छोटे से करियर में क्रिकेट के बड़े-बड़े दिग्गज रहाणे की बल्लेबाजी के मुरीद हो गए हैं. रहाणे ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में अब तक केवल 14 टेस्ट और 54 एकदिवसीय मैच खेले हैं. वह टेस्ट मैचों 44.87 की औसत से 1077 रन और 54 एक दिवसीय मैचों में 31 की औसत से 1584 रन बना चुके हैं. जिसमें तीन टेस्ट और दो एकदिवसीय शतक शामिल हैं. उन्हें प्रारंभ से साल 2012 में खेले गए आईपीएल के पांचवें सीजन तक टी-20 फॉर्मेट का कुशल खिलाड़ी नहीं समझा जाता था, लेकिन उन्होंने पांचवें सीजन में इस मिथक को तोड़ते हुए राजस्थान रॉयल्स के लिए 16 मैचों में 560 रन बनाए.
अजिंक्य का मतलब होता है अभेद. यानि जिसे भेदा न जा सके. 26 साल के अजिंक्य रहाणे अपने नाम के अनुरूप एक अभेद बल्लेबाज के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं और दुनिया भर के गेंदबाजों के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं. द वॉल के नाम से विख्यात पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ को अपना आदर्श मानने वाले रहाणे भारतीय टीम के ऐसे बल्लेबाज हैं, जो किसी भी क्रम पर बल्लेबाजी करने में सक्षम हैं. वह कभी ओपनिंग करते हैं, तो कभी मिडल ऑर्डर में खेलते हैं. इसी वजह से कई बार उनकी तुलना वीवीएस लक्ष्मण से भी की जाती है.
आईपीएल के आठवें सीजन में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए अजिंक्य रहाणे ने 13 लीग मैचों में लगभग 50 की औसत से 498 रन बनाये. इस शानदार प्रदर्शन की वजह से राजस्थान रॉयल्स के कोच राहुल द्रविड़ भी रहाणे की बल्लेबाज़ी के कायल हो गए. द्रविड ने रहाणे की तारीफ करते हुए कहा कि वह पिछले एक साल से बेहतरीन बल्लेबाजी कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने विदेशों में टेस्ट श्रृंखलाओं में भी लगातार शानदार प्रदर्शन किया है. रहाणे के मुरीदों में केवल उनके साथ खेल चुके राहुल द्रविड़ ही नहीं हैं, बल्कि पूर्व भारतीय कप्तान अजीत वाडेकर भी इस सूची में शामिल हैं, उन्होंने पिछले महीने सचिन तेंदुलकर के जन्मदिन के मौके पर मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में अजिंक्य की तारीफ करते हुए कहा था कि ऐसे तो आईपीएल में तकनीकी रूप से सही बल्ललेबाज देखने को नहीं मिलते हैं, लेकिन ऐसे में मेरे जेहन में एक ही बल्लेबाज का नाम आता है और वह है अजिंक्य रहाणे का. उसे पता है कि टी-20 क्रिकेट कैसे खेलना है साथ ही उसका डिफेंस भी बहुत अच्छा है. वाडेकर ने कहा कि प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ उसका मिजाज भी सकारात्मक है. उसका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर बहुत लंबा होगा. वहीं द्रविड़ को लगता है कि वर्तमान समय के बल्लेबाज उनकी पीढ़ी के बल्लेबाजों से बेहतर है. ये बल्लेबाज अनुभव के साथ बेहतर प्रदर्शन करेंगे, उनके पास हमसे बेहतर हासिल करने की क्षमता है. रहाणे उसी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन भी रहाणे को तकनीकी दृष्टि से सबसे उम्दा भारतीय बल्लेबाज़ मानते हैं. वॉन का कहना है कि टीम इंडिया में शानदार बल्लेबाज़ों की कमी नहीं है, लेकिन इनमें अजिंक्य की तकनीक सबसे बेहतरीन है. वह दुनिया के किसी भी बेहतरीन स्पिन या तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण का सामना कर सकता है.
