केंद्र में एनडीए की सरकार बने दो साल से अधिक हो गए हैं, लेकिन बेराजगारी में कोई कमी नहीं आई. 2013-2014 के मुकाबले संगठित क्षेत्र में 68 प्रतिशत रोजगार की कमी हुई है. सरकार कई तरह के दावे कर रही है, लेकिन नौजवान नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. नौकरी के लिए देश की जनता एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन कर रही है और सरकार पलायन रोकने में नाकामयाब साबित हो रही है. नरेंद्र मोदी को युवाओं ने इस आशा के साथ चुना था कि वो प्रधानमंत्री बनेंगे, तो उनके अच्छे दिन आएंगे और उनको रोजगार मिलेगा. लेकिन अच्छे दिनों की बाट जोह रहे युवाओं को निराशा हाथ लगी हैै. साथ ही रोजगार का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. एक साल पहले सरकार ने बेरोजगारों खासकर युवाओं के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की शुरुआत की थी जिसके तहत युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वो नौकरी पा सकें. केंद्र सरकार ने स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय भी बनाया है और बिहार के छपरा से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी स्किल डेवलपमेंट मंत्री हैं. मोदी सरकार और उसके मंत्री रोजगार को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. लोकसभा में पेश किए सरकारी आंकड़े मोदी सरकार और उसके मंत्रियों के दावों की पोल खोल रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश के युवाओं को राष्ट्रीय कौशल विकास योजना से कितना फायदा होगा? लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2013-2014 के मुकाबले 2015 में संगठित क्षेत्र में मिलने वाली नौकरियों में 68 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो चिंता की बात है. मोदी सरकार द्वारा पेश किए आंकड़ों के मुताबिक 2015 के दौरान भारत में एक लाख तीस हजार नौकरियां सृजित हो पाईं, जबकि 2013 में चार लाख नौकरियां सृजित हुई थीं और 2014 में भी यही स्थिति रही. यह आंकड़ा मानसून सत्र के दौरान 20 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था. भारत में औपचारिक सेक्टर से 10 प्रतिशत लोग जुड़े हैं. भारत में हर महीने एक लाख नौकरी की आवश्यकता है और साल में 12 लाख. सरकार ने जो आंकड़ा पेश किया है, उसमें कपड़ा उद्योग, रत्न एवं आभूषण उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग भी शामिल है.
कपड़ा उद्योग पिछले तीन वर्षों से लगातार सबसे अधिक नौकरी देने वाला क्षेत्र रहा है. कपड़ा उद्योग में तीन साल में देखें, तो 4,99,000 नौकरियां सृजित हुई हैं. हालांकि रोजगार की गति इन वर्षों में 75 प्रतिशत धीमी रही है. वहीं सूचना प्रौद्योगिकी और बीपीओ रोजगार सृजित करने वाला भारत में दूसरा बड़ा क्षेत्र है. इस क्षेत्र में तीन साल के दौरान 3,78,000 लोगों को नौकरी मिली. ट्रांसपोर्ट और हैंडलूम एवं पावरलूम में क्रमश: 28000 और 18000 नौकरियां सृजित हुईं. आधिकारिक तौर पर भारत में 5 प्रतिशत बेरोजगारी है जिसकी आड़ में बड़े पैमाने पर आंशिक बेरोजगारी को छुपाया जा रहा है. 2050 तक भारत में 28 करोड़ नौकरियों की जरूरत होगी. संयुक्त विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक 1991 से लेकर 2013 तक 22 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का अभूतपूर्व विकास हुआ. इस दौरान 30 करोड़ लोगों को नौकरी की जरूरत थी, लेकिन इनमें से केवल आधे लोगों को ही नौकरी मिली. 2015 में बीपीओ, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, मेटल के क्षेत्र में सबसे अधिक नौकरियां सृजित हुईं, वहीं इन क्षेत्रों के मुकाबले लेदर उद्योग, ऑटोमोबाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, ट्रांसपोर्ट और हैंडलूम/पावरलूम में नौकरियों में कमी देखने को मिली. साल 2015 के दौरान संगठित क्षेत्र में नौकरियों में इतनी गिरावट चिंता का विषय है. यह आंकड़ा औद्योगिक विकास की स्थिति को भी दर्शाता है. इससे यह पता चलता है कि इन क्षेत्रों की हालत पहले से ज्यादा खराब हुई है जिसकी वजह से इस क्षेत्र की नौकरियों में बड़ी संख्या में गिरावट आई है. सरकार को इस पर सोचने की जरूरत है कि क्यों इतने बड़े क्षेत्र में नौकरियों में कमी आई है. अगर यही हाल रहा तो पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के लिए रोजगार का और संकट पैदा होगा.
सरकार का स्किल इंडिया के तहत 2022 तक 40 करोड़ युवाओं को कुशल कामगार बनाने का लक्ष्य है. सरकार ने एक साल में निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में 1,141 नए इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) खोले हैं. इनमें 1.73 लाख लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने विभिन्न कंपनियों को कुशल श्रमिकों को प्रशिक्षु (एप्रेंटिस) रखने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी है. कुछ दिनों पहले स्किल इंडिया की फ्लैगशिप योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के लिए केंद्र सरकार ने 12 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है. इसके तहत अगले चार वर्षों में एक करोड़ लोग लाभान्वित होंगे. इसके तहत करीब 60 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा. इनके अलावा 40 लाख दूसरे कामगार जिन्हें औपचारिक प्रशिक्षण नहीं मिला है उन्हें रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग (आरपीएल) का प्रमाणपत्र दिया जाएगा. अगर नौकरियां सृजित नहीं होगी, तो बेरोजगारों को रोजगार कहां मिलेगा? सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के मकसद से स्किल इंडिया की शुरुआत की थी, लेकिन अगर यही हालात रहे, तो युवा स्किल्ड होकर भी बेरोजगार ही रहेगा, क्योंकि उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी. कौशल विकास योजना के साथ सरकार को नौकरियां भी सृजित करनी होंगी, नहीं तो स्किल इंडिया केवल नारा बनकर ही रह जाएगा.