जिस समय पूरे उत्तर प्रदेश में तरक्की में भी आरक्षण दिए जाने के लिए सिर फुटौव्वल हो रहा हो और योग्यता एवं मेधा को आरक्षण के ज़रिये चबा डालने का कुचक्र रचा जा रहा हो, ऐसे में सरिता की आत्महत्या देश और समाज को एक गहरा संदेश देती है. लेकिन, हमारी संवेदनहीन व्यवस्था सरिता को मानसिक अवसाद का शिकार बताने का शाश्वत संवाद दोहरा कर उस संदेश को कूड़ेदान में डाल देगी. सरिता का सुसाइड नोट पढ़ेंगे, तो आप दहल उठेंगे. बीए तृतीय वर्ष की छात्रा सरिता द्विवेदी एनसीसी की तेजतर्रार कैडेट थी. उसका सपना था कि वह पुलिस में भर्ती हो. लेकिन जब उसने देखा कि पुलिस की भर्ती में यादवों की भरमार है, तो वह टूट गई. वह इतनी निराश हो गई कि उसने बाग में पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर लेना बेहतर समझा.
लखनऊ शहर के मशहूर काकोरी इलाके के मलाहां गांव में सरिता द्विवेदी की लाश पेड़ में लटकी पाई गई. सरिता के घर वालों ने पुलिस को ़खबर की. पुलिस ने लाश उतारने और उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने की औपचारिकता पूरी की. पुलिस को मौक़े पर सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें सरिता ने आरक्षण के कारण पुलिस की नौकरी न मिलने से क्षुब्ध होकर आत्महत्या करने की बात लिखी है. लखनऊ के खुनखुनजी गर्ल्स कॉलेज की छात्रा सरिता द्विवेदी (22) ने पुलिस भर्ती की परीक्षा दी थी, जिसमें वह असफल हो गई. सरिता ने पुलिस भर्ती बोर्ड 2014-15 की शारीरिक परीक्षा में सफलता हासिल की थी, लेकिन अंतिम तौर पर उसका चयन नहीं हो सका. शारीरिक दक्षता परीक्षा पास करने के बाद उसके अंतिम चयन में आरक्षण व्यवस्था रोड़ा बन गई. घर वालों के मुताबिक, सरिता पुलिस भर्ती घोटाले से परेशान थी.
पुलिस कहती है कि वह सरिता के सुसाइड नोट में लिखी बातों की छानबीन करेगी. लेकिन, सुसाइड नोट में लिखी बातें आप पढ़ लें, तो आपको पता चल जाएगा कि पुलिस किस साहस और हैसियत से मामले की छानबीन करेगी. जब कई अ़खबार वालों ने सुसाइड नोट छापने से परहेज कर लिया, तो सरकारी तंत्र क्या कर लेगा. सुसाइड नोट में सरिता ने उत्तर प्रदेश सरकार और आरक्षण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. सरिता ने सुसाइड नोट में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर अपनी हत्या का आरोप लगाया और लिखा है कि सामान्य वर्ग में जन्म लेने का यह अभिशाप या सजा है. सभी जगह आरक्षण-अभिशाप. यदि हम कोई फॉर्म भरते हैं, तो उसके लिए पैसे कहां से लाएं? उसने लिखा कि पापा, आपके पास भी तो इतनी ताकत नहीं रही. कॉलेज की कॉपी पर लिखे गए सुसाइड नोट में सरिता कहती है कि अखिलेश के घराने में लालू यादव की बिटिया की आलीशान शादी का जश्न देश भर में प्रमुखता से छपता है, लेकिन कोई नहीं लिखता कि इस जश्न में पैसा किसका खर्च होता है. सरिता कहती है कि ग़रीबों का खून चूसकर ही ये लोग जश्न मनाते हैं.