छोटे से करियर में क्रिकेट के बड़े-बड़े दिग्गज उनकी बल्लेबाजी के मुरीद हो गए हैं. रहाणे ने अपने अंतररष्ट्रीय करियर में अबतक केवल 14 टेस्ट और 54 एकदिवसीय मैच खेले हैं. वह टेस्ट मैचों 44.87 की औसत से 1077 रन और 54 एक दिवसीय मैचों में 31 की औसत से 1584 रन बना चुके हैं. जिसमें तीन टेस्ट और दो एकदिवसीय शतक शामिल हैं. उन्हें प्रारंभ से साल 2012 में खेले गए आईपीएल के पांचवें सीजन तक टी-20 फॉर्मेट के लिए का एक कुशल खिलाड़ी नहीं समझा जाता था, लेकिन उन्होंने पांचवें सीजन में इस मिथक को तोड़ते हुए राजस्थान रॉयल्स के लिए 16 मैचों में 560 रन बनाए. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजस्थान रॉयल्स की रीढ़ की हड्डी बन गए. इससे पहले वह मुंबई इंडियंस में शामिल थे, वहां उन्हें खेलने के बहुत कम मौके मिले. आईपीएल-5 में 98 और नाबाद 103 रन की दो पारियों की बदौलत राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के लिए बीसीसीआई के दरवाजे पर धमाकेदार दस्तक दी. जो काम घरेलू क्रिकेट में उनकी शानदार बल्लेबाजी नहीं कर सकी, वह काम आईपीएल के दो मैचों ने कर दिखाया.
सफलता का नशा रहाणे के सिर चढ़कर नहीं बोला है, यह एक शुभ संकेत है. जिस सादगी विनम्रता का परिचय रहाणे मैदान के बाहर देते हैं उनका व्यवहार ऐसा ही मैदान पर भी होता है. उनकी आक्रामकता बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण में दिखाई देती है. कुल मिलाकर रहाणे एक लंबी रेस के घोड़े हैं, जो कि लंबे समय तक देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. वह क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. उनमें क्षमता है कि वह आवश्यक्ता के अनुरूप बल्लेबाजी के तरीके में बदलाव कर सकते हैं.
रहाणे ने अपने रणजी करियर की शुरूआत साल 2007-08 में की थी. इसके बाद 2008-09 में अपने दूसरे ही रणजी सत्र में 1089 रन बनाकर सबको प्रभावित किया था और वे मुंबई की 38वीं रणजी खिताबी जीत के सूत्रधार रहे थे. रहाणे ने अगले सत्र में 809 रन बनाए और मुंबई ने अपने खिताब का बचाव किया. रहाणे ने अपने पहले पांच रणजी सत्र में तीन बार एक हजार से ज्यादा रन बनाये. इसके बाद उनकी टेस्ट टीम में शामिल होने की संभावनायें बढ़ गईं थीं. साल 2011 में ईरानी टॉफी के एक मैच में राजस्थान के खिलाफ उन्होंने 152 रनों की पारी खेली थी, इसके बाद उन्हें चोटिल शिखर धवन की जगह टेस्ट टीम में शामिल किया गया था. 2011 के विश्वकप के 30 संभावितों में रहाणे को शामिल किया गया था लेकिन वह अंतिम 15 में जगह नहीं बना सके थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में खेले गए इमर्जिंग प्लेयर्स टूर्नामेंट में उन्होंने दो शतक जड़े जिसकी बदौलत उन्हें 2011 के इंग्लैंड दौरे के लिए एकदिवसीय टीम में जगह दी गई थी. इसी दौरे में 3 सितंबर 2011 को चेस्टर ली स्ट्रीट में इंग्लैंड के खिलाफ रहाणे ने अपना वनडे पदार्पण किया था. इसी दौरे में 31 अगस्त 2011 उन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय टी-20 पदार्पण मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ ही किया था.
