हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए एक ताजा इंटरव्यू में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपने शासनकाल में हुर्रियत नेताओं से कहा था कि वो नई दिल्ली के साथ कोई एग्रीमेंट करके मामले को निपटाएं. क्योंकि भारत एक सुपर पावर है और पाकिस्तान उसे हरा नहीं सकता है. राज्यपाल के अनुसार, मुशर्रफ ने हुर्रियत लीडरों से कहा था कि ना ही भारत और ना ही पाकिस्तान एक दूसरे से जंग बर्दाश्त कर सकते हैं. यह बयान इन दिनों घाटी के सियासी हलकों में बहस का विषय बना हुआ है.
21 अगस्त को जब मोदी सरकार ने अचानक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा को उनके ओहदे से हटाकर उनकी जगह 72 वर्षीय सत्यपाल मलिक को श्रीनगर के राजभवन का चार्ज सौंप दिया, तो ये इम्प्रेशन दिया गया कि श्री मलिक चूंकि बुनियादी तौर पर एक राजनेता हैं, इसलिए वे घाटी के मौजूदा हालात से निपटने में कामयाब साबित होंगे.
गत 51 वर्षीय इतिहास में डॉ. कर्ण सिंह के बाद सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के दूसरे राज्यपाल हैं, जो बुनियादी तौर पर एक राजनेता हैं. कर्ण सिंह के बाद और सत्यपाल मलिक से पहले राज्य में ग्यारह राज्यपाल तैनात हुए, वो सब के सब या तो पूर्व ब्यूरोक्रेट थे या फिर सैन्य अधिकारी. इस बात की उम्मीद सबको थी कि पूर्व राज्यपालों के विपरीत सत्यपाल मलिक राजभवन में बैठने के बावजूद सियासी भाषा में बात करेंगे.
ऐसा हो भी रहा है. केवल दो माह की अवधि में श्री मलिक विभिन्न टीवी चैनलों और अखबारों को दर्जनों इंटरव्यू दे चुके हैं. लगभग हर समारोह में जाकर वे मीडिया के साथ खुलकर बात करते हैं. इस दौरान कई बार उनकी जुबान भी फिसल जाती है और वे विवादों में घिर जाते हैं.
उच्च शिक्षित ही श्रीनगर का मेयर बनाया जाएगा
जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनाव से पहले ही राज्यपाल मलिक ने खुलासा किया कि विदेश से शिक्षा प्राप्त कर चुके उच्च शिक्षित व्यक्ति को ही श्रीनगर का मेयर बनाया जाएगा. ये बात उन्होंने एनडीटीवी को एक इंटरव्यू में बताई. ये सुनकर सब दंग रह गए कि निकाय चुनाव से पहले ही राज्यपाल को ये कैसे पता चल गया कि श्रीनगर का मेयर कौन बनेगा. दिलचस्प बात ये है कि श्रीनगर में जुनैद नाम के एक युवा नेता ने निकाय चुनाव के लिए नामांकन के लिए अपने कागजात दाखिल किए थे.
जुनैद इन चुनावों में भाग लेने वाले एक मात्र व्यक्ति हैं, जो विदेश से शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं. जुनैद इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल थे, लेकिन निकाय चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दिया और भाजपा समर्थित पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के टिकट पर निकाय चुनाव लड़ा. जाहिर है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विदेश से शिक्षा पाने वाले जिस शख्स का हवाला देकर कहा था, वो जुनैद ही थे.
राज्यपाल की चूक पर मीडिया और सोशल मीडिया पर एक हंगामा खड़ा हुआ, जिसे ठीक करने की कोशिश में राजभवन से एक बयान जारी किया गया कि राज्यपाल की बात को प्रसंग से हटकर पेश किया गया है. बहरहाल, राजभवन के इस बयान पर किसी ने यकीन नहीं किया. क्योंकि राज्यपाल के इंटरव्यू का वीडियो मौजूद था. वैसे भी जम्मू-कश्मीर में एक आम तासुर है कि यहां दिल्ली की मर्जी से शासक चुने जाते हैं.
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के पहले भी तत्कालीन रॉ प्रमुख ए एस दुलत से सत्यपाल मलिक जैसी चूक हुई थी. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला होंगे. लेकिन बाद में दुलत ने अपनी गलती को यह कहकर ठीक किया कि चूंकि घाटी के मौजूदा हालात और जनादेश पर उनकी गहरी नजर है, इसलिए उन्होंने अंदाजा लगाया है कि शायद अगले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ही होंगे.
लेकिन श्रीनगर शहर के मेयर के बारे में राज्यपाल अपनी भविष्यवाणी के बारे में इस तरह का औचित्य पेश करने की पोजिशन में भी नहीं थे. उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस जैसे दलों की तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.
