jp-museum-1लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृतियों को जिंदा रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नायाब कदम उठाया है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में 19 एकड़ में फैले जयप्रकाश नारायण संग्रहालय का उद्घाटन किया. इस मौके पर सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी मौजूद थे. सपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र प्रसाद यादव भी कार्यक्रम में शरीक थे. समाजवाद का संग्रहालय नाम से बने भवन में लोकनायक के संघर्ष को चित्रों और प्रदर्शकों के जरिए सहेजा गया है.

गोमती नदी के करीब बने इस संग्रहालय की डिजिटिल लाइब्रेरी में प्रवेश करते ही महानायक अमिताभ बच्चन की आकर्षक आवाज में डॉक्युमेंट्री सुनाई देती है. चार ब्लॉकों में बंटा यह भवन 19 एकड़ में फैला हुआ है जिसे ‘समाजवाद का संग्रहालयः जय प्रकाश नारायण विवेचना केन्द्र’ नाम दिया गया है. संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य जेपी के जीवन और विचारधारा से आम आदमी को परिचित कराना और उन मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक और संवेदनशील बनाना है, जिनके लिए जयप्रकाश नारायण ने संघर्ष किया. इससे आम जन अपने जीवन में और समाज में कुछ नया कर दिखाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं. संग्रहालय को चार क्षेत्रों समावेशन, चिंतन, मंथन और संगठन में विभाजित किया गया है. केन्द्र में प्रवेश करते ही समावेशन क्षेत्र लोगों को जयप्रकाश नारायण और देश के लिए उनके योगदान से परिचित कराता है. समावेशन क्षेत्र में जेपी से सम्बन्धित अधिकारिक जानकारी को इस तरह दर्शाया गया है कि लोगों के मन में उनके प्रेरक व्यक्तित्व को जानने की जिज्ञासा पैदा होती है. यहां विभिन्न माध्यमों का प्रयोग करके जानकारी दी जाएगी. रोचक और मनोरंजक ढंग से दी गई जानकारी समझने में आसान होगी. चिंतन क्षेत्र में जेपी के जीवन के सबसे रोचक पहलुओं, खासकर उन प्रसंगों की जानकारी दी गई है, जिनके घटने के बाद ही आपातकाल की घोषणा की गई थी. इस दौरान समाजवाद के सिद्धांतों की रक्षा करने के लिए जेपी ने असीम साहस और आत्मबल का प्रदर्शन कर देशवासियों को यह प्रेरणा दी कि यदि कोई आम इंसान ठान ले तो वह समाज के हित के लिए अकेला ही काफी है. इस प्रदर्शनी में प्रयोग की गई तस्वीरें यह सुनिश्‍चित करती हैं कि उनके जीवन की उन स्मृतियों को लोग अपने मन में बसा लें.

संग्रहालय का मंथन क्षेत्र जेपी के जीवन की उन घटनाओं पर केंद्रित है, जो 1975 के उस दुर्भाग्यपूर्ण वर्ष के दौरान और उसके बाद घटी थी. मंथन क्षेत्र लोगों को यह अहसास भी दिलाएगा कि जीवन में लक्ष्य के साथ-साथ उसे पाने के उचित मार्ग का चयन करना भी आवश्यक है. सीढ़ी के घूमने की गति आपातकाल की घटनाओं की गति और उसके आकस्मिक स्वरूप से मेल खाती है.

आपातकाल के दौरान जेल में जेपी ने अपने स्वास्थ्य और देश की हालत दोनों साथ-साथ खराब होते देखी. जेपी द्वारा जेल में किए गए चिंतन से यह ज्ञान होता है कि असीम दुख और प्रताड़नाओं के बावजूद जेपी हार मानने वालों में से नहीं थे. उन्होंने बिखरे टुकड़ों को समेट कर नई ऊर्जा और लक्ष्य से अपने जीवन का पुनर्निर्माण किया.

