[एफबीआई के तौर-तरीक़े ही उसे बाक़ी खुफिया एजेंसियों से अलग करते हैं. कई बार तो अपराधियों के गढ़ में घुसकर उनको मात देने के लिए एफबीआई के एजेंट ख़ुद अपराध की दुनिया में प्रवेश करते हैं.]
यह बात तीन दशक पहले की है. उस व़क्त एक एफबीआई एजेंट ने अपराधियों के सफाए के लिए ख़ुद अपराध की दुनिया में क़दम रखा. उसकी वजह से सैकड़ों माफियाओं को सलाखों के पीछे जाना पड़ा. जी हां, जोए पिस्टॉन ही वह खुफिया एफबीआई एजेंट थे, जिन्होंने जान का जोख़िम लेते हुए इस कारनामे को अंजाम दिया था. हालांकि, इन सबके लिए उन्हें अपनी पहचान और पेशा तक बदलना पड़ा.
बात उन दिनों की है, जब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में पांच कुख्यात आपराधिक घरानों का दबदबा था. यह वह दौर था जब अमेरिका में प्रशासन और क़ानून ख़स्ताहाल थे. अपराध का आतंक चारों तऱफबढ़ रहा था. ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी एफबीआई को इस आतंक को ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई और इस काम के लिए एफबीआई एजेंट जोए पिस्टॉन को चुना गया. जोए पिस्टॉन ने सत्तर के दशक में वह कारनामा कर दिखाया, जिसने उसे एफबीआई के इतिहास का सबसे मशहूर खुफिया एजेंट बना दिया.
न्यूयॉर्क के ख़तरनाक इस आपराधिक घराने में घुसपैठ करने के लिए पिस्टॉन ने अपनी पहचान डॉनी द ज्वेलर के नाम से पहचान बनाई और इस तरह उसने अपराध की दुनिया में घुसपैठ किया. जहां उसने देखा कि अमेरिकी और सिसिलियन गुटों के बीच नशीली दवाओं के कारोबार पर वर्चस्व को लेकर टकराव अपने चरम पर था, उस समय भी ये मा़फिया घराने अभूतपूर्व समृद्धि और वैभव की ज़िंदगी जी रहे थे.
जोए पिस्टॉन इन मा़फिया संगठनों में हमेशा एक निचले दर्ज़े के सहायक के तौर पर ही काम करते रहे, लेकिन उन्होंने इनको काफी नुक़सान पहुंचाया. इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 1981 में एफबीआई से सेवानिवृत होने के पहले वह लगभग 120 ख़तरनाक मा़फिया को जेल में पूरी ज़िंदगी बिताने का इंतजाम कर चुके थे. पिस्टॉन एक ऐसे शख्स थे जो हमेशा लो-प्रोफाइल रहना पसंद करते थे. ख़तरे से भरे खुफिया एजेंट के तौर पर काम करने के दौरान उन्हें अपने कई जांबाज साथियों से हाथ धोना पड़ा. ऐसे में यह काम उनके आसान नहीं था. फिर भी 1969 में एफबीआई एजेंट के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाले पिस्टॉन ने बोन्नानो परिवार में अपनी मर्ज़ी से घुसपैठ करने का फैसला किया. उनका मक़सद इस परिवार के सभी सदस्यों की जानकारी हासिल करना था ताकि उनके ख़िला़फ कड़े क़दम उठाए जा सके. और इन सब कामों के लिए उन्हें जिस बात ने सबसे ज़्यादा आकर्षित किया वह था-इस पूरे ऑपरेशन के लिए उन्हें चुना जाना. जिसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की.
इन ख़तरनाक आपराधिक घराने में घुसपैठ के लिए पिस्टॉन ने सबसे पहले एक मनगढ़ंत कहानी बनाई. ख़ुद को उन्होंने ज्वेल-थीफ की दुनिया का बेताज बादशाह और अपना नाम डॉनी ब्रॉस्की बताया. इस लिहाज़ से पिस्टॉन को सभी बहुमूल्य जवाहरातों के बारे में अच्छी तरह मालूम होना चाहिए था ताकि कोई उस पर शक न कर सके. नतीजतन ज्वेल-थीफ के इस किरदार को निभाने के लिए उन्होंने काफी व़क्त ज्वेलर्स के साथ बिताए और उनसे इन सबका प्रशिक्षण भी लिया. इस दौरान पिस्टॉन का अपने बच्चों और परिवार से भी मिलना जुलना काफी कम हो गया. और अपने काम में लगन की वजह से ही वह जल्द…..
पूरी ख़बर के लिए पढ़िए चौथी दुनिया…..
जब एफबीआई एजेंट बना अपराध की दुनिया का सरगना
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