भारतीय राजनीति का नया मुहावरा है, काला धन. यह धन भले ही काला हो, लेकिन इससे जुड़े सपने सतरंगी हैं. सबके लिए. जनता इस उम्मीद में है कि काला धन आने के साथ ही चारों ओर खुशहाली आएगी. सत्ता पक्ष के पास काला धन के रूप में एक लॉलीपाप है, जिसे दिखाकर वोट मिल सकता है और विपक्ष इस बात से उत्साहित है कि मुद्दों के अभाव के इस दौर में उसके पास यही एक हथियार है, जिसके सहारे वह भाजपा के मजबूत किले को भेद सकता है. बहरहाल, काला धन की इस सतरंगी कहानी में कई रंग हैं. एक रंग चुनाव से पहले दिखा, दूसरा रंग चुनाव के दौरान और एक तीसरा रंग अब संसद के भीतर दिख रहा है. इसमें सबसे दिलचस्प रंग संसद में होने वाली बहस से निकल कर सामने आ रहा है. मसलन, इस मुद्दे पर बहस के दौरान जब वित्त मंत्री अरुण जेटली अपनी बात रख रहे थे, तो शरद यादव का कहना था कि आपके जवाब से तो यही लगता है कि 100 सालों में भी काला धन वापस नहीं आ पाएगा. वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता विरोध के लिए सदन में काला छाता लेकर और काली शॉल ओढ़ कर पहुंच गए. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सपा ने काला धन रखने वालों का नाम उजागर न किए जाने को लेकर वॉकआउट भी किया. लेकिन, वित्त मंत्री का कहना है कि जब तक आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर नहीं होगी, तब तक उनके नाम सामने नहीं लाए जाएंगे. जेटली के मुताबिक, विदेशी बैंकों में क़रीब ढाई सौ लोगों के एकाउंट हैं और अगले कुछ हफ्तों में यह मामला दर्ज किया जाएगा और जब मामला शुरू होगा, तो नाम भी सामने आ जाएंगे.
दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था, एक बार ये जो चोर-लुटेरों के पैसे विदेशी बैंकों में जमा हैं ना, उतने भी हम ले आए ना, हिंदुस्तान के एक-एक ग़रीब आदमी को मुफ्त में 15-20 लाख रुपये यूं ही मिल जाएंगे. इतने रुपये हैं. मोदी ने यह भी कहा था, सरकार आप चलाते हो और पूछते मोदी से हो कि कैसे लाएं? जिस दिन भारतीय जनता पार्टी को मौक़ा मिलेगा, एक-एक पाई हिंदुस्तान की वापस लाई जाएगी और हिंदुस्तान के ग़रीबों के लिए काम में लाई जाएगी. लोकसभा में हुई इस बहस पर कांग्रेस के नेता सदन मल्लिकार्जुन खड़गे तो सीधे-सीधे सरकार से पूछा, मेरे 15 लाख रुपये कहां हैं, जो आपने मेरे खाते में डालने का वादा किया था? वह रकम मेरे खाते में नहीं आई और 150 दिन बीत चुके हैं. आपने अपना वादा नहीं निभाया. मैं आपको वह वादा याद दिलाना चाहता हूं. आपने यह भी कहा था कि देश के वेतनभोगी समाज की देशभक्ति का हमें सम्मान करना चाहिए. हम उन्हें पैसे देंगे, लेकिन आपने इसी साल 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए हलफनामे में यू-टर्न ले लिया. इस मुद्दे पर कांग्रेस लोकसभा में काम रोको प्रस्ताव भी लाई थी, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में काला धन पर बहस का समय तय किया गया.
वित्त मंत्री का कहना है कि काला धन लाने में थोड़ी देर हो सकती है, लेकिन इस मामले पर सरकार ने पिछले छह महीनों में जितना कुछ किया है, उतना अब तक कभी नहीं हुआ. जेटली के मुताबिक, विपक्षी पार्टियां बार-बार यह याद दिलाकर उकसाने की कोशिश करती हैं कि हमने सौ दिनों में काला धन वापस लाने का वादा किया है, मगर सरकार हड़बड़ी में कोई क़दम नहीं उठाएगी, इस काम में समय लगेगा. चुनाव के दौरान किए गए वादों के बारे में जेटली का कहना था कि कई बार ईमानदारी के साथ कुछ मुद्दे उठाए जाते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी व्यवहारिकता को देखने के बाद कुछ और सच्चाई सामने आती है. पर विपक्ष वित्त मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा. एक-एक करके अधिकांश विपक्षी दल इस दौरान सदन से बाहर निकल गए.
