पीटीआई को दिए गए साक्षात्कार में ( शायद प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार ! और जी 20 के अवसर पर विदेशी मेहमानों को दिखाने के लिए भी हो सकता है !! ) हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी ने आंतरराष्ट्रीय कर्ज के संकट के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ” दुनिया के विशेषतः विकसनशील देशो के लिए यह बहुत ही चिंता का विषय है ! जो मुल्क कर्जा के संकट से गुजर रहे हैं ! उनके लिए आर्थिक अनुशासन के महत्व की वकालत करते हुए, उन्होंने मुख्य सचिवों की राष्ट्रीय परिषद हो या ऐसा कोई भी मंच हो, मैंने अक्सर कुछ दलों ने ऐसी लोकलुभावन आर्थिक लाभ की घोषणाओ को लेकर कहा है कि, वह देश की आर्थिक स्थिति को लंबे समय के लिए हानिकारक है ! ( दुसरे को करे तत्वज्ञान, खुद शुष्क पाषाण ! )
और खुद पांच किलो अनाज के साथ एक हजार रुपए बाटना ! तथा राखी के त्योहार की आड़ में घरेलू गैस जिसके दाम खुद सत्ताधारी बनने के बाद चार गुना बढ़ा दिया ! और चुनावों की घोषणा करने के पहले, सिर्फ पांच दिनों पहले हमारे बहनों को राखी का उपहार बोलते हुए देश के सभी अखबारों के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित विज्ञापन में खुद के फोटो के साथ ! दो सौ रुपये की सहुलियत देने से भारत की अर्थव्यवस्था को हानि नहीं पहुंचेगी ?


2013 के लोकसभा चुनाव के प्रचार में, “मै अगर प्रधानमंत्री बना तो, स्विस बैंक से काला धन वापस लाने के बाद, हरेक बैंक खाता धारक के खाते में, पंद्रह लाख रुपये जमा कर दुंगा ! और इस घोषणा को अब अमित शाह बोल रहे है ! कि “वह चुनावी जुमला था ! चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा बहुत कुछ बोला जाता है !” मतलब हमारे देश के चुनाव आयोग ने बनाई हुई आचारसंहिता गई तेल लाने के लिए ! और संविधानिक पदो पर बैठे हुए लोगो के द्वारा धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है ! और वह भी भावी प्रधानमंत्री के मुहंसे ? और वर्तमान गृहमंत्री उस बात के समर्थन में कह रहे हैं ! कि “चुनाव के दौरान ऐसी जुमलेबाजी होते रहती है !” किस प्रकार की पार्टी वुईथ डिफरंस है ?
आज खुद प्रधानमंत्री पदपर है ! तो “लोकलुभावन योजनाओं की वजह से हमरी अर्थव्यवस्था की वित्तीय अनुशासन की वकालत करते हुए ! गैरजिम्मेदार, लोकलुभावन आर्थिक घोषणाओ से अल्पकालिक राजनीतिक लाभ तो मिल सकता है ! लेकिन भविष्य में बहुत बडी आर्थिक और सामाजिक किमत देश को चुकानी पडेगी ! और उसके परिणाम सबसे ज्यादा गरीब और सबसे अधिक असुरक्षित लोगों को भुगतने पडते हैं ! ”

तो यह बात 2016 के 9 नवंबर को भारत के मंत्री परिषद से लेकर, वित्तविभाग के मंत्री से लेकर, वित्त सचिव को ! अंधेरे में रखकर जो तथाकथित नोटबंदी की घोषणा कौनसी वित्तीय अनुशासन के तहत की थी ? और उस घोषणा के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में कौनसी वृद्धि हुई है ? कितना कालाधन वापस आया है ? यह जानकारी देश को अधिकृत रूप से क्यों नहीं बताया गया ?