साल 2011-12 में ऑस्ट्रेलिया दौरे में जब भारतीय टीम एक के बाद एक टेस्ट मैचों में पिट रही थी तो रहाणे ड्रेसिंग रूम में बेबसी से यह नज़ारा देख रहे थे, लेकिन चारों टेस्टों में उन्हें एक भी चांस नहीं दिया गया. इसके बाद हुई त्रिकोणीय सिरीज और एशिया कप में रहाणे को वनडे टीम में जगह नहीं दी गई थी. उन्हें बिना कोई मौका दिए टीम से बाहर कर दिया गया. लेकिन रहाणे ने आईपीएल-5 में अपने शानदार प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को याद दिलाया है कि वे उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. इसके बाद रहाणे टीम इंडिया के साथ नियमित रूप से जुुड़ गये.
अजिंक्य रहाणे की पैदाइश महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव अश्विन केडी में हुई. जब अजिंक्य महज सात साल के थे तब उनके पिता उन्हें एक छोटे से क्रिकेट कोचिंग कैंप में ले गए जो डोम्बिविली में था. वहां मैटिंग विकेट पर खेल सिखाया जाता था. इस छोटे से कैंप में रहाणे को क्रिकेट का ककहरा इसलिए सीखना पड़ा क्योंकि उनके परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी. अजिंक्य कैंप तक अपनी मां के साथ जाते थे. उन्हें और उनकी मां को कैंप तक पहुंचने के लिए रोजाना 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. रहाणे भले ही आज क्रिकेट में नाम कमा रहे हैं, लेकिन बचपन के दिनों में वे कई अन्य खेल भी बेहतर खेलते थे. उनके पिता ने अपने एक दोस्त की सलाह पर अजिंक्य को मार्शल आट्र्स सीखने के लिए डोंबिवली स्थित युनिटी कराटे सेंटर भेजने का फैसला किया और वहीं से रहाणे कराटे में ब्लैक बेल्ट हुए. तकरीबन 17 साल के होने के बाद रहाणे ने पूर्व भारतीय टेस्ट बल्लेबाज प्रवीण आमरे से कोचिंग प्राप्त की. लेकिन उससे पहले अरविंद कदम नाम के एक व्यक्ति ने रहाणे परिवार की बहुत मदद की थी. रहाणे के पिता का कहना है कि अरविंद ने हमारे परिवार की बहुत सहायता की. उन्होंने हमसे बिना कोई पैसे लिए रहाणे को अपनी क्रिकेट अकादमी में अभ्यास करने का मौका दिया. अजिंक्य रहाणे के पास आज भले ही पैसे की कमी न हो, लेकिन एक ऐसा वक्त भी था, जब उनका परिवार क्रिकेट से जुड़े उनके खर्चों को उठाने की स्थिति में नहीं था. उनके पिता के पास अजिंक्य के लिए ज्यादा वक्त नहीं था. वह बताते हैं कि मेरा काम सिर्फ परिवार के लिए धन कमाना था, एक छोटी सरकारी नौकरी में परिवार बड़ी मुश्किल से चल पाता था. हमारे लिए रहाणे के क्रिकेट के खर्चे का वहन करना मुश्किल था. कई बार मैंने इस ओर गंभीरता से सोचा, लेकिन मेरी पत्नी ने मुझे अजिंक्य को खेलने से रोकने से मना कर दिया. उन्हें शायद उसी समय से मां को अपने बेटे की प्रतिभा पर यकीन था.