सरिता को बहुत तकलीफ थी कि सारे पदों पर यादव ही भरे हुए हैं. वह लिखती है, पापा, मैंने हार नहीं मानी, पर हमें सामान्य जाति के होने का अभिशाप था. कहीं लंबाई, कहीं पढ़ाई, कहीं आरक्षण. तो क्या करें जीकर? ज़्यादा पढ़ाई या प्रोफेशनल कोर्स करना या कराना हम लोगों की क्षमता से बाहर है. पापा, मैं तो जा रही. इन हत्यारों से यह पूछना कि जब सामान्य वर्ग वालों के लिए कहीं जगह नहीं है, तो हर हॉस्पिटल में बोर्ड लगवा दें कि सामान्य वर्ग की स्त्री के शिशु जन्म लेने से पहले ही मार डालें. सब जातिवाद फैला रहे हैं. पापा, मैंने हार नहीं मानी थी. बस आरक्षण-अभिशाप की वजह से जीना नहीं चाहती. हर जगह अपनीअपनी जाति-बिरादरी के लोगों की तैनाती की जा रही है. सरिता ने अपनी मां को लिखा कि आप परेशान मत होना, मैं आपके सुखों में बहुत खुश थी. वर्दी का सपना इस हालात में ले आया. मैं पुलिस की वर्दी तो नहीं पहन सकी, लेकिन एनसीसी की वर्दी घर में रखी है, जिसे मेरी चिता के पास रख देना. मम्मी, मेरा सपना था वर्दी पहनने और इंसाफ की लड़ाई लडऩे का. इसलिए मैं दौड़-दौड़कर पेट की मरीज बन गई. सरिता आ़िखर में लिखती है, जय भारत, जय धरती माता की, मुझे अपनी गोद में स्थान दो.
काकोरी थाने के स्टेशन अफसर अनिल सिंह कहते हैं कि सरिता के घर वालों ने पुलिस को सुसाइड नोट की फोटो कॉपी दी है. सुसाइड नोट क़रीब नौ पन्ने का है. पुलिस कहती है कि फोटो कॉपी पर वह छानबीन नहीं कर सकती, उसे तो मूल कॉपी चाहिए. सरिता के रिश्तेदारों का कहना है कि असल सुसाइड नोट दे दो, तो वह गायब हो जाएगा, पड़ताल थोड़े होगी. वे उसे सीधे अदालत के समक्ष पेश करने की सोच रहे हैं. सरिता के गांव वाले और रिश्तेदार इतने नाराज़ थे कि वे पुलिस को लाश नहीं उतारने दे रहे थे. मलिहाबाद के एसडीएम नंदलाल कुमार और डीएसपी एएन त्रिपाठी द्वारा समझाने-बुझाने के बाद सरिता की लाश पेड़ से उतारी जा सकी. देश की आज़ादी में अहम भागीदारी करने वाले काकोरी के मलाहां गांव में बेहद ग़रीब परिवार में पैदा हुई गिरीश द्विवेदी की पुत्री सरिता बहुत मेधावी और साहसी थी. पुलिस में भर्ती होकर वर्दी पहनने के बाद उसका सपना इंसाफ की लड़ाई लड़ने का था, लेकिन आरक्षण और सरकारी संवेदनहीनता के आगे उसकी एक नहीं चली और पुरस्कार में उसे मौत मिली. आहत सरिता ने सुसाइड नोट में अपनी आत्महत्या के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव और कुछ सचिवों को ज़िम्मेदार ठहराया. उसने सुसाइड नोट में अखिलेश यादव को हत्यारा तक लिखा. सरिता ने लिखा कि सामान्य वर्ग में जन्म लेना अभिशाप और सजा है. सब जगह आरक्षण का अभिशाप.
धांधली का शिकार हुई सरिता
पुलिस भर्ती परीक्षा में सरिता द्विवेदी को मेरिट लिस्ट में 188वें स्थान से घटाकर 288वें स्थान पर कर दिए जाने की बात सामने आई है. सरिता ने दौड़ की प्रतियोगिता में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए थे. जाहिर है, उसका मेरिट में ऊंचा स्थान अवश्य रहा होगा. लिहाजा, इस बात की गहराई से जांच की जानी चाहिए कि मेरिट लिस्ट के साथ कहीं कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई? मेरिट लिस्ट में छेड़छाड़ और रिश्वत लेकर स्थान ऊपर-नीचे किए जाने की अनगिनत शिकायतें मिली हैं. एक पुलिस अधिकारी ने खुद कहा कि अगर मामले की गहराई और निष्पक्षता से जांच हो, तो सरिता की आत्महत्या हत्या साबित हो जाएगी, क्योंकि सरिता धांधली और भ्रष्टाचार का शिकार बनी है.