यूनानी दंतकथाओं में मिडास नाम के एक ऐसे राजा का जिक्र किया गया है जो जिस किसी वस्तु को छू देता था वह सोना हो जाती थी. इसी राजा के नाम से मिडास टच नामक मुहावरा भी मौजूद है. हालांकि इस राजा की कहानी तो काफी पुरानी है लेकिन हाल ही अमेरिकी पत्रिका फोब्र्स ने कुछ भारतीय को इसी नाम से नवाजा है. पत्रिका के मुताबिक ये भारतीय अमेरिकी जिस चीज को हाथ लगाते हैं उसे सोना बना देते हैं यानि की जिस भी किसी कंपनी या संस्था में धन लगाते हैं, वह मुनाफे का सौदा साबित होने लगती है. इस सूची में शामिल किए गए निवेशकों में इस सूची में शामिल किए गए निवेशकों ने इतना सोच समझकर निवेश किया कि साधारण सी दिखने वाल कंपनियां भी मुनाफा कमाने लगीं. जब यह कंपनियां मुनाफे का सौदा हो गईं तो इन निवेशकों ने अपने हिस्से के शेयरों को बेचकर 95 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया. इसे अप्रत्याशित सफलता ही कहेंगे. क्योंकि बीते पांच सालों के दौरान अमेरिका अर्थव्यवस्था के हालात बहुत ज्यादा अच्छे नहीं रहे हैं. इस लिस्ट में पहले नंबर पर जिम गोयज रहे. गोयज सिकोइया कैपिटल के भागीदार हैं. और वाट्सअप के एकमात्र संस्थागत निवेशक थे. वहीं भारतियों में पहला स्थान अनिल भुसरी का है. भुसरी इस सूची में 17वें स्थान पर हैं. उन्होंने 1.3 अरब डॉलर की कमाई की.
इसके बाद जिस भारतीय का नंबर आता है उनका नाम है देवेन पारेख. उन्होंने टि्वटर और टंबलर में निवेश कर भारी मुनाफा कमाया. वहीं तीसरे स्थान पर प्रमोद हक काबिज हुए. इस अंक में हम इन भारतीयों के जीवन की यात्रा के बारे में पड़ताल करेंगे. कि आखिर क्यों दुनिया की सबसे बेहतरीन पत्रिकाओं में शुमार फोब्स ने उन्हे मिडास लिस्ट में शामिल किया. आइए हम इस सूची में से कुछ टॉप रैंकिंग पाने वाले भारतीयों के बारे में जाने और समझे कि आखिर उनकी कार्यप्रणाली में ऐसा क्या है कि उन्हें इस लिस्ट मेंे शामिल किया गया.
अनिल भुसरी(17वीं पोजीशन)
वर्कडे के सह-मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल भुसरी इस मिडास लिस्ट में टॉप पर हैं. स्टैनफोर्ड मैनेजमेंट स्कूल से ग्रेजुएट भुसरी ने 1.3 अरब डॉलर की कमाई की है. भुसरी वर्कडे की शुरुआत ने डेव डफिल्ड के साथ की थी. डेव उससे पहले पीपुल सॉफ्ट के सीईओ थे.
वर्कडे की शुरुआत करने से पहले अनिल भी पीपुल सॉफ्ट कंपनी में वाइस चेयरमैन के पद पर भी काम कर चुके हैं. उन्होंने साल 1999 में ग्रेलुक कंपनी ज्वाइन की थी. उन्हें साल 2007 में ब़डा मुनाफा उस समय हुआ था जब स्टोरेज सॉफ्टवेयर आउटफिट को एचपी ने 200 मिलियन डॉलर में खरीदा था. उसी समय में सॉफ्टवेयर वेंडर आउटलुक सॉफ्ट को एसएपी ने खरीद लिया था. इन्होंने उसके बाद बैकअप डिवाइस मेकर डाटा डोमेन पब्लिक के अधिकार खरीद लिए थे. ऐसा उन्होंने इस कंपनी को इएमसी द्वारा खरीदे जाने से पहले ही कर लिया था. डाटा डोमेन पब्लिक को साल 2009 में 2.4 बिलियन डॉलर में इएमसी ने खरीद लिया था. भुसरी के हालिया निवेशों में क्लाउडेरा, प्योर स्टोरेज, ड्रोबो(ऑटोमेटेड डाटा स्टोरेज), ओक्टा (आइडेंटिटी मैनेजमेंट), टाइडमार्क(क्लाउड बेस्ड एनालिटिक्स) और सर्विस नाउ(क्लाउड बेस्ड आईटी मैनेजमेंट) शामिल हैं. उनके बारे एक अमेरिकी उद्यमी का कहना है कि भुसरी के पास व्यवसाय के लिए सबसे बेहतर उद्यम अनुभव मौजूद है. वे बाजार की नब्ज को समझते हैं और उसी के उनसार फर्मों में निवेश करते हैं. उनकी इस समझदारी की दाद देनी होगी कि वे किस तरह यह जान पाने में कामयाब होते हैं कि फला कंपनी का भविष्य मेंे बाजार भाव ब़ढने वाला है. भुसरी की यही समझ उन्हें अमेरिका में क्या पूरी दुनिया में सबसे बेहतरीन इन्वेस्टमेंट वेंचरों में शामिल कराने की काबिलियत रखती है.
