सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड (सीसीएल) की कथारा स्थित जारंगडीह कोलियरी के अधीन दो खदानें हैं, एक भूमिगत (अंडर ग्राउंड), जो काफी नुक़सान में चल रही है और दूसरी खुली (ओपेन कास्ट), जिसमें काफी वर्षों से कोयले का खनन-उत्पादन किया जा रहा है. भूमिगत और खुली खदानों में खनन-उत्पादन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी परियोजना पदाधिकारी (प्रोजेक्ट ऑफिसर) की होती है.
कोल इंडिया लिमिटेड के सहायक उपक्रम सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड (सीसीएल) की कथारा एरिया स्थित जारंगडीह कोलियरी (ओपन कास्ट कोल माइंस) में चौबीसों घंटे बड़े वाहनों के आवागमन और सड़क मार्ग संकरा होने की वजह से किसी भी समय कोई भयंकर दुर्घटना हो सकती है. इस आशंका ने खदान में काम करने वाले कर्मचारियों के परिवार काफी चिंतित कर रखा है. कर्मचारी जब अपने घर लौट नहीं आते, तब तक उनके परिवारीजन चैन से बैठ नहीं पाते हैं. ग़ौरतलब है कि सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड (सीसीएल) की कथारा स्थित जारंगडीह कोलियरी के अधीन दो खदानें हैं, एक भूमिगत (अंडर ग्राउंड), जो काफी नुक़सान में चल रही है और दूसरी खुली (ओपेन कास्ट), जिसमें काफी वर्षों से कोयले का खनन-उत्पादन किया जा रहा है. भूमिगत और खुली खदानों में खनन-उत्पादन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी परियोजना पदाधिकारी (प्रोजेक्ट ऑफिसर) की होती है. खदान के सारे अधिकारी-कर्मचारी परियोजना पदाधिकारी के निर्देशन में अपने काम को अंजाम देते हैं. परियोजना पदाधिकारी जनरल मैनेजर के प्रति जवाबदेह होता है, जिसके कंधे पर पूरे एरिया की ज़िम्मेदारी होती है.
जारंगडीह खुली खदान से पिछले कई वर्षों से रोड सेल (लोकल सेल) का काम भी किया जा रहा है, जिससे कोयले की उठान (ट्रांसपोटेशन) के लिए भारी वाहनों की भरमार रहती है. रोड सेल के उक्त वाहनों के अलावा कोलियरी के अपने वाहनों जैसे डोजर लोडर, होल्पैक डंफर, जो स़िर्फ खदान के ट्रांसपोटेशन के लिए होते हैं, की एक बड़ी संख्या है. उक्त सारे वाहन जिस संकरी सड़क पर चलते हैं, उसके दोनों तऱफ गहरी खाई (माइंस) है. इस मार्ग पर खतरनाक तस्वीर तब देखते बनती है, जब एक तऱफ से कोई बड़ा वाहन आता है और दूसरी तऱफ कोई बड़ा वाहन उसे रास्ता देने के लिए किनारे खड़ा कर दिया जाता है. अगर गुज़रने वाले वाहन के चालक से थोड़ी भी चूक हो जाए, तो दोनों वाहन पलक झपकते हज़ारों फुट गहरी खाई के अंदर. एक वाहन में चालक को कम से कम तीन लोग होते हैं, जिनकी मौत तय समझिए. सीसीएल को जो करोड़ों का नुक़सान होगा, सो अलग. जारंगडीह कोलियरी के कर्मचारी इस स्थिति से पिछले कई वर्षों से जूझ रहे हैं. यह ़खतरा पिछले वर्ष से तब और भी बढ़ गया, जब जारंगडीह खुली खदान में एक इलाकाई निजी कंपनी बीकेबी द्वारा आउटसोर्सिंग का काम शुरू किया गया. बीकेबी को खदान के अंदर मौजूद कोयले पर पत्थर और मिट्टी उठाने का काम दिया गया है. इस निजी कंपनी के वाहनों की संख्या अच्छी-खासी है और वे भी उसी संकरी सड़क से आते-जाते हैं. कोलियरी में चौबीसों घंटे यानी तीन शिफ्टों में काम होता है. रोड सेल, कोलियरी और बीकेबी के वाहनों के लगातार आवागमन के चलते कर्मचारियों को हर समय अपनी जान को खतरा महसूस होता रहता है. पिछले दिनों इसी सड़क पर बीकेबी का एक डंफर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. हालांकि कोई बड़ा नुक़सान नहीं हुआ, फिर भी कोलियरी कर्मचारियों ने कामकाज ठप्प कर दिया था. इस पर कोलियरी की सभी ट्रेड यूनियनों के नेताओं-कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें कहा गया कि उक्त सड़क मार्ग यथाशीघ्र चौड़ा किया जाएगा. इसके अलावा सुरक्षा के अन्य इंतजाम भी किए जाएंगे. समझौते के वक्त आरसीएमएस के एरिया सेक्रेटरी वरुण सिंह, बेरमो प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद सिंह, कोल फील्ड मज़दूर यूनियन के नेता इर्रेंान और कोलियरी के विभिन्न वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. उसके बाद कर्मचारियों ने अपना काम शुरू कर दिया था.
समझौता तो हो गया, लेकिन आज तक सड़क मार्ग चौड़ा करने का काम शुरू नहीं हुआ है. कोलियरी प्रबंध तंत्र चुप्पी साधे बैठा है, जिससे कर्मचारियों में फिर से रोष बढ़ता जा रहा है. ट्रेड यूनियन के नेताओं का कहना है कि प्रबंध तंत्र जान-बूझकर हादसे को दावत दे रहा है. यदि उक्त सड़क मार्ग शीघ्र ही चौड़ा न किया गया, तो कर्मचारियों को मजबूरन कामकाम ठप्प करना पड़ेगा. इस बीच अगर कोई दुर्घटना हो गई, तो उसके लिए प्रबंध तंत्र ही ज़िम्मेदार होगा.