और शेकडो लोगों को हड्डी तोड ठंड में पुराने नोट बदलने के लिए ! कतारों में खड़े रहते हुए, जाने चली गई ! भले ही जबरदस्ती से, खुद की नब्बे साल की मांको भी अपनी गलती को छुपाने के लिए ! कतार में खड़े करने से आपने मोहम्मद तुघलक के जैसा लिया हुआ निर्णय सही नहीं ठहरा ! उसने भारत की आर्थिक कमर तोड़ने का गुनाह आपने किया है ! आज देश की आर्थिक बदहाली के लिए आपका यह निर्णय भी एक कारक तत्व है !
और यह बात ज्यादा तर वित्तीय जानकारों, जिसमें रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराजन से लेकर, अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किए गए !वैश्विक स्तर के अर्थशास्त्री श्री. अमर्त्य सेन जैसे लोगों ने तक कहा है ! “कि यह कदम देश की आर्थिक स्थिति को और अधिक रसातल में ले जायेगा !” और बिल्कुल उनकी भविष्यवाणी के अनुसार लाखों छोटे उद्योग खत्म हो गए ! और जिन गरीब और असुरक्षित लोगों के प्रति प्रधानमंत्री पीटीआई के साक्षात्कार में बहुत ही संवेदनशील होकर कह रहे हैं ! कि इस तरह की घोषणाओं की सब से बड़ी किमत उन्हें चुकानी पड़ती है ! तो नोटबंदी के बाद भारत में वित्तीय संकट के वजह से कितनी बड़ी किमत, और किसे चुकानी पड़ी है ? और इसके लिए जिम्मेदार आप मननीय प्रधानमंत्री महोदय, खुद कौनसी सजा कबूल कर रहे हो ?


फिर उसके बाद आई कोरोना की महामारी में आपने सबसे पहले अमेरिका के पागलपन के शिकार अध्यक्ष के लिए जानबूझकर अहमदाबाद के मोदी स्टेडियम में फरवरी 2020 मे आयोजित जांबोरी में लाखों लोगों को इकट्ठा करके कौनसा कोरोना के नियमों का पालन किया ? और अचानक नोटबंदी के जैसे ही तथाकथित लॉकडाउन की घोषणा कर दी ! जिसके कारण करोडो प्रवासी मजदूरों को भारत के एक कोने से दुसरे कोने में पैदल चलने के लिए मजबूर कर दिया ! जिसमें कई लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा है ! और उनके हाथों का काम चला गया ! लगभग दो साल वह कैसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर हुए ? और उनके पूराने रोजगार के अवसर भी चले गए ! हमारे देश की आर्थिक स्थिति इस प्रकार नष्ट-भ्रष्ट करते हुए आपको तब गरीब और असुरक्षित वर्गों के लोगों की चिंता नही हुई ?


इसि तरह समाज को बांटने वाले तथाकथित नागरिकता विधेयक को लाने से, हमारे देश में जो अफरा-तफरी का माहौल आपने तैयार करने के पिछे शतप्रतिशत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के सिवाय और कोई उद्देश्य नहीं है ! और अभी पीटीआई के साक्षात्कार में आप जातिवाद और जातीयवाद को हमारे राष्ट्रीय जीवन में स्थान नहीं रहेगा ! ऐसा बोल रहे हो! लेकिन आपकी राजनीतिक फितरत सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की रहते हुए यह बात बडी परस्परविरोधी लगती है !


आपने नौ सालों में उन गरीब और असुरक्षित लोगों को और अधिक गरीब और असुरक्षित करने के लिए ! भारतीय मजदूरों के शेकडो सालों के आंदोलनों की वजह से बनाए गए मजदूरों के भलाई के लिए बने, कानूनों को बदलने का कदम उठाने से क्या होगा ? वह और गरीब और असुरक्षित वर्ग और गरीब और असुरक्षित नहीं हुआ ?


वही बात भारत की आधी से अधिक आबादी जिस कृषि क्षेत्र पर अवलंबित है ! और वह कृषि क्षेत्र नब्बे प्रतिशत से अधिक बारिश के मौसम के उपर निर्भर है ! उसके लिए जो भी थोडे बहुत सुरक्षा के लिए कानून पूर्व सरकारोने बनाएं थे ! उन्हें बदलने के समय कौन-सा गरीब ? और असुरक्षित वर्गों का ख्याल आपके दिमाग में था ? जिसे बदलने के लिए किसानों को ठंड, बारिश तथा चिलचिलाती धुपमे शेकडो किसानों की मौत हो गई ! और एक साल से अधिक समय धरना प्रदर्शन शायद विश्व इतिहास का सबसे लंबा और सबसे ज्यादा भागीदारी वाला आंदोलन रहा है ! और उसे करने के लिये मजबूर करते वक्त ! आपको गरीब और असुरक्षित वर्गों का थोडा भी ख्याल नहीं आया ?