अपने रोजगार के अलावा भुसरी खेलों में भी खासी दिलचस्पी रखते हैं. मेसाच्युसेट्स की बेस बॉल टीम बोस्टन रेड सॉक्स के वे काफी ब़डे प्रशंसक हैं. इस टीम के खेल को लेकर उनमें पागलपन की हद तक प्यार है. अपने काम के दौरान भी वे इस टीम के मैचों को देखना पसंद करते हैं और यदि वे मैच नहीं देख पाते तो इसके स्कोर के बारे में जानकारी लेते रहते हैं. खेल के लिए ऐसा प्रेम भारतीय पाठकों के लिए समझना आसान है क्योंकि इस देश मेंे क्रिकेट के प्रति दीवानगी तो जगजाहिर है. सिर्फ शहर ही नहीं गांवों तक में आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो यदि मैच नहीं देख पा रहे हैं तो कमेंट्री ही सुन रहे हैं. यदि ऐसा कर पाना भी संभव नहीं है तो वे किसी दूसरे से ही इसके बारे में जानकारी लेते रहते हैं.
देवेन पारेख (22वीं पोजीशन)
इस बार की सूची में जिन नए लोगों को शामिल किया गया है उनमें भारतीय अमेरिकी देवेने पारेख का भ नाम प्रमुख है. देवेन वार्टन स्कूल के ग्रेजुएट हैं. वह इनसाइट वेंचर पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक हैं. उन्होंने टि्वटर और टंबलर में समझदारी भरा निवेश किया है. देवेने इस कंपनी के प्रबंध निदेशक के तौर पर जनवरी 2004 से काम कर रहे हैं. उन्होंने इस कंपनी को जनवरी 2000 में ज्वाइन किया था. यह कंपनी ज्चाइन करने से पहले साल 1992 से लेकर 2000 तक बेरेन्सन मिनेला एंड कंपनी में आठ सालों तक अपनी सेवाएं दी थीं. यह कंपनी न्यूयॉर्क स्थित एक मर्चेंट बैंकिंग फर्म थी. साल 1992 में देवेन द ब्लैक स्टोन गु्रप के साथ काम कर रहे थे. वर्तमान समय में वे कई कंपनियों के निदेशक के तौर पर काम कर रहे हैं जिनमें चेग डॉट कॉम, हेनिडिल, न्यूएग डॉट जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं.
देवेन के बारे में यह मशहूर है कि वे जहां पैसा लगाते हैं वहां मुनाफा होना तय होता है. उन्हें वेंचर इनवेस्टमेंट के क्षेत्र काफी ज्यादा अनुभव है. सिर्फ इतना ही नहीं तकनीक, कॉरपोरेट गवर्नेंस और कैपिटल मार्केट की भी उन्हें बहुत अच्छी जानकारी है. जुलाई 2011 में उन्होंने मर्जर के मामले को लेकर कंपनी के डारेक्ट पद से इस्तीफा दे दिया था इसके बावजूद भी कंपनी के किसी भी अन्य डायरेक्टर को उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी. यह उनके बेहतरीन काम करने की मिसाल ही है क्योंकि ऐसा कम देखा जाता है कि अगर कोई अधिकारी अपनी किसी बात को लेकर त्यागपत्र दे दे और उसके साथी किसी भी डायरेक्टर को इसे लेकर कोई परेशानी न हो.
प्रमोद हक (27 वीं पोजीशन)
प्रमोद नार्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स में सीनियर मैनेजिंग पार्टनर हैं. साइबर सिक्योरिटी कंपनी फायर आई उनका सबसे अच्छा निवेश माना जाता है. इससे पहले प्रमोद इसी कंपनी में मैनेजिंग पार्टनर के तौर पर 1990 से काम कर रहे थे. वर्तमान समय में कई कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टरों मेंे शामिल हैं. इन कंपनियों में फायर आई, विरटेला टेक्नोलॉजी सर्विसेज इनकॉरपोरेट एंड हेल्थ केटेलिस्ट, एलएलसी जैसी कंपनियां शामिल हैं. इससे पहले वे परसिसटेंट सिस्टम लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डारेक्टरों में भी नवंबर 2005 से नवंबर 2010 तक रह चुके हैं. इसके अलावा वे वेराज नेटवर्क के भी बोर्ड ऑफ डायरेक्टरों में शामिल थे. यह एक ऐसी कंपनी है जो कंप्यूटर एप्लीकेशन बनाती है.
प्रमोद ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग में बीएस किया हुआ है. इसके बाद उन्होंने नॉर्थ वेस्टर्न स्कूल से एमबी किया और बाद में नॉर्थ वेस्टर्न विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी पूरी की.