संगठन क्षेत्र संग्रहालय के अनुभव का अंतिम भाग है. विहंगम दृश्यों से भरी इसकी सीढ़ियां व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से विचारों और अनुभवों के समावेश के लक्ष्य से संकल्पित की गई हैं. विचारों और अवधारणाओं को संक्षिप्त में बताने और उसे आत्मसात करने के उद्देश्य से इसे बनाया गया है. खुली जगह में स्थापित यह क्षेत्र विचारों के विस्तार के लिए अनुकूल है. संग्रहालय के गहन अनुभव को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देने के इरादे से इसे बनाया गया है. इसके अलावा, समाजवाद का संग्रहालय: जयप्रकाश नारायण विवेचना केंद्र में पाठन क्षेत्र, पुस्तकालय, संग्रहालय सौंध, प्रर्दशनी क्षेत्र और खुला रंगमंच का निर्माण किया गया है. साथ ही करीब दो हजार लोगों की क्षमता का प्रेक्षागृह, करीब एक हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाला कॉन्फ्रेंस हॉल, 200 लोगों के बैठने की क्षमता वाला दो सेमिनार हॉल, डॉरमेट्री, हेल्थ सेंटर व जिम्नेजियम, ओलम्पिक साइज का स्वीमिंग पूल, डायविंग पूल, किड्स पूल, लॉन टेनिस कोर्ट और मल्टीपरपस कोर्ट का भी निर्माण किया जा रहा है. यह कार्य भी अन्तिम चरण में ही है. यहां आने वाले लोगों की सुविधा के लिए मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण भी कराया जा रहा है.

देश के लोगों को यह बताने की जरूरत नहीं कि जयप्रकाश नारायण एक महान नेता और विचारक थे. देश की आजादी के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया. देश की आजादी के लिए वे कई बार जेल गए. उन्होंने आजाद भारत में आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया. अपने सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन के माध्यम से उन्होंने भ्रष्टाचार व अलोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ संघर्ष किया, जिससे लोकतंत्र की बहाली हुई. उन्होंने राजनीति में नौजवानों को प्रभावित कर एक नई दिशा दी. उनके प्रयासों की बदौलत भारतीय राजनीति की दशा और दिशा में बड़ा बदलाव आया था. लोकनायक जयप्रकाश नारायण के प्रेरक व्यक्तित्व व कृतित्व तथा इतिहास में उनके योगदान के मद्देनजर गोमती नगर के विपिनखंड में स्थापित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना पर 844 करोड़ रुपये का खर्च आया है.

जेपी की संस्था पर अवैध कब्जा मुक्त कराने में सरकार ढीली

एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार लोकनायक जयप्रकाश नारायण की स्मृतियों को संजोने के लिए संग्रहालय की स्थापना कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ जेपी के ही बनाए हुए संस्थान को अवैध कब्जे से मुक्त कराने में ढिलाई बरत रही है. वाराणसी में जेपी के बनवाए गांधी विद्या संस्थान को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का तो बाकायदा आंदोलन चल रही है, जिसमें देश और दुनियाभर के गांधीवादी शरीक हैं. बनारस के राजघाट स्थित गांधी विद्या संस्थान (दि गांधियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्टडीज) को मुक्त कराने के लिए पिछले दिनों गांधी और जेपीवादियों ने लखनऊ गांधी प्रतिमा पर धरना भी दिया. इसमें प्रख्यात गांधीवादी चिंतक 92 वर्षीय प्रो. रामजी सिंह समेत कई लोग शरीक थे. गांधी विद्या संस्थान पर गत कई वर्षों से अवैध कब्ज़ा है. मुख्य भवन में संस्कृत की अवैध पाठशाला चल रही है. संस्था से निष्कासित कर्मचारी एक लाख रुपये महीना किराया वसूल रहा है. जेपी द्वारा बनाई गई संस्था उन लोगों के कब्जे में है जो गांधी और जयप्रकाश के विचारों के विरोधी हैं.

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