जम्मू-कश्मीर बैंक भर्ती प्रक्रिया में धांधली
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ताजा इंटरव्यू में, जो उन्होंने दिल्ली के एक टीवी चैनल को दिया है, सबसे बड़ी कंट्रोवर्सी पैदा कर दी. इस इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया है कि पीडीपी नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के दौरान जम्मू-कश्मीर बैंक भर्ती प्रक्रिया में धांधली करके 582 योग्य उम्मीदवारों का हक मारा गया था. इतना ही नहीं, राज्यपाल ने ये सनसनीखेज खुलासा भी किया कि कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (केएएस) की परीक्षा दिए बगैर ही एक उम्मीदवार को कामयाब करार दिया गया है. जबकि एक ऐसे उम्मीदवार, जिसका एक नंबर कम था, उसे नाकाम करार दिया गया.
राज्यपाल मलिक ने बैंक भर्तियों में धांधलियों के हवाले से बताया कि दरअसल 40 नौजवान उनसे मिलने आए थे, जिन्होंने बताया कि किस तरह से बैंक भर्ती के लिए दी गई परीक्षा में कामयाबी हासिल करने के बावजूद सरकार ने विभिन्न एसेंबली हलकों से अपने लोगों की सूची मंगाकर उन्हें नौकरियां प्रदान कर दी. राज्यपाल ने ये जानने के बाद जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन को तलब किया और उनसे पूछा कि उन 40 नौजवानों के साथ क्यों ज्यादती की गई है.
इसके जवाब में बैंक चेयरमैन ने बताया कि ये केवल 40 लोगों के साथ ज्यादती नहीं हुुई है, बल्कि 582 उम्मीदवारों के साथ ज्यादती हुई है. राज्यपाल ने अपने इंटरव्यू में दावा किया कि बाद में उनके हस्तक्षेप पर ही 582 उम्मीदवारों को नौकरी के आदेश दिए गए. राज्यपाल के खुलासे के कारण जम्मू-कश्मीर के सियासी और अवामी हलकों में खलबली मच गई. लगभग सभी सियासी दलों ने करप्शन के इस सनसनीखेज मामले में जांच कराने की मांग की.
सोशल मीडिया पर नौजवानों ने हंगामा खड़ा कर दिया. इस दौरान जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन मुस्ताक अहमद ने कहा कि बैंक भर्ती की प्रक्रिया पारदर्शी थी. उनके अनुसार, राज्यपाल ने इंटरव्यू में जिन 582 उम्मीदवारों की बात की है वो वेटिंग लिस्ट में थे, जिन्हें बाद में क्लियर किया गया.
हसीब द्राबू, जो गठबंधन सरकार में वित्त मंत्री थे, ने भी एक बयान में राज्यपाल से मांग की कि वे उन लोगों के नाम जाहिर करें, जिनके कहने पर बैंक भर्ती प्रक्रिया में धांधलियां हुई हैं. इसी तरह कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज की परीक्षा आयोजित करने वाले पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन लतीफ ज़मां ने भी राज्यपाल के बयान का खंडन करते हुए कहा कि किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा पास किए बगैर पास नहीं किया गया है.
इन दिनों राज्यपाल के इन बयानों की वजह से जम्मू-कश्मीर में सियासी माहौल गरम है. कुछ हलके राज्यपाल की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उन्होंने करप्शन के एक बड़े मामले को बेनकाब कर दिया है. वहीं कुछ लोग उनपर आरोप लगा रहे हैं कि वे जम्मू-कश्मीर बैंक जैसी बड़ी संस्था की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
युवा पत्रकार माजिद हैदरी ने इस विषय पर चौथी दुनिया से बात करते हुए कहा कि अगर ये आरोप राज्य के किसी राजनेता ने लगाया होता तो कहा जा सकता था कि ये सियासी बुनियाद पर दिया गया बयान है. लेकिन जम्मू-कश्मीर में भर्ती प्रक्रिया में धांधलियों का खुलासा राज्यपाल ने किया है, जो इस वक्त पूरे राज्य के सियाह व सफेद के मालिक हैं. उनकी बात को झूठ या गलत करार नहीं दिया जा सकता है.
राजनाथ सिंह पर भी बयान
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर बैंक में भर्ती प्रक्रिया में धांधलियों का आरोप लगाने से कुछ समय पहले राज्यपाल मलिक ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए ग्रुप मेडिकल क्लेम हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को रद्द कर दिया. ये तीस हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट था और इसे बकौल राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बगैर टेंडरिंग के रिलांयस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को दिया था. दिलचस्प बात यह है कि इस प्रोजेक्ट को अंतिम स्वीकृति खुद राज्यपाल ने ही 31 अगस्त को दी थी.