दरअसल, दिक्कत यह है कि काला धन की रकम कितनी है, इसके बारे में सरकार को भी ठीकठाक कुछ पता नहीं है. काला धन की परिभाषा को लेकर भी कुछ साफ़ नहीं है. सरकार से अधिक सुप्रीम कोर्ट काला धन को लेकर सक्रिय है और वह एसआईटी के काम पर नज़र रख रहा है. एसआईटी विदेशी बैंकों के उन भारतीय खाताधारकों की सूची की जांच कर रही है, जो भारत को कांग्रेस के शासन में ही मिल गई थी. सुप्रीम कोर्ट के दबाव में तीन नाम और सार्वजनिक किए गए, क्योंकि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू कर दी गई थी.
सरकार को देश में मौजूद काले धन का पता लगाना चाहिए. इसके लिए इच्छाशक्ति होनी चाहिए. हम इस मुद्दे पर आज बहस कर रहे हैं, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान वादों की झड़ी लगाई गई थी. डबल टेक्सेशन से जुड़े समझौते पर फिर से विचार करना चाहिए.-सीताराम येचुरी (सीपीएम), राज्यसभा.
भाजपा के वादे खोखले हैं. आज़ादी के बाद सभी पार्टियों का शासन रहा है. सभी पार्टियां विदेशों में काला धन जमा होने के लिए ज़िम्मेदार हैं. यूपीए सरकार ने काला धन पर कोई ठोस क़दम नहीं उठाया. कांग्रेस की तरह भाजपा भी इसे लेकर गंभीर नहीं है. स़िर्फ एसआईटी का गठन कर देना पर्याप्त नहीं है.-मायावती (बसपा), राज्यसभा.
बेकारी और बेरोज़गारी ख़त्म करो. यह (काला धन) मृग-मरीचिका है. यह न तो आप (कांग्रेस) से आया और न आप (एनडीए) ला पाओगे. -शरद यादव (जदयू), राज्यसभा.
एनडीए सरकार ने काला धन के मुद्दे पर बहुत तेजी से क़दम उठाए हैं. तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने बांग्लादेशी आतंकवादियों को पैसे दिए. टीएमसी के लोग काले छातों के साथ संसद में आए, लेकिन उनकी जेबें काले धन से भरी हुई हैं. यह कैसे हुआ कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की पेंटिंग पहली बार में ही इतने दाम में बिकी और उसे सारदा घोटाले में शामिल शख्स ने खरीदा.
-अनुराग ठाकुर (भाजपा), लोकसभा.
देश को गुमराह करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को माफी मांगनी चाहिए. मोदी जी को नाम ऑनलाइन करने दीजिए. उन्हें 15-20 लाख रुपये हर खाते में डालने दीजिए. अब मोदी जी एनआरआई पीएम कहे जाते हैं. उन्हें संसद से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने झूठा वादा किया था. आपको याद रखना चाहिए कि सारदा के मालिक को सीबीआई ने नहीं, बल्कि ममता बनर्जी ने कश्मीर सीमा से गिरफ्तार कराया था (अनुराग ठाकुर को जवाब).-सुदीप बंदोपाध्याय (तृणमूल कांग्रेस), लोकसभा.
मैं यह जानना चाहता हूं कि दुनिया के कितने मुल्कों से प्रधानमंत्री काला धन वापस लाने की बात कर रहे हैं. इस तरह की धारणा बन गई है कि विदेशों में जमा पैसा काला धन है. इस बारे में फ़़र्क किया जाना चाहिए कि क्या काला धन है और क्या क़ानूनी रूप से जमा रकम है.-आनंद शर्मा (कांग्रेस), राज्यसभा.
क्या एनडीए या यूपीए सरकार ने विदेशों में पड़े काले धन का पता लगाया है? 15 लाख नहीं, सरकार हर शख्स के खाते में 15 हज़ार भी डलवा दे, तो लोग खुश हो जाएंगे. प्रधानमंत्री की जन-धन योजना से कर्ज बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था संकट में पड़ जाएगी.-राम गोपाल यादव (सपा), राज्यसभा.