पाकिस्तान के बालाकोट में पाकिस्तानी आतंकियों के शिविर पर भारत के हमले के 43 दिन बाद बुधवार को पाकिस्तानी सरकार घटनास्थल पर पाकिस्तान स्थित अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सदस्यों और विदेशी राजनयिकों को लेकर गई. हालांकि, पाकिस्तान की मिलिट्री हर जगह पत्रकारों की निगरानी कर रही थी. जब मीडिया कर्मियों ने स्थानीय लोगों से बात करने की कोशिश की तो उनसे कहा गया, “जल्दी करें.. ज्यादा लंबी बात ना करें.”
कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को अटैक किया था. भारत ने कहा था कि एयर स्ट्राइक से बालाकोट में चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को तबाह कर दिया गया. हालांकि, पाकिस्तान लगातार आतंकी कैंप होने से इनकार करता रहा है और उसका कहना है कि एयर स्ट्राइक का जहां दावा किया जा रहा है, वहां पर मदरसा है.
कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को अटैक किया था. भारत ने कहा था कि एयर स्ट्राइक से बालाकोट में चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को तबाह कर दिया गया. हालांकि, पाकिस्तान लगातार आतंकी कैंप होने से इनकार करता रहा है और उसका कहना है कि एयर स्ट्राइक का जहां दावा किया जा रहा है, वहां पर मदरसा है.
आईएएनएस ने बीबीसी के हवाले से कहा है कि इस्लामाबाद से एक हेलीकाप्टर से ले जाए गए संवाददाता ने बताया कि वे मनसेरा के पास की एक जगह पर उतरे. इसके बाद करीब डेढ़ घंटा वह कठिन पहाड़ी रास्तों से गुजरे.
मीडिया टीम को तीन अलग-अलग जगहें दिखाई गईं. पत्रकारों को बताया गया कि भारतीय वायुसेना ने यहां पर पेलोड गिराए थे. मीडिया को वहां केवल कुछ गड्ढे और कुछ जड़ से उखड़े पेड़ दिखे.पत्रकारों ने बताया कि ये जगहें इंसानी आबादी से अलग-थलग थीं. इस इलाके में घर भी एक-दूसरे से काफी दूरी पर स्थित हैं.
जब अधिकारियों से पूछा गया कि इस टूर के आयोजन में इतनी देरी क्यों हुई तो उन्होंने कहा कि ‘अस्थिर हालात ने लोगों को यहां तक लाना मुश्किल कर दिया था. अब उन्हें लगा कि मीडिया के टूर के आयोजन के लिए यह सही वक्त है.’
इसके साथ ही अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया कि एक समाचार एजेंसी की टीम और स्थानीय पत्रकारों को इस परिसर में दाखिल होने से पहले रोका गया था.
जब पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर से पूछा गया कि संवाददाताओं ने मदरसे के बोर्ड पर मौलाना यूसुफ अजहर का नाम देखा तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया. एक बोर्ड पर लिखा था कि मदरसा 27 फरवरी से 14 मार्च तक बंद रहा. एक शिक्षक ने कहा कि आपातकालीन उपाय के तहत यह कदम उठाया गया.