बारहवीं के बाद विद्यार्थियों के सामने सबसे बड़ी समस्या सही कॉलेज का चुनाव करने की होती है, क्योंकि उनकी प्रोफेशनल ज़िंदगी की शुरुआत यहीं से होती है. इसलिए जिस कॉलेज में आप प्रवेश लेना चाहते हैं उसके बारे में जानकारी प्राप्त करना बहुत ही ज़रूरी है. कॉलेज चुनतेव़क्त यह याद रखना चाहिए कि आपको उसी कॉलेज में अगले तीन साल से लेकर छह साल तक का समय गुज़ारना है. लिहाज़ा आपकी शिक्षा, अनुभव और उसका ब्रांड आपके करियर के साथ हमेशा जुड़ा रहेगा. कॉलेज का चुनाव करना विद्यार्थियों के लिए एक जटिल समस्या है, लेकिन यह सवाल ऐसा भी नहीं कि जिसका हल ढूंढा नहीं जा सकता. अगर आप कॉलेज का चुनाव करते व़क्त इन बातों का ध्यान रखें तो आपको अपने पसंद का कॉलेज चुनने में सहूलियत महसूस होगी.
जगह :-  कॉलेज़ का चुनाव करते समय जगह का विशेष ध्यान रखना चाहिए. क्या आप अपने घर के पास वाले कॉलेज में दाख़िला लेना चाहते हैं या फिर जिस शहर में रहते हैं उसी शहर के किसी कॉलेज में. इसके लिए समय और सुविधा का विश्लेषण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्या आप अपना घर और शहर इसलिए छोड़ रहे हैं कि वह आपके पसंद के विश्वविद्यालय से कम महत्वपूर्ण हैं. इसके लिए आपको एक ऐसा घर चुनना चाहिए जो आपके कॉलेज के नज़दीक हो, न कि आप अपने घर के नज़दीक वाले कॉलेज को चुनें.
ब्रांड नाम :-  आपके कॉलेज का ब्रांड क्या है, यह महत्वपूर्ण है. दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज की तीसरे वर्ष की छात्रा स्नेहा पलित का कहना है कि कुछ वर्ष पहले आप से कोई यह पूछने वाला नहीं था कि किस कॉलेज में आप दाख़िला लेना चाहते हैं. वह स़िर्फ आपके काम में रुचि रखते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. कॉलेज से निकलने के बाद आप किस तरह की कंपनी और किस प्रकार की नौकरी पाते हैं यह आपके कॉलेज के नाम पर भी निर्भर करता है. इसलिए उसी कॉलेज में दाख़िला लें जिसका ब्रांड वैल्यू अच्छा हो. इससे अपने आपको साबित करने में आपको काफी कम समय लगेगा. अब सवाल यह है कि इसका निर्धारण आप कैसे करेंगे. इसके लिए एक आसान-सा रास्ता है. आप ऑनलाइन उस कॉलेज का कट-ऑफ देखें या फिर कॉलेज का प्रॉस्पेक्टस देखें. जिसका कट-ऑफ जितना अधिक रहेगा उसका ब्रांड वैल्यू उतना अधिक होगा. कट-ऑफ एकेडमिक क्षेत्र की क़ीमत की तरह है जो यह बताता है कि आप कितनी हैसियत रखते हैं और आप दूसरे लोग की नज़रों में क्या क़ीमत रखते हैं.
विषय :- बहुत पहले से यह से एक चर्चा का विषय रहा है. आप जिस कॉलेज में जिस विषय में दाख़िला लेना चाहते हैं अगर आपको वहां वह विषय नहीं मिले जो आप क्या क.रेंगे. क्या आप किसी कॉलेज में महज़ इसलिए दाखिला लेते हैं कि वह आपको वह कोर्स उपलब्ध करा रहाहै, जो चाहते हैं. 
फीस :-  वर्तमान समय में कॉलेज में पढ़ना काफी महंगा हो गया है. आर्थिक सहायता और छात्रवृत्ति जितनी दूसरे देशों में सामान्य है, भारत में यह उतनी सामान्य नहीं है. अगर आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है या फिर आप लोन नहीं लेना चाहते हैं तो आप के लिए सरकारी कॉलेज अच्छे रहेंगे. इतना ही नहीं, अगर आपने अच्छे अंक पाए हैं, तब आपको और कम पैसे देने होंगे.