बाद में उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने उन्हें इस मामले में मिसलीड किया था. राज्यपाल के इस बयान पर पीडीपी लीडर नईम अख्तर ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अगर राज्यपाल, जिनके हाथों में इस समय पूरा राज्य है, उनको अधिकारी गुमराह कर सकते हैं तो इसका मतलब ये हुआ कि हम खतरनाक दौर से गुजर रहे हैं. इधर, 23 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर दौरे के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सबके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.
उन्होंने आश्वासन दिया कि नई दिल्ली, कश्मीर में सबके साथ बातचीत करना चाहती है, लेकिन दूसरे ही दिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बयान देते हुए कहा कि हुर्रियत वालों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी, क्योंकि हुर्रियत वाले पाकिस्तान से पूछे बगैर टॉयलेट भी नहीं जाते हैं. राज्यपाल के इस बयान को सोशल मीडिया पर आलोचना का निशाना बनाया गया. कुछ हफ्ते पहले राज्यपाल ने बातचीत से मुतालिक एक दिलचस्प बयान देते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लोग आजादी और ऑटोनोमी से कम कुछ भी मांग सकते हैं. उनके इस बयान को भी सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया.
पाकिस्तान भैंस और कार बेचकर देश चला रहा है
हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए एक ताजा इंटरव्यू में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपने शासनकाल में हुर्रियत नेताओं से कहा था कि वो नई दिल्ली के साथ कोई एग्रीमेंट करके मामले को निपटाएं. क्योंकि भारत एक सुपर पावर है और पाकिस्तान उसे हरा नहीं सकता है. राज्यपाल के अनुसार, मुशर्रफ ने हुर्रियत लीडरों से कहा था कि ना ही भारत और ना ही पाकिस्तान एक दूसरे से जंग बर्दाश्त कर सकते हैं.
ये बयान इन दिनों घाटी के सियासी हलकों में बहस का विषय बना हुआ है. जबकि सीनियर हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारुख ने इस बात का खंडन किया है कि मुशर्रफ ने हुर्रियत लीडरों को इस तरह की कोई बात बताई थी. मीरवाइज का कहना है कि मुशर्रफ ने ही हुर्रियत लीडरों के साथ चार सूत्री फार्मूला डिस्कस किया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के दोनों इलाकों यानी आर-पार में सैन्य वापसी और कंट्रोल लाइन पर आने-जाने को आसान बनाने की बातें शामिल थी.
पाकिस्तान से संबंधित एक और बयान देते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 31 अक्टूबर को कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भैंसे और कारें बेचकर देश चला रहे हैं. राज्यपाल का कहना था कि पाकिस्तान में बहुत मायूसी है. उनके यहां इतनी समस्याएं हैं कि वे भैंसे और कारें बेचकर देश चला रहे हैं. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने अपना ओहदा संभालने के बाद एक मुहिम चलाई थी, जिसके तहत महंगी गाड़ियां और वजीरे आजम हाउस में रखी गईं आठ भैसें नीलामी में बेची गईं.
उमर और महबूबा की निजी बातचीत
राज्यपाल सत्यपाल मलिक का एक बयान ये भी था कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती निजी बातचीत में ये मानते हैं कि नौजवानों को इनकाउंटर साइट पर जाकर सुरक्षा बलों पर पथराव नहीं करना चाहिए. ये बयान राज्यपाल ने एक राष्ट्रीय समाचार पत्र को इंटरव्यू में दिया है. इसपर उमर अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया देते हुए सोशल साइट पर लिखा कि राज्यपाल किस निजी बातचीत का हवाला दे रहे हैं. उन्हें कैसे पता है कि मैं किस चीज के बारे में क्या राय रखता हूं. क्या मेरा फोन टेप हो रहा है? क्या मेरे घर और ऑफिस की निगरानी हो रही है?
राज्यपाल का प्रशासन हाल ही में उस समय एक विवाद में उलझते-उलझते रह गया, जब चार अक्टूबर को राज्यपाल प्रशासन ने एक आदेश जारी करते हुए स्कूलों, कॉलेजों और पब्लिक लाइब्रेरियों से कहा कि वो हिन्दू धर्म की दो पवित्र पुस्तकें भगवद गीता और रामायण के उर्दू अनुवाद वाली कॉपियां काफी संख्या में खरीदें.
इस पर विभिन्न सियासी और आवामी हलकों ने राज्यपाल प्रशासन की आलोचना की. उमर अब्दुल्ला ने सवाल पूछा कि अगर स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी लाइब्रेरियों में किताबें उपलब्ध कराने की जरूरत है तो फिर एक विशेष धर्म की किताबें ही क्यों? बाकी धर्म की क्यों अपेक्षा की गई? इसके बाद राज्यपाल प्रशासन ने इस आदेश को वापस ले लिया. जाहिर है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर में आए दिन अपने बयानों से माहौल को गरमा रहे हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि जम्मू-कश्मीर एक संवेदनशील राज्य है और यहां हर मामले को सियासी चश्मे से देखा जाता है.