शास्त्रों में कामदेव को कामुकता का देवता बताया गया है।कामदेव’ को हिंदू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार माना गया है।सनातन परंपरा में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार प्रमुख चीजें बताई गई हैं। यदि इसमें काम की बात करें तो तमाम तरह की कामनाओं और इच्छाओं का नाम काम है। सनातन परंपरा में धर्म की मर्यादा में रहते हुए काम में प्रवृत्त होने की बात कही गई है। एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने जब कामदेव को भष्म कर दिया था, तब कामदेव ने अपने शरीर को वापस पाने के लिए काफी प्रयास किया। जिसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को स्त्री पुरुषों के अंगों के अलावा कई अन्य वस्तुओं पर वास करने का अधिकार प्रदान किया।
कामदेव का निवास यौवन, स्त्री, सुंदर फूल, गीत, परागकण, पक्षियों के स्वर, सुंदर बाग-बगीचा, बसंत ऋतु, चंदन, काम वासना, मंद हवा, सुन्दर घर, आकर्षक वस्त्र और आभूषण धारण किए अंगों पर है। कामदेव के अस्त्र-शस्त्र में विशेष रूप से धनुष बाण का जिक्र मिलता है। काम के देवता का धनुष हमेशा पीला माना गया है। “तीर कामदेव’ का सबसे महत्वपूर्ण शस्त्र है। कामदेव का धनुष गन्ने का है जिसके तीन कोण हैं जो तीनों लोक, तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने जाते हैं। यह धनुष इस बात को दर्शाता है कि मनुष्य के लिए सृष्टि का विकास करने के लिए काम जितना आवश्यक है, उतना ही कर्म और मोक्ष की प्राप्ति भी जरुरी है।
कामदेव अपने जिन शस्त्रों से दूसरे के मन में प्रेम का भाव जगाते हैं, उसके लिए वह पुष्प के पांच बाण का प्रयोग करते हैं। कामदेव के धनुष-बाण की खासियत है कि इनसे घायल होने के बाद भी व्यक्ति आनंद और मिठास महसूस करता है। सबसे अहम बात यह इनके चलने की कोई आवाज नहीं आती है।