मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हों या हमारे प्रधानमंत्री, दोनों यदा-कदा खुद को आदिवासियों और जनजातियों का रहनुमा बताते रहते हैं. लेकिन आदिवासियों की जमीनी हकीकत को देखने पर इनके दावे खोखले प्रतित होते हैं. 12 अप्रैल को दामोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि मध्य प्रदेश की धरती पर जिसने भी जन्म लिया है, उसके पास रहने लायक जमीन का टुकड़ा हो, साथ ही हर परिवार को आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए राशि मुहैया कराई जाएगी.
अपने और अपनी सरकार के कार्यों का गुणगान करते हुए मुख्यमंत्री शायद इस बात से बेखबर थे कि जहां वे खुद को आदिवासियों का मसीहा साबित करने की कोशिश कर रहे थे, वहां से लगभग 300 किमी की दूरी पर सीधी में आदिवासी, प्रशासन और कॉर्पोरेट की मिलीभगत से फर्जी हथकंडे अपना कर छिनी गई अपनी जमीन को वापस पाने की कोशिशों में लगे थे.
वो 2009 का साल था, जब सीधी जिले के दो गांवों भुमका और मूसामूड़ी में कंपनी खोलने के नाम पर सरकार और कॉर्पोरेट्स ने आदिवासियों को बरगलाना शुरू किया. उन्हें तरह-तरह के झांसे दिए गए. लेकिन आदिवासी अपनी जमीनें देने के पक्ष में नहीं थे. इसी कड़ी में एक कंपनी सामने आई, आर्यन पॉवर जनरेशन प्राइवेट लिमिटेड, जिसने इस इलाके में बिजली कंपनी लगाने की इच्छा जताई थी. इस कंपनी ने भुमका एवं मूसामूड़ी के किसानों के जमीन अधिग्रहण के प्रति सहमति जानने के लिए 29-10-2009 एवं 06-11-2009 को ग्राम सभा की बैठक बुलाई.
हालांकि उस बैठक में भुमका और मूसामूड़ी के किसान शामिल नहीं हुए, क्योंकि वे कंपनी को जमीन देने के पक्ष में नहीं थे. ग्राम सभा की बैठक में किसानों के शामिल नहीं होने के कारण सभा स्थगित कर दी गई. इस कंपनी और इसका साथ दे रहे अधिकारियों को जब लगा कि इस तरह से जमीनें अधिग्रहित नहीं की जा सकेंगी, तो उन्होंने एक नया पैंतरा चला. 18-12-2009 को तत्कालीन एसडीएम/
भू-अर्जन अधिकारी मझौली ने अपने उपखंड कार्यालय मझौली में ग्राम पंचायत के सचिव को बुलाकरबिना ग्राम सभा की बैठक के, फर्जी तरीके से फाइलों में जमीन अधिग्रहण को लेकर 169 व्यक्तियों की सहमति दिखा दी. इस तरह से मेसर्स आर्यन कंपनी के पक्ष में ग्राम सभा की सहमति का प्रस्ताव पारित कर दिया गया. जिन 169 व्यक्तियों को अधिग्रहण से सहमत बताया गया, उनमें से 159 व्यक्ति भुमका एवं मूसामूड़ी के निवासी हैं ही नहीं.
18-12-2009 को हुई ग्राम सभा बैठक की कार्रवाई पंजी में ग्राम पंचायत भुमका के जिन 10 व्यक्तियों के नाम लिखे गए हैं, उनका कहना है कि उनकी जानकारी में भूमि अधिग्रहण सम्बंधी कोई ग्राम सभा आयोजित हुई ही नहीं है. ग्राम पंचायत भुमका के तत्कालिन सरपंच का भी यही कहना है कि भूमि अधिग्रहण पर सहमति के लिए आयेजित की गई जिस ग्राम सभा का जिक्र किया जा रहा है, वो मेरी जानकारी में नहीं हुई है. इन सब बातों से स्पष्ट है कि इस मामले में न सिर्फ जमीन अधिग्रहण को लेकर फर्जीवाड़ा किया गया है, बल्कि पूरी तरह से पंचायती राज अधिनियम की धज्जियां उड़ाई गई हैं, क्योंकि बिना सरपंच के किसी भी ग्राम सभा की बैठक हो ही नहीं सकती है.
सरकारी मुलाजिम किस तरह से कॉर्पोरेट कंपनियों के इशारे पर जनता को ठगने का काम करते हैं, इसे इस घटना से समझा जा सकता है. हालांकि इस फर्जी अधिग्रहण का एक सिरा सियासत से भी जुड़ा है. स्थानीय आदिवासियों और उनके लिए इस मामले में आगे बढ़कर संघर्ष कर रहे संगठनों की मानें, तो ये आर्यन पॉवर जनरेशन प्राइवेट लिमिटेड भाजपा नेताओं की कंपनी है.
