सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज केटी थॉमस ने कहा है कि संविधान, लोकतंत्र और सेना के बाद आरएसएस ने देश में लोगों को सुरक्षित रखा है. आगे वे यह भी कहते हैं कि धर्मनिरपेक्षता का विचार धर्म से दूर नहीं रखा जाना चाहिए. वे 31 दिसंबर को कोट्टयम में संघ के प्रशिक्षण कैंप में बोल रहे थे. उन्होंने आपातकाल के दौरान संघ को देश को आजाद कराने का श्रेय भी दिया. उन्होंने कहा कि संघ अपने स्वयंसेवकों में राष्ट्र की रक्षा के लिए अनुशासन की शिक्षा देता है.
उन्होंने कहा, सांपों में विष हथियार के तौर पर होता है, जिसका उपयोग वह हमला होने पर करता है. इसी तरह, मानव की शारीरिक शक्ति हमलों से खुद को बचाने के लिए होती है. उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस जो कैम्प में ट्रेनिंग देती है, उसका मकसद हमले के समय देश और समाज की रक्षा करना है.
जस्टिस थॉमस से यह पूछा गया था कि देश में लोग सुरक्षित क्यों हैं? इस पर उन्होंने कहा कि देश में एक संविधान, लोकतंत्र और सशस्त्र बल के अलावा आरएसएस है, जिसके कारण लोग सुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान आरएसएस ने उसकी जमकर खिलाफत की थी.
उन्होंने कहा कि वह इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि सेक्युलरिज्म धर्म की रक्षा के लिए है. भारत में हिंदू शब्द कहने से धर्म निकल आता है, लेकिन इसे एक संस्कृति का पर्याय समझा जाना चाहिए.