पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का राग अलापने का भारत ने करारा जवाब दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के सालाना अधिवेशन में इस बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने वही हिमाकत की और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने का उल्लेख किया. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई. भारत ने कहा कि पूरी दुनिया जानती और यह मानती है कि पाकिस्तान आतंकियों को समर्थन और हथियार मुहैया कराता आया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संयुक्त राष्ट्र महासभाको संबोधित करने वाले हैं औऱ उनके संबोधन में भी पाकिस्तान को कड़ी नसीहत दी जा सकती है.
राइट टू रिप्लाई के तहत भारत की तरफ से इमरान खान के भाषण पर जवाब देते हुए भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी स्नेहा दुबे ने कहा कि अफसोस की बात है कि यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के नेता ने मेरे देश के खिलाफ झूठे और दुर्भावनापूर्ण प्रचार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदान किए गए मंचों का दुरुपयोग किया है.वह दुनिया का ध्यान अपने देश की उस स्थिति से हटाने की कोशिश कर रहे हैं जहां आतंकवादी फ्री पास का आनंद लेते हैं. जबकि आम लोगों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों का जीवन वहां उलटा हो जाता है. उनके ऊपर अत्याचार होता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के संबोधन के राइट टू रिप्लाई में भारत ने कहा कि पाकिस्तान खुले तौर पर आतंकवादियों का समर्थन करने और उन्हें हथियार देने के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है. भारत ने आगे कहा कि पाकिस्तान के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों की सबसे बड़ी संख्या की मेजबानी करने का अपमानजनक रिकॉर्ड है. भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी स्नेहा दुबे ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग थे, हैं और रहेंगे. इसमें वे भी क्षेत्र शामिल हैं जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं. हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने के लिए कहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कहा, हम सुनते आ रहे हैं कि पाकिस्तान ‘आतंकवाद का शिकार’ है, लेकिन यह आग से लड़ने वाले के वेशभूषा में आग लगाने वाला देश है. पाकिस्तान आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता है कि वे केवल उसके पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे, लेकिन यह सोच गलत साबित हुई है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित सर्वाधिक आतंकवादियों को रखने का घटिया रिकॉर्ड पाकिस्तान के पास है.
दुबे ने कहा कि यह खेदजनक है कि यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान के नेता ने यूएन के अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग कर झूठे और दुष्प्रचार के लिए किया है, ताकि दुनिया का ध्यान उनके देश की खराब हालत से हटाया जा सके. जहां पर आतंकी बेखौफ खुलेआम घूमते हैं. जबकि आम आदमी खासकर अल्पसंख्यकों की हालत दयनीय है.
दुबे ने कहा, यूएन के सदस्य देश जानते हैं कि पाकिस्तान का आतंकियों को समर्थन, पनाह और संरक्षण-समर्थन देने का लंबा इतिहास रहा है. यह एक ऐसा देश है, जो पूरे विश्व में आतंकवादियों को ट्रेनिंग, फंडिंग औऱ हथियार देने के लिए जाना जाता है. आतंकवाद को समर्थन को उनके देश की प्रायोजित नीति है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित तमाम आतंकी पाकिस्तान में पनाह पाते रहे हैं.
इमरान खान ने पाकिस्तान से ही डिजिटल माध्यम से यूएन में अपना भाषण दिया और कश्मीर मुद्दा उठाया. खान ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति तो चाहता है. हालांकि दोहराया कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति तभी आएगी, जब जम्मू-कश्मीर विवाद का हल होगा. खान ने कहा कि यह जिम्मेदारी भारत पर है कि वो पाकिस्तान के साथ सार्थक और नतीजे देने वाली बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करे.