यही कारण भी है कि भाजपा सरकार में इसे पूरी तरह से संरक्षण दिया गया और इसके लिए न सिर्फ नियमों से ऊपर उठ कर रास्ता बनाया गया, बल्कि गरीब आदिवासियों से जबरन जमीनें भी ली गईं. कागजी कार्रवाई की मानें, तो मेसर्स आर्यन पॉवर जनरेशन प्राइवेट लिमिटेड हेतु मूसामूड़ी गांव के आदिवासियों की जमीन लेने के लिए 11-09-2009 को भू-अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत
भू-अर्जन प्रकरण क्र. 1/अ-82/2010-11 के द्वारा अधिसूचना जारी की गई. इसके बाद 18-03-2011 को अवार्ड पारित कर मूसामूड़ी के 374 खातेदारों की 522.25 एकड़ एवं मध्यप्रदेश शासन की 27 एकड़ भूमि 87,334 रुपए प्रति एकड़ की दर से कंपनी के लिए अधिग्रहित की गई. इसी तरह भू-अर्जन प्रकरण क्र. 2/अ-82/2010-11 के द्वारा भुमका के 137 खातेदारों की
413-17 एकड़ एवं मध्यप्रदेश शासन की 106 एकड़ भूमि 61,907 रुपए प्रति एकड़ की दर से अधिग्रहित की गई. इस प्रकार दोनों गांवों के कुल 511 खातेदारों की कुल 935.42 एकड़ एवं दोनों गांवों के मध्यप्रदेश शासन की कुल 133 एकड़ भूमि अर्थात कुल 1068.42 एकड़ भूमि को आर्यन पॉवर जनरेशन के लिए अधिग्रहित किया गया. गौर करने वाली बात ये भी है कि अधिग्रहित की गई 511 खातेदारों की कुल 935.42 एकड़ जमीन में से लगभग 650 एकड़ भूमि आदिवासी परिवारों की है, लगभग 75 एकड़ भूमि पिछड़े वर्ग के परिवारों की है तथा लगभग 250 एकड़ भूमि सामान्य वर्ग (जो अन्य गांव के निवासी है) के परिवारों की है.
इन लोगों की जो जमीनें अधिग्रहित की गई हैं, वे सभी कृषि योग्य भूमि हैं. लेकिन अधिग्रहण को लेकर हुई कागजी प्रक्रिया में इन जमीनों को बंजर बताया गया है. भुमका एवं मूसामूड़ी दोनों गांवों की जमीनें दो फसली एवं सिंचित हैं. इन जमीनों के लिए किसानों द्वारा जलकर का भी भुगतान किया जाता है, जिनकी रशीद भी इनके पास है. इसके बावजूद मेसर्स आर्यन पॉवर कंपनी द्वारा पटवारी, तहसीलदार एवं अनुविभागीय अधिकारी से सांठ गांठ करके इन जमीनों को असिंचित एवं बंजर बताकर अवार्ड राशि जमा की गई है.
गौर करने वाली बात ये है कि ये किसान अब भी उन जमीनों पर खेती कर रहे हैं. अधिग्रहण में मेड, कूप, पेड़, मिट्टी इत्यादि के लिए कोई मुआवजा ही तय नहीं किया गया है. अधिग्रहित भूमि का रकबा भी कम बताया गया है. अधिग्रहण के समय पर्यावरण सुनवाई में प्रस्तुत आपत्ति को भी नहीं सुना गया. अधिग्रहण में तो फर्जीवाड़ा हुआ ही है, मुआवजे की जो राशि तय की गई है, वो भी बहुत ही कम है.
भुमका की जमीनों के लिए 61,907 रुपए व मूसामूड़ी के लिए 87,334 रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजे की बात कही गई है, जो तत्कालीन बाजार भाव के हिसाब से बहुत ही कम है. जबकि भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार जमीन मालिकों को बाजार भाव का चार गुणा भुगतान करने का प्रावधान है. गौर करने वाली बात ये भी है कि इन जमीनों के बगल में ही स्थापित जेपी पावर कंपनी ने जमीनों के लिए भू-स्वामियों को 5 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया है.
अधिग्रहण में फर्जीवाड़े और मुआवजे की कम राशि को देखते हुए जमीन मालिकों ने मुआवजा लेने से मना कर दिया है. अधिकतर किसानों के मुआवजा राशि न लेने के कारण एसडीएम/भू-अर्जन अधिकारी मझौली ने चोरी चुपके किसानों के बैंक खाते में मुआवजा राशि जमा करा दी. इसकी जानकारी होने पर किसानों ने मुआवजा वापस लेने के लिए धरना आंदोलन किया, तब फिर किसानों के खाते में जमा की गई मुआबजा राशि एसडीएम/भू-अर्जन अधिकारी मझौली के खाते में वापस की गई.
