ने कहा कि अब यह ज्वार बिहार से उठा है तो यूपी होते हुए दिल्ली तक जाएगा.
महाराष्ट्र से 12 सौ किलोमीटर गाड़ी ड्राइव कर लखनऊ पहुंचीं किसान मंच की नेता कविता दमभरे ने महिलाओं का आह्वान किया कि वे जोश के साथ तब तक आंदोलन चलाएं जब तक कि पूरे देश में शराबबंदी लागू न हो जाए. कविता ने कहा कि महाराष्ट्र के कई जिलों में शराबबंदी का आंदोलन चल रहा है. वर्धा जिले से ही शराबबंदी का आंदोलन शुरू हुआ था, लेकिन महात्मा गांधी के आदर्श को केवल वर्धा तक ही सीमित रख दिया गया.
लेकिन बाद में महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित जिले गढ़चिरौली में भी शराबबंदी का आंदोलन सफल हुआ. चंद्रपुर जिले में शराबबंदी के आंदोलन में कविता भी शरीक रहीं, उस आंदोलन के समक्ष महाराष्ट्र सरकार को झुकना पड़ा. चंद्रपुर में अब शराब पूर्ण रूप से बंद है. कविता बोलीं कि दिन भर खेती करने वाली, रोजगार करने वाली महिलाएं भी आंदोलन में शरीक हैं, ऐसा ही उत्तर प्रदेश में भी हो सकता है. पूरे देश की महिलाएं नीतीश कुमार के साथ हैं. क्योंकि शराब की त्रासदी का शिकार महिलाएं ही होती हैं. महिलाओं को नीतीश कुमार का संरक्षण चाहिए, देशभर की महिलाएं नीतीश कुमार की तरफ उम्मीद से देख रही हैं.
बनारस से आईं डॉ. रितु गर्ग ने भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आह्वान करते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने बिहार की महिलाओं को शराब की त्रासदी से मुक्त कराया है, उसी तरह वे उत्तर प्रदेश में भी महिलाओं का साथ दें और यही आंदोलन देशभर में फैले. कार्यक्रम का संचालन किसान मंच उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने किया. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के काफी करीबी रहेशेखर ने भी कई बार वीपी सिंह को स्मरण किया और कहा कि नीतीश कुमार जी के साथ वे जब गाड़ी से आ रहे थे तो उनकी बातें सुन कर उन्हें वीपी की याद आ रही थी. शेखर गाड़ी ड्राइवर करते थे और वीपी बगल में बैठे हुए देश समाज के बारे में बताते रहते थे.
किसान मंच की यूपी प्रभारी रिचा चतुर्वेदी और महाराष्ट्र प्रभारी कविता दमभरे के नेतृत्व में महिलाओं ने स्मृति चिन्ह देकर नीतीश कुमार को सम्मानित किया. इसके पहले किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने बड़ी तादाद में अमौसी एयरपोर्ट पहुंच कर वहां नीतीश कुमार का स्वागत किया.
वीवीआईपी गेस्ट हाउस में भी कई महिला प्रतिनिधिमंडल से नीतीश कुमार की मुलाकात हुई. बिहार में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के सिलसिले में आईएफडब्लूजे के प्रतिनिधिमंडल ने भी नीतीश से मिलकर ज्ञापन सौंपा. नीतीश लखनऊ के अम्बेडकर महासभा भी गए और वहां डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अस्थिकलश पर पुष्पांजलि अर्पित की. नीतीश को वहां भी स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया.
भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी लागू कराएं मोदी
नीतीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी लागू कराएं. नीतीश ने तर्क दिया कि गुजरात राज्य में उसके स्थापना काल से ही शराबबंदी लागू है. नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए वहां शराबबंदी समाप्त नहीं की, इसका मतलब है कि मोदी भी शराबबंदी के पक्षधर हैं. तब तो उन्हें भाजपा शासित राज्यों में भी शराबबंदी फौरन लागू कराना चाहिए.
किसान मंच के नेताओं को दी गई जान से मारने की धमकी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिल कर उत्तर प्रदेश में भी बिहार की तर्ज पर शराबबंदी का अभियान चलाने की घोषणा से परेशान तत्वों ने किसान मंच के नेताओं को फोन पर धमकियां दीं और आयोजन से अलग रहने को कहा. फोन पर धमकी देने वालों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी गालियां दी और किसान मंच के नेता को गोली मारने की धमकी दी.
किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सिंह ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए कहा कि इस तरह की धमकियों के एक दर्जन से अधिक मामले लखनऊ, सरोजनी नगर, बाराबंकी समेत कई जिलों और शहरों में दर्ज कराए गए हैं. लखनऊ पुलिस ने ऐसे कई फोनों की सर्विलांस में पाया कि उनमें से कुछ भाजपा नेताओं के नम्बर थे. मामले की तफ्तीश चल रही है. कई धमकीबाजों ने इस अभियान को न चलाने की चेतावनी देते हुए अंजाम भुगत लेने की बात कही थी. पुलिस का कहना है कि कुछ लोगों को जल्दी ही गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
काले झंडे दिखाए नहीं, पर अखबारों में छप जरूर गए
यूपी में भी शराबबंदी लागू करने की मांग पर लखनऊ में आयोजित किसान मंच के कार्यक्रम में शरीक होने वाले नीतीश कुमार को शराब व्यापारियों द्वारा काला झंडा दिखाने की तैयारी की चर्चा थी. नीतीश के आने से लेकर कार्यक्रम समाप्त होने तक काला झंडा तो कहीं नहीं दिखा, पर चर्चा जरूर होती रही. यह चर्चा नीतीश के कानों तक भी पहुंची. उन्होंने भी कहा कि सुना तो, लेकिन कहीं देखा नहीं. लेकिन अगले दिन विडंबना कई प्रमुख अखबारों में दिखी. शराब का धंधा करने वाले लोगों द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काला झंडा दिखाने की खबरें प्रमुखता से छपीं. एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार समेत कई अन्य स्वनामधन्य अखबारों में ये खबरें विडंबना की तरह चिपकी हुई मिलीं और शराब माफियाओं की असली औकात का एक और आयाम उजागर कर गईं.
एलआईयू के एक अधिकारी ने कहा कि शराब एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं ने नीतीश को काला झंडा दिखाने की तैयारियों का हौव्वा बनाया था. कानपुर रोड के पास उन लोगों ने ऐसी जगह पर नारे लगाने और काला झंडा दिखाने की औपचारिकता की जो नीतीश कुमार के रूट में नहीं था. अखबारों में उसी प्रहसन को खबर का रंग देकर छपवा लिया गया.
शराब लॉबी की ताकत जानते हैं नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराब लॉबी की ताकत वे अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन वे लॉबी के आगे झुकना नहीं जानते. नीतीश ने कहा कि लखनऊ आने पर उन्हें कुछ लोगों ने जानकारी दी कि शराब व्यवसाय से जुड़े कुछ लोग काले झंडे दिखाने की तैयारी कर रहे हैं. नीतीश ने कहा कि पता नहीं काला झंडा दिखाया या नहीं. बिहार में तो शराब का धंधा करने वालों ने धरना तक दे दिया था.
पहले तो दबाव बनाने का काम किया, लेकिन झुकने का सवाल ही कहां था, तब खुद झुके और कहा कि शराब की दुकान बंद हो जाएगी तो हम बेरोजगार हो जाएंगे. हमने उनसे कहा कि शराब का काम बंद करके दूध का व्यवसाय शुरू कर दें. धंधा का धंधा और स्वास्थ्य का स्वास्थ्य. हमें अच्छी तरह मालूम है कि शराब लॉबी कितनी मजबूत है और वह क्या-क्या करा सकती है. हम तो अब ताल ठोक कर मैदान में उतर ही चुके हैं.
शराबखोरी के खिलाफ गांधीगीरी
शराबबंदी को लेकर लखनऊ में नीतीश कुमार की आमद का कुछ ऐसा असर हुआ कि कुछ अन्य सामाजिक संस्थाएं भी शराब के खिलाफ सड़क पर उतर पड़ीं. शराबखोरी के खिलाफ समाजसेवियों ने गांधीगीरी शुरू की. लखनऊ के मुंशीपुलिया के पास ठेके पर शराब पीने वालों को माला पहनाकर समाजसेवियों ने उन्हें शराब नहीं पीने की नसीहत दी. अभियान की शुरुआत उसी दिन देर शाम मुंशीपुलिया चौराहा स्थित आरोही ऑर्केड से हुई, जिस दिन नीतीश किसान मंच के कार्यक्रम में शरीक होने लखनऊ आए थे.
वहां एक शराब की दुकान के बाहर शराबियों का झुंड शराब पीता दिखा. अभियान में शामिल लोगों के हाथ में फूलों की माला देखते ही शराबी वहां से भाग निकले. पुलिस ने कुछ को पकड़ लिया और संस्था के लोगों ने माला पहनाकर सार्वजनिक स्थल पर शराब न पीने की उन्हें कसम दिलाई.
समाजसेवियों ने खुलेआम शराब पी रहेपॉलिटेक्निक छात्र को भी माला पहनाई. माला पहनाने से वह नाराज हो गया. उसने समाजसेवियों के साथ-साथ वहां मौजूद पुलिस वालों को भी हड़काने की कोशिश की. लेकिन पुलिस ने जब उसका चालान काटा तो फिर उसके होश फाख्ता हो गए. पार्वती पैलेस में एक दुकान के अंदर कई लोग शराब पीते दिखे, जिसका स्थानीय व्यापारियों ने विरोध किया. इसके बाद पुलिस के हस्तक्षेप पर वहां शराबखोरी रुकी.
आजम ने नीतीश को नसीहत दी
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी नसीहत देने से बाज नहीं आए और समाजवादी पार्टी का समर्थन करने की उनसे मांग भी कर डाली. उन्होंने मुस्लिम वोटों के बंटवारे को लेकर नीतीश कुमार को नसीहत दी. आजम खान ने कहा कि नीतीश कुमार मुस्लिम वोटों को बांटने का काम न करें. ऐसा करने से विरोधियों को लाभ मिलेगा. अगर उन्हें अल्पसंख्यकों का भला करना है, तो साथ मिलकर काम करें. आजम ने कहा कि अगर नीतीश कुमार मुसलमानों के शुभचिंतक हैं, तो सपा के समर्थन की घोषणा करें, जिससे विधानसभा चुनाव के बाद सपा की सरकार बनने में आसानी हो.