सहपाठी :-  तमिलनाडु के शहरों और उसके सुदूर क्षेत्र में स्थित कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों की तुलना की जाए तो दोनों कॉलेजों के छात्रों में अंतर होगा. यह स्थिति तब है जब दोनों का भौगोलिक क्षेत्र एक ही है. ऐसा इसलिए होता है कि एक कॉलेज के नियम और क़ानून दूसरे कॉलेज से भिन्न और अलग होते हैं. लिहाज़ा दाखिला लेने से पहले आप उस कॉलेज के बारे में पता कर लें कि वह कितना उदार या कठोर है. इसके लिए आपको किसी सीनियर की मदद लेनी होगी.
 अन्य गतिविधियां :- कुछ कॉलेजों में दूसरों की अपेक्षा स्पोट्‌र्स और ऑडिटोरियम जैसी गतिविधियों की सुविधा बेहतर होती है. कॉलेज के अंदर की संस्थाओं की स्थिति और गुणवत्ता अलग-अलग हो सकती है. किसी प्रतिष्ठित कॉलेज की वाद-विवाद सोसायटी का स्तर बहुत कम हो सकता है. इस मसले पर आपको चूजी होना होगा. अगर वाद विवाद का माहौल वहां अच्छा नहीं है तो आप इसमें प्रशिक्षित नहीं हो सकते हैं. यह बात बास्केट वॉल से लेकर अभिनय तक में लागू होती है. इसके अलावा नियम और व्यवहार हरेक कॉलेज में अलग हो सकते हैं. श्वेताभ सिंह जो अपने कॉलेज में नाटकों के आयोजन और उनमें अभिनय करने में काफी दिलचस्पी लेते हैं, का कहना है कि जब आप नाटकों के मंचन के दौरान क्लासेज मिस करते हैं तो कुछ कॉलेज ऐसे हैं जो क्षतिपूर्ति करते हैं. जबकि कई दूसरे कॉलेज आपकी उपस्थिति को अस्वीकार कर देते हैं.
फैकल्टी :- आप को एक चीज़ और याद रखना होगा कि प्रतिष्ठित संकाय को अच्छे संकाय में गिना जाना ज़रूरी नहीं है. किसी चीज़ की अच्छी जानकारी और उसे अच्छी तरह से पढ़ाना दो अलग चीजें हैं. किस कॉलेज में अच्छे संकाय हैं, इसकी जानकारी आप अपने सीनियर्स से ले सकते हैं. जिन्होंने कोर्स किया हो. उन्हें किस कॉलेज का संकाय अच्छा लगता है, इसका पता चल ही जाता है.
अगर आप ईसीए (एक्स्ट्रा  करिकुलर एक्टिविटीज़) करना चाहते हैं तो सबसे पहले उसके बारे में आप अपने सीनियर्स से पूछिए. क्योंकि उन्हें इसकी अधिक जानकारी रहती है. कुछ कॉलेजों में ईसीए का कोटा रहता है. अगर आपने अच्छे अंक प्राप्त नहीं किए हैं तो इसके ज़रिए आप उस कॉलेज में दाख़िला पा सकते हैं. कुछ कॉलेजों में किसी जाति-धर्म विशेष के लिए भी कोटा होता है जैसे सेंट स्टीफेंस में 50 फीसदी कोटा ईसाइयों के लिए है.
कौन-सा कॉलेज आपका है, इस पर विचार आप ही को करना है. आपके लिए कोई दूसरा इस विषय पर नहीं सोचेगा. हां, सलाह दे सकता है. इस के लिए सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि ख़ुद से पूछिए कि आप क्या करना चाहते हैं. इस मसले पर बिल्कुल स्पष्ट हो जाइए कि कौन-सा करियर अच्छा रहेगा. अगर आप ने सोच लिया है कि समाजशास्त्री बनना है, तो आप सूची में उसी कॉलेज के बारे में जानकारी हासिल करें, जहां समाजशास्त्र की पढ़ाई अच्छी हो. अगर मनोचिकित्सक बनना है तो उसके अनुसार ही कॉलेज का चुनाव करें.

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