पीड़ित आदिवासी किसान इस फर्जीवाड़े के खिलाफ 2011 से ही आंदोलन कर रहे हैं. टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के बैनर तले हो रहे इस आंदोलन के माध्यम से किसान अपनी जमीन को वापस पाने तथा जमीन छीनने के दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इंसाफ के लिए संघर्षरत किसानों ने भूख हड़ताल भी किया. 24 फरवरी 2017 से मूसामूड़ी में शुरू किसानों के भूख हड़ताल को विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है.
एनएपीएम (जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय), किसान मंच, किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन, वामपंथी दलों सहित कई अन्य दलों और संगठनों ने मूसामूड़ी व भुमका के किसानों के साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ आवाज बुलंद किया है. टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी का कहना है कि ये पूरा मामला प्रशासन की तरफ से गरीब किसानों और आदिवासियों के शोषण का है.
उनका कहना है कि जिस कंपनी के नाम पर जमीन अधिग्रहित की गई है, उसका आज छह साल बाद भी कोई अता-पता नहीं है. हम चाहते हैं मूसामू़डी एवं भुमका गांव के जमीन अधिग्रहण मामले में नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मुआवजा राशि वितरित की जाय या फिर अधिग्रहित जमीन को भू-स्वामियों को वापस किया जाए.
विरोध प्रदर्शन के बाद निरस्त पट्टा बहाल
वर्ष 2000-01 में मूसामूड़ी एवं भुमका के 10 आदिवासियों को भूमि का पट्टा मिला था. लेकिन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मझौली ने मेसर्स आर्यन एमपी पॉवर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 2013 में इन आदिवासियों की जमीन का पट्टा निरस्त कर दिया था. निरस्त बंटन के पट्टे की 22 एकड़ भूमि का भू-स्वामी मेसर्स आर्यन पॉवर कंपनी को बना दिया गया था. गौर करने वाली बात ये है कि पट्टा निरस्त करने का अधिकार अनुविभागीय अधिकारी को है ही नहीं, यह काम कलेक्टर ही कर सकता है.
पट्टा निरस्त किए जाने के बाद से ही पीड़ित आदिवासी किसान इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. 24 फरवरी से ये किसान भूख हड़ताल पर थे, जिसमें इन्हें कई किसान संगठनों का साथ मिला. 34 दिनों की भूख हड़ताल के बाद जिला प्रशासन ने किसानों की मांग को पूरा करने का वादा किया था. अंतत: 9 अप्रैल 2017 को इनका निरस्त पट्टा बहाल कर दिया गया.
कलेक्टर ने मानी है फर्जीवाड़े की बात
सीधी के अपर कलेक्टर ने माना है कि आर्यन पॉवर कंपनी के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण में अनियमितता हुई है. 6 अप्रैल 2017 को राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव और पुनर्वास आयुक्त को लिखे अपने पत्र में अपर कलेक्टर सीधी ने मूसामूड़ी एवं भुमका के किसानों की जमीन अधिग्रहण हेतु की गयी ग्राम सभा को फर्जी एवं काल्पनिक बताया है. पत्र में कलेक्टर ने इस तथ्य का हवाला भी दिया है कि उक्त जमीनों के पास ही जेपी पावर्स ने 5 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से जमीनों का अधिग्रहण किया था.
कलेक्टर ने लिखा है, ‘जय प्रकाश पावर वेंचर्स प्रा.लि. को विद्युत प्लांट की स्थापना हेतु कंपनी एवं शासन के मध्य किए गए अनुबंध की कंडिका 21 के अनुसार 5 लाख रुपए प्रति एकड़ अथवा पुनर्वास नीति में उल्लेखित राशि में जो भी अधिक हो की दर से मुआवजा दिए जाने की स्वीकृति दी गई है. इसी बात को लेकर ग्राम भुमका एवं मूसामूड़ी के प्रभावित किसानों में असंतोष व्याप्त है.’ कलेक्टर ने लिखा है कि शासन से स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत प्रकरण में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. अब देखने वाली बात ये होगी कि इस मामले में दोषियों को सजा देने और किसान आदिवासियों के साथ न्याय करने के लिए कलेक्टर साहेब को प्रशासन से स्वीकृति कब तक मिलती है.
सरकार किसानों की चौतरफा लूट कर रही है, चाहे अध्रिहण के नाम पर उनकी जमीन छीनने की बात हो या उनके उत्पाद का उचित दाम ना देकर लूट करना हो. इन सब की वजह से देश में व्यापक रूप से किसान आत्महत्या कर रहे हैं. यहां के किसान अपनी जमीन बचाने के संघर्ष में जुटे रहें, उनकी जमीन कोई नहीं ले सकता है, किसान मंच इनके साथ है.
-विनोद सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान मंच