प्रमोद को अपने हंसमुख स्वभाव के लिए जाना जाता है. वे जिस भी कंपनी में काम करते हैं वहां अपने सहयोगियो के साथ बेहतर ताल मेल के लिए उनकी दाद दी जाती है. सिर्फ इतना ही नहीं एक बेहतर वेंचर इन्वेस्टर होने के साथ साथ प्रमोद एक बेहतर इंसान भी और मानवीय कल्याण के कई कार्यों से जुडे हुए हैं.
नवीन चड्ढा (30वीं पोजीशन)
नवीन चड्ढा ने भारत, चीन और अमेरिका के ऊर्जा क्षेत्र में काफी निवेश किया है. चड्ढा ने मेक माई ट्रिप और भारत मैट्रिमोनी में भी निवेश किया हुआ है. एक उद्यमी से वेंचर कैपिटलिस्ट बनने वाले नवीन मेफिल्ड फंड एंड इन्वेस्ट्स के प्रमुख हैं. यह ऐसी कंपनी है जिसने चीन, भारत और अमेरिका में ढांचागत संरचना और ऊर्जा के क्षेत्र में काफी धन लगाया हुआ है. इसके 11 आईपीओ हैं और इसने 9 अधिग्रहण किए हुए हैं. साल 2010 में जनता के बीच आई कंपनी मेक माई ट्रिप मेें भी नवीन का निवेश है जिसका बाजार भाव इस समय लगभग 716 मिलियन डॉलर के आसपास है. इसके अलावा भारत की ही एक दूसरी कंपनी परसिसटेंट सिस्टम भी साल 2010 में ही जनता के बीच आई थी. इस कंपनी में भी नवीन की कंपनी ने निवेश किया हुआ है. कुछ अन्य कंपनियां जिनका नवीन ने अधिग्रहण किया है उनमेंे विचरस, अंकीना, सी पॉवर शामिल है. साल 2010 में ही नवीन ने सोलर सिटी में भी निवेश किया था जिसका बाजार भाव इस समय लगभग 81 मिलियन डॉलर के आसपास पहुंच गया है. अब ऐसी अफवाहें हैं कि जल्दी ही यह कंपनी अपना आईपीओ भी बाजार में उतारने वाली है. नवीन ने वर्तमान समय में जिन कंपनियों मेंे निवेश कर रखा है उन्हें मोबाइल ऐप प्लेटफॉर्म ऐपसेलेरेटर, क्लाउड स्टोरेज कंपनी स्टोर सिंपल, सोशल मीडिया कंपनी गिग्या, फैशन ऐप पॉशमार्क और भारत स्थित कंपनी भारत मैट्रिमोनी शामिल है. नवीन की नीतियां लोगों पर आधाारित होती हैं. उनका मानना है कि लोग उत्पादों को बनाते हैं न कि उत्पाद लोगांें को बनाते हैं.
टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ज्यादा निवेशक
इस साल की मिडास लिस्ट में सबसे ज्यादा बेहतरीन निवेशक तकनीक के क्षेत्र हैं. इस लिस्ट में 20 नए चेहरे शामिल किए गए हैं और सात निवेशक इस लिस्ट में फिर से शामिल हुए हैं. टॉप टेन लिस्ट में फेसबुक और टि्वटर में निवेश करने वाले निवेशक भी शामिल किए गए हैं. इस लिस्ट में नेटवर्किंग वेबसाइट के सह संस्थापक रेड हॉफमेन सातवें स्थान पर काबिज हैं. पूरी लिस्ट में कई अन्य क्षेत्रों के लोगों को भी शाामिल किया गया है लेकिन इनमें तकनीक के क्षेत्र में निवेश करने वालों की सिर्फ संख्या ही अधिक नहीं है बल्कि इनके मुनाफे का प्रतिशत भी ज्यादा है. तकनीक के क्षेत्र में निवेश करने वालों ने अन्य क्षेत्रोंे के मुकाबले ऐसी फर्मों में ज्यादा इन्वेस्टमेंट किया और ऐसी फर्मों से उन्होंने ज्यादा मुनाफा भी कमाया.
इस सूची में कई अन्य भारतीयों को भी जगह दी गई है जिनमें नीजर अग्रवाल(37वीं पोजीशन), समीर गांधी (41वीं पोजीशन), अशीम चांदना (55वीं पोजीशन), वेंकी गणेशन (57वीं पोजीशन), विनोद खोसला (63वीं पोजीशन), सलील देशपांडे (67वीं पोजीशन) और गौरव गर्ग (86वीं पोजीशन) शामिल किए गए हैं. इस सूची में शामिल किए गए सभी उद्यमियों ने अपनी बेहतर समझ से लोगों को प्रभावित ही नहीं किया है बल्कि अपने लिए बेहतर मुनाफा भी कमाया है. इन्होंने कुछ ऐसी कंपनियों में भी धन लगाया जो डूबने का सौदा थीं. मानना पडेगा इनके कार्य करने की क्षमता और वक्त की नजाकत पहचानने की कला को.
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