इस बैठक का आयोजन करने वाले जमाते – उल – उलेमा नामके 1919 में भारत की आजादी की लड़ाई के लिए स्थापित संघठन है ! जिसने भारत विभाजन का पुरजोर विरोध किया है ! और अंग्रेजों के कब्जे से भारत को मुक्त कराने के लिए सव्वा लाख से अधिक लोगों ने शहादत दी है ! अभी इस वक्त मुंबई के इस्लामिक जिमखाना में भारत की वर्तमान स्थिति के उपर एक बैठक चल रही है ! जिसमें मुझे भी शामिल होना था ! लेकिन कुछ पारिवारिक समस्याओं के कारण मैं घर से ही वर्तमान स्थिति पर अपने विचार व्यक्त कर रहा हूँ !
1906 में ढाका के नवाब तथा प्रिंन्स आगाखान और कुछ मुस्लिम जमींदारों ने मिलकर मुस्लिम लिग की स्थापना की ! और उसीकी प्रतिक्रिया में,1909 में हिंदू महासभा की स्थापना, कुछ हिंदू राजा महाराजा, और हिंदू जमींदार तथा सवर्ण वर्ग के लोगों ने की है ! जिसके अध्यक्षों में विनायक दामोदर सावरकर लंबे समय तक रहे है ! और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार तथा डॉ. धर्मवीर मुंजे भी हिंदू महासभा मे थे !
लेकिन उन्हें इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी और जर्मनी के तानाशाह अडॉल्फ हिटलर के यहुदी द्वेष को आधार बनाकर बच्चों के संघठन, बलाला और स्टॉर्म स्टूपर्स की तर्ज पर, और उसके लिए सेकंड राउंड टेबल कांफ्रेंस लंडन में मुंजे पहले शामिल हुए ! और वहीसे इटली चुपचाप चले गए थे ! ( 1932 मे ! ) और इटली जाकर लगभग तीन हप्ते रहकर फासिस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एज्युकेशन, फासिस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मिलिट्री स्कूल जैसे दर्जनों फासिस्ट इंस्टीट्यूटो का करीब से निरिक्षण किया ! तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जैसे ही बच्चों का संघटन बलाला को भी नजदीक से देखा !
और इटली से निकलने के पहले बेनिटो मुसोलिनी से मुलाकात कर के, उन्हें बताया कि हमने भी भारत में बलाला के जैसे ही बच्चों का संघटन सात साल पहले (1925 संघ की स्थापना ! ) शुरू किया है ! लेकिन आपके फासिस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एज्युकेशन तथा मिलिट्री से प्रभावित होकर, हम भी भारत वापस लौटने के बाद तुरंत ऐसे ही संस्थाओं को शुरू करेंगे ! और नागपुर और नासिक के भोसला मिलिट्री स्कूल , उसि मॉडल की हूबहू नकल कर के आज भी चला रहे हैं !
और भारत में भी भारत की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी मुस्लिम द्वेष के आधार पर एक फासिस्ट संघठन की स्थापना, दशहरे के दिन, 1925 को पंद्रह बीस स्वयंसेवकों की उपस्थिति में नागपुर के मोहिते वाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से की गई है !
और प्रथम संघ प्रमुख डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अपनी मृत्यु होने तक (1940) संघ प्रमुख रहे ! उनके बाद श्री. माधव सदाशिवराव गोलवलकर को संघ प्रमुख बनाया गया ! जो अपनी मृत्युतक (1973) तैतीस साल संघ प्रमुख रहे हैं ! और वर्तमान संघ का उग्र हिन्दुत्व ! और घोर अल्पसंख्यक समुदायों के विरोधी, बिल्कुल हिटलर – मुसोलिनी के जैसे ही ! बनाने में सबसे बड़ा योगदान गोलवलकर का रहा है ! और उस के लिए सैद्धांतिक आकार देने के लिए ‘वुई आर अवर नेशनहूड डिफाइंड’ और ‘बंच अॉफ थॉट्स’ शिर्षक की दो पुस्तकें और समग्र गोलवलकर के बारह खंडों के द्वारा ! संघ की बौद्धिक निंव डालने का काम गुरुजी उर्फ माधव सदाशिवराव गोलवलकर ने कीया है !
और उन्होंने ही अपनी राजनीतिक ईकाई के रूप में 1950 में’ जनसंघ’ की स्थापना, सिर्फ और सिर्फ उच्च वर्ण और वर्गों की रक्षा करने के लिए की थी ! जिसका वर्तमान नाम ‘भारतीय जनता पार्टी’ है ! और 1960 में विश्व हिंदू परिषद की , तथा ऑक्टोपस के जैसे अन्य क्षेत्रों के लिए विभिन्न इकाइयों की स्थापना की है ! उदाहरण के लिए समरसता मंच, वनवासी कल्याण आश्रम , राष्ट्रसेविका समिती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय मजदूर संघ, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, गोवा की सनातन संस्था और हजारों की संख्या में गेरूआ कपड़े में और लंबी-लंबी दाढी वाले तथाकथित साधुओं और तथाकथित संत अपने स्वतंत्र चैनलों के माध्यम से ही ! आज भारत में सत्ता की सिढिया चढने में कामयाबी हासिल की है !