कैसे प्रधानमंत्री हो ? इसी साक्षात्कार में कहा है कि “2047 तक हमारा देश विकसित देशों की कतार में खड़े होगा ! और गरीबी के खिलाफ की लडाई हमारे गरीब पूरी तरह से जितेंगे ! स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में होने वाले बदलावों की वजह से दुनिया में सर्वश्रेष्ठ रहेगा ! भ्रष्टाचार, जातिवाद, तथा जातियवाद को हमारे राष्ट्र के जीवन में किसी भी तरह की जगह नही रहेगी ! और आपके तथाकथित पार्टी वुइथ डिफरंस वाले दल और आपके मातृ संघठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा लगातार जारी सांप्रदायिक ध्रविकरण से देश में लगातार गृहयुद्ध सदृश्य स्थिति बनाने का काम बदस्तूर जारी है ?
महामहिम प्रधानमंत्री महोदय जब आप इतनी समझदारी की बात कर रहे हो ! तो आपको नौ सालों में कौन सी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है ? कि आपने धन्नासेठों की तिजोरियों को भरने के अलावा कोई और काम क्यों नहीं किया ? क्या उसीसे भारत के गरीब और असुरक्षित वर्गों का भला होने का भ्रम आपको है ? या गौतम अदानी से लेकर सुभाष चंद्रा, तथा अंबानी बंधुओं से लेकर विदेशों में भागे हूए मोदी, माल्यामे ,और चौकसी तक आपको सर्वहारा वर्ग के लोग नजर आ रहे हैं ?


और रही बात स्वास्थ्य तथा शिक्षा की ! तो आपने स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रायवेट मास्टर्स को पंचसितारा अस्पतालों को खोलने की खुली छूट ! और सहुलियत देकर और सरकारी स्वास्थ्य सेवा को खत्म करने की शुरुआत क्यो की है ? क्या आप के प्रायवेट मास्टर्स गरीब और असुरक्षित लोगों को स्वास्थ्य सेवा मुफ्त में मुहैया कराने का काम कर रहे हैं ?
वहीं बात शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी स्कूलों की फिस पांचसौ रुपये कराकर, अभिभावकों को अपने जेब से देने के लिए मजबूर कर के ! प्रायवेट स्कूलों की 1100 रुपये की फिस सरकार अभिभावकों को वापस देने की योजना के पिछे क्या उद्देश्य है ? इस तरह की योजनाओं से हमारे देश की गरीब और असुरक्षित जनता के बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं कर रहे हो ?
और आईआईटी, आईआईएम, मेडिकल तथा अन्य उच्च शिक्षा की फिस लाखों रुपये की बढाने के पिछे गरीब और असुरक्षित वर्गों के बच्चे कभी भी इतनी महंगी फिस देकर उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकेंगे ! और 2047 में प्रभु वर्गों के लोग ही सत्ता पर जमे रहेंगे ! क्या यही आपका जातिवाद खत्म करने के लिए रामबाण उपाय है ?


और आखिरी बात जातिवाद और जातीयवाद में तो आपको विश्व में कोई भी राजनीतिक नेता मात नहीं दे सकता है ! सबसे मुख्य बात आपने अपनी राजनीतिक हैसियत सिर्फ और सिर्फ जातियवाद जिसे सांप्रदायिकता भी कहा जाता है ! 2002 के गुजरात दंगों से ही आपने अपने आप को हिंदूहृदयसम्राट बना लिया ! और आज भी चौबीसों घंटे आप खुद और आपके लोग सनातन धर्म से लेकर हिंदू धर्म हिंदू धर्म की रट लगाते हुए देशभर में भगवा झंडा लेकर जगह- जगह हंगामा मचा रहे हैं !


कुछ लोगों को मॉबलिंचिंग करते हुए मारने में कौन-सी मानसिकता काम कर रही थी ? क्या यही आपका जातिवाद खत्म करने का उपाय है ? और समय – समय पर आप कुछ लोग खुद कपडों से पहचाने जाते है ! जैसे जुमले बोलकर चेतनसिंह और प्रज्ञा त्यागी पैदा करने का कारखाना खोल रखा है !
और बात जातीवाद और जातियवाद हमारे राष्ट्रीय जीवन में स्थान नहीं रहने की बात कर रहे हो ! तो क्या “`2047 तक इस देश के सभी अल्पसंख्यक और पिछड़ी जातियों के लोगों को मौत के घाट उतार कर आप और आप के लोग दम लेंगे ? न रहेगा बांस और न ही सजेगी बांसुरी ! क्योंकि आप गुजरात मॉडल गुजरात मॉडल का जप जो करते हो ! उसीसे मणिपुर, नूह और भागलपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मलियाना, भिवंडी, मालेगाव, जलगांव, कानपूर, बनारस कमअधिक प्रमाण मे संपूर्ण भारत को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आग में झोककर मुहंमे राम और बगल में छुरी लग रहा है !


मोटाभाई आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हो ! इसलिए मराठी संत तुकाराम महाराज का “बोले तैसा चाले ” इस अभंग की याद दिलाते हुए मेरी प्रतिक्रिया को विराम देता हूँ !

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