दिल्ली में सीलिंग का शोर थमता नहीं दिख रहा है. इस मुद्दे पर सियासत भी तेज होती जा रही है. व्यापारियों के भारी विरोध के बावजूद अब तक न तो दिल्ली सरकार इस मसले का कोई हल निकाल सकी है और न ही केंद्र सरकार. दिल्ली और केंद्र की सत्ताधारी पार्टियों के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप जारी है. इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है. वहीं उन्होंने इस मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल करने की भी धमकी दी है.

अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस मुद्दे पर चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने संसद में बिल लाकर इस समस्या के समाधान की मांग की है. साथ ही इस समस्या के समाधान को लेकर बातचीत के लिए मिलने का वक्त मांगा है. वहीं पीएम मोदी को भेजी गई चिट्ठी में केजरीवाल ने लिखा है कि दिल्ली में आजतक व्यापारियों की दुकानें सील की जा रही हैं. ये व्यापारी ईमानदारी से दुकान चलाते हैं और सरकार को टैक्स देते हैं. सीलिंग का कारण कानून में विसंगतियां हैं. इन विसंगतियों को दूर करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. अब इसका एक ही समाधान है, तुरंत संसद में बिल लाकर इन विसंगतियों को दूर किया जाए और हजारों व्यापारियों को बेरोजगार होने से बचाया जाए.

केजरीवाल ने कहा है कि अगर 31 मार्च तक सीलिंग नहीं रोकी गई या केंद्र सरकार अध्यादेश नहीं लेकर आई तो खुद भूख हड़ताल पर बैठ जाऊंगा. गौर करने वाली बात है कि 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण की सीलिंग करने के आदेश जारी किए थे. उसके बाद तत्कालीन सरकार ने दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया. लेकिन कारोबारियों की तरफ से यह चार्ज अदा करने में लापरवाही दिखाई गई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया. इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया, जिसकी देखरेख में अब दुकानों को सील किया जा रहा है.

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