संघ मातृ संघठन, और अन्य सभी उसकी ईकाईयो का मुख्य लक्ष्य भारत को हिंदुराष्ट्र बनाना ! उसके लिए बच्चों को बचपन से शाखाओं में खेल, बौद्धिक, गितो के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ तैयार करने का प्रयास, 98 सालों से बदस्तूर जारी हैं !
और उसिके परिणाम स्वरूप आज भारत के मुसलमानों को इतिहास के क्रम में सब से अधिक मात्रा में असुरक्षा की भावना का शिकार बनाया गया है ! और सांप्रदायिक दंगों में तथा मॉब लिंचिंग में मारने के प्रसंग, आजादी के बाद लगातार बढाने का काम मे संघ और उसकी सभी ईकाईया बेहद सक्रिय हैं ! और आजकल सत्ताधारी बनने की वजह से कई राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय के घरों पर बुलडोजरों से नष्ट करने की नई शुरुआत की गई है ! जो इस्राइल ने जेनिन कैम्प से लेकर और भी फिलिस्तीनी लोगों के घरों पर बुलडोजरों से बस्तियों को नष्ट करने का काम गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक के इलाकों में बदस्तूर जारी है ! यह बुलडोजरों का इस्तेमाल मध्य प्रदेश में तथा उत्तर प्रदेश की भाजपा की सरकारों ने कौन-से कानून के अनुसार शुरू किया है ? और इस अमानवीय कृति को लेकर देश में बहस तक नहीं हो रही है !
और ऐसा माहौल पैदा करने के लिए 1985 – 86 में शाहबानो के केस के बाद, सवाल आस्था का है ! कानून का नही ! इस नारे के अनुसार बाबरी मस्जिद विध्वंस और अब उसी जगह पर राममंदिर का निर्माण किया जा रहा है ! साथ ही काशी मथुरा तथा देश के विभिन्न स्थानों में भी इसी तरह के विवाद खोज- खोजकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का काम बारह महिनों चौबीसों घंटे जारी है ! और दुसरी तरफ सांप्रदायिक कोलाहल के आड में भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से देश की आर्थिक, शैक्षणिक, औद्योगिक, कृषी, तथा सामाजिक क्षेत्र को अपने सांचे में ढालना जारी है ! उसके लिए कृषि बिल, तथाकथित नई शिक्षानिति, संविधान में से सेक्युलरिज्म और सोशलिस्ट शब्दों को हटाने जैसे प्रयास करना जारी है !
लेकिन इस देश की 140 करोड़ आबादी में से, बीस से पच्चीस करोड़ आबादी असुरक्षित मानसिकता में रहना ! देश के कानून व्यवस्था के लिए और देश के समाजस्वास्थ के लिए खतरनाक है ! क्योंकि हमारे देश की सेना या पॅरामिलिटरी की संख्या, इतनी बड़ी नहीं है कि वह अपने दलबल के द्वारा इसे सभांल सके ! और यह संपूर्ण विश्व में भी संभव नहीं है ! क्योंकि मिलिटरी विदेशी शत्रु के लिए होती है ! उसे देश में ही पैदा हुए लोगों के उपर प्रयोग करना मिलिटरी के कोडअॉफकंडक्ट के खिलाफ है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को भी उतना ही हक है जितना बहुसंख्यक आबादी को है !
और हमारे संविधान के अनुसार बहुसंख्यक समुदाय का संविधानिक और नैतिक दायित्व है ! कि वह अल्पसंख्यक समुदाय के सुरक्षा की गारंटी के लिए अपना योगदान दे ! लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विषैले प्रचार के कारण आज हमारे देश में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रार्थना स्थलों पर हमले करने से लेकर, उस समुदाय के उपर भी हमले करने वाले लोगों को राजनीतिक आश्रय देकर, उनमे से कुछ लोगों को संविधानिक पदो पर बैठाना जारी है ! और उनके ही द्वारा संविधान के साथ छेडछाड शुरू कर दी गई है ! संविधान से सेक्युलरिज्म और सोशलिज्म शब्दों को हटाना उसीका परिचायक है !
यही आलम जारी रहा तो पचहत्तर साल पहले जैसा बटवारे की नौबत आ सकती है ! उस समय भी बैरिस्टर जीना ने बहुसंख्यक आबादी का अल्पसंख्यक आबादी को डर दिखाकर- दिखाकर ही पाकिस्तान की मांग की थी ! जिसमें वह कामयाब रहे हैं ! उस बटवारे से सिखने की जगह उसी बटवारे के जख्मों को हरा करने की कोशिश संघ सौ साल से कर रहा है ! और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को बटवारे के दिवस को मनाने की शुरुआत की है जिससे और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की गति तेज कर के, सत्ताधारी बनना मतलब भारत की एकता और अखंडता को दांव पर में डाला जा रहा है !
और यही चलते रहा, तो इस देश में सामाजिक सुरक्षा कभी भी नहीं रहने से सतत कानून व्यवस्था को बद-से-बदतर करने की गलती करने वाले लोगों को क्या इस देश के राष्ट्रभक्त बोला जा सकता है ? उल्टा विडंबना है कि, आजकल राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति के सर्टिफिकेट यही लोग बांट रहे हैं ! इसलिए जमाते – उल – उलेमा के मुंबई की बैठक में मुझे यही वर्तमान स्थिति बतानी थी ! और बैठक में सशरीर शामिल न हो सकने के लिए माफी चाहता हूँ ! धन्यवाद आप सभी आयोजको को !