मद्रास हायकोर्ट की वकिलो में से एक श्रीमती व्हिक्टोरीया गौरी नाम की महिला की अतिरिक्त न्यायमूर्ति के पद पर नियुक्ति को लेकर तुफान मचा हुआ है ! वह भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय पदाधिकारी रही है ! इस कारण यह विवाद चल रहा है !
इसी प्रसंग को देखते हुए, मुझे पचास साल पहले की घटना याद आ रही है ! नागपुर के एक वरिष्ठ वकील जो मेरे पचास वर्षों से भी अधिक समय से करीबियों में से एक थे ! जिनकी पिछले साल वृद्धावस्था के कारण मृत्यु हो गई है ! लेकिन सत्तर के दशक में उनकी हायकोर्ट के जज की नियुक्ति के समय उनके छोटे भाई और बहन का जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल होने के कारण उनकी नियुक्ति नही हो सकी ! फिर 1977 के बाद जनता पार्टी के सत्ता के समय फिर से उनका नाम जज की नियुक्ति में आया ! लेकिन उनके जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के विरोध में काम करने वाली दुर की रिश्तेदार नागपुर आने के समय उनके घर पर ठहरा करती थी ! इस कारण दोबारा उनकी नियुक्ति रोक दी गई ! यह उदाहरण मुझे खुद को अधिकृत रूप से मालूम है !
श्रीमती व्हिक्टोरिया गौरी सिर्फ वर्तमान सत्ताधारी दल की पदाधिकारि ही नहीं ! वह कन्याकुमारी जिले की पहली महिला वकिल रही है ! और भारतीय जनता पार्टी की अखिल भारतीय महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव के सर्वोच्च स्तर पर पदाधिकारी रही है ! और मोदी सरकारने उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद पर नियुक्त किया था ! और उनके पूर्व कार्य को देखते हुए ! उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के तरफसे कई चर्चाओं में प्रवक्ता के रूप में हिस्सेदारी करने के समय ! लवजेहाद तथा धर्मपरिवर्तन जैसे ! संवेदनशील मुद्दों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणीया करने की बातें, सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध हैं ! और वह भारतीय जनता पार्टी की चुनावी राजनीति में भी सक्रिय रही है ! और खुद भी लोकप्रतिनिधी रह चुकी है ! इन सब के बावजूद उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश की शपथ दिलाई गई है ! इस तरह की विवादास्पद महिला को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ! तो स्वाभाविक रूप से उनके न्याय देने के निर्णयों पर सवालिया निशान लग गया है !
उनकी अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर ! किसी ने आपत्ति करते हुए, उनकी नियुक्ति को लेकर ! कोर्ट में याचिका दायर करने की कोशिश को ! सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया है ! और व्हिक्टोरिया गौरी ने अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करने की औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद ! इस को लेकर काफी सवाल सार्वजनिक क्षेत्र में जोरों से चर्चा में है !
मुख्य रूप से हमारे देश की न्यायपालिका और वर्तमान केंद्र सरकार के बीच में कॉलेजियम को लेकर काफी विवाद चल रहा है ! आए दिन कानून मंत्री से लेकर उपराष्ट्रपति के पद पर बने जगदीश धनकड और एक तरह से पूरी सरकार ही कॉलेजियम को लेकर सरकार की आपत्ति जारी है ! कानून मंत्री तो साफ – साफ बोल रहे है “कि सरकार की सिफारिश पर न्यायालय ने न्यायमूर्तियो की नियुक्ति करनी चाहिए !” क्या श्रीमती व्हिक्टोरिया गौरी की नियुक्ति उसी विवाद में तो नहीं हुई ? वर्तमान समय की सरकार न्यायसंस्थाओ में हस्तक्षेप को लेकर ! भारत के न्यायालय के इतिहास में पहली बार ! आजसे गिनकर पांच साल पहले ! चार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने जस्टिस चलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकूर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस रंजन गोगोई ने, अपने सरकारी आवास पर 12 जनवरी, 2018 के दिन, पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था ! “कि वह बहुत दबाव में काम कर रहे हैं !”
2014 से वर्तमान समय की सरकार सत्ता में आने के बाद ! तथाकथित मुख्य धारा का मिडिया संस्थाओं को अपनी तरफ करने में कामयाब हो गया है ! और वही बात हमारे देश की अत्यंत संवेदनशील एजेंसियों आई बी, सीबीआई, ईडी तथा पुलिस, पॅरा मिलिटरी, मिलिटरी तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, रेल, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तथा यातायात के सभी विभागों से लेकर !
वर्तमान समय में, भारत के सर्वोच्च सदन संसद की भी स्वायत्तता ताजा बजट सत्र के दौरान उजागर हो चुकी है ! किस तरह से, विरोधी दलों के नेताओं के भाषणों के महत्वपूर्ण मुद्दों को ! संसदीय रेकॉर्ड से हटाने की कार्रवाई की गई है ! जो भारत के संसद के इतिहास में पहली बार देखने में आ रहा है ! और प्रधानमंत्री खुद चिल्ला – चिल्ला कर छाती को ठोकते हुए जितं मया के अभिनय करते हुए ! 140 करोड जनसंख्या के देश का सुरक्षा कवच और नेहरू नाम क्यों नहीं ? अपने नाम के आगे लगाने जैसे ! बेसिरपैर की बातें घंटों तक करने के बावजूद ! उन्हें कोई रोक नहीं लगाई ! उल्टा संपूर्ण देश में उसे प्रचार-प्रसार के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है !
यह सब कुछ देखते हुए लगता है ! कि हमारे देश की सभी संविधानिक संस्थानों ने वर्तमान समय की सरकार के सामने घुटने टेक दिए हैं ! इस बहाने मुझे मेरे परिचित ! एक वरिष्ठ वकील कभी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में शामिल भाई – बहन ! और कभी उसी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की विरोधी रिश्तेदार, श्रीमती निर्मला देशपांडे के कारण हरतरह की काबिलियत रहने के बावजूद जिंदगी में कभी भी न्यायाधीश नही बन सके ! और व्हिक्टोरिया गौरी भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय स्तर पर पदाधिकारी रहने के बावजूद ! और लवजेहाद, धर्मपरिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दों के बारे में उन्होंने बोली हुए बातें सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध होने के बावजूद ! हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें नहीं सिर्फ अतिरिक्त न्यायाधीश की शपथ दिलाई उनकी नियुक्ति की याचिकाओं को सुनने से इंकार कर दिया ! यह और भी अधिक चिंता का विषय है !
इसी समय में, हमारे देश की आजादी के पचहत्तर साल के उत्सवों की भरमार जारी है ! और आने वाले 25 वर्ष मतलब अमृतकाल ! बोलकर उसके भी तरह – तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं ! लेकिन इन उत्सवों के आड में हमारे देश की सभी संविधानिक संस्थाओं को मजबूत करने की जगह कमजोर करने की कृती को क्या कहेंगे ? बनाना रिपब्लिक !!!!!!!!!!!
डॉ. सुरेश खैरनार, 11 फरवरी 2023, नागपुर