विश्वकप से ठीक पहले हुए ऑस्ट्रलिया दौरे में अजिंक्य रहाणे ने चार टेस्ट मैचों में 399 रन बनाये जिसमें एक शतक और दो अर्धशतक शामिल थे. सीरीज में रन बनाने के मामले में रहाणे केवल विराट कोहली(692) और मुरली विजय (482) से पीछे थे. उनकी बल्लेबाजी की बदौलत भारतीय मिडिल ऑर्डर मजबूत रहा और टीम इंडिया दो टेस्ट मैच बराबरी पर समाप्त करने में कामयाब रही. एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच में कोहली और रहाणे के बीच चौथे विकेट के लिए 101 रनों साझेदारी हुई. इस दौरान अजिंक्य ने 62 रन बनाए, लेकिन दूसरी पारी में वह अपना खाता भी नहीं खोल सके. पहला टेस्ट टीम इंडिया महज 48 रनों के अंतर से हार गई. ब्रिस्बेन में खेले गए दूसरे टेस्ट की पहली पारी में रहाणे ने मुरली विजय के साथ चौथे विकेट के लिए 124 रन जोड़े, इसके बाद रोहित शर्मा के साथ पांचवे विकेट के लिए 60 रनों की साझेदारी की. इस दौरान रहाणे ने 81 रन बनाये. तीसरे टेस्ट में रहाणे ने 147 और 48 रनों की पारी खेली और मैच ड्रा कराने में अहम योगदान दिया. इसी दौरान उन्होंने टेस्ट करियर में हजार रन भी पूरे किए. रहाणे से पहले भारत के दो दर्जन बल्लेबाजों ने एक हजार रन के आंकड़े को पार किया है, लेकिन करियर का 13 वें टेस्ट मैच के दौरान यह उपलब्धि हासिल करने वाले रहाणे को उन सभी से अलग दिखाई दिए क्योंकि टेस्ट करियर में खेले कुल 14 टेस्ट मैचों में से उन्होंने केवल एक टेस्ट मैच भारत में खेला है. दिल्ली में साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच में उन्होंने मजह शून्य और सात रन बनाये थे. उनके अधिकांश टेस्ट रन विदेशी धरती पर ही बने हैं. पिछले एक साल में रहाणे ने प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए तीन टेस्ट शतक लगाए, उनके नाम आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ शतक हैं, वहीं डरबन में पिछले साल जुलाई में रहाणे ने 96 रनों की पारी खेली थी, जो किसी शतक से कम नहीं थी. रहाणे ने मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में 147, फरवरी 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वेलिंग्टन में 118 और लॉर्डस में जुलाई 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ 103 रनों की पारी खेली थी. रहाणे मैच दर मैच परिपक्व खिलाड़ी के तौर पर उभरे हैं और विदेशी पिचों पर खुद को साबित किया है. विश्वकप में भी रहाणे ने सधी हुई बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को संतुलित किया था और मध्यम क्रम को संभाला था. विश्वकप में रहाणे ने 9 मैचों की 7 पारियों में 34.66 की औसत से 208 रन बनाये. रहाणे की 60 गेंदों पर 79 रनों की तेजतर्रार पारी विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ निर्णायक साबित हुई थी.
सफलता का नशा रहाणे के सिर चढ़कर नहीं बोला है, यह एक शुभ संकेत है. जिस सादगी विनम्रता का परिचय रहाणे मैदान के बाहर देते हैं उनका व्यवहार ऐसा ही मैदान पर भी होता है. उनकी आक्रामकता बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण में दिखाई देती है. कुल मिलाकर रहाणे एक लंबी रेस के घोड़े हैं, जो कि लंबे समय तक देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. वह क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. उनमें क्षमता है कि वह आवश्यक्ता के अनुरूप बल्लेबाजी के तरीके में बदलाव कर सकते हैं. देश हो या विदेश हर जगह वह अपनी काबीलियत साबित कर चुके हैं और टीम में अपनी जगह भी सुनिश्चित कर चुके हैं, ऐसे में लोगों को उनमें भविष्य का कप्तान भी दिखाई देने लगा है. महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद से उपकप्तान का पद खाली पड़ा है, हालांकि इस पद के लिए उम्मीदवार अश्विन और रहाणे दोनों हैं, सीनियरिटी के आधार पर अश्विन को उपकप्तान बनाया जा सकता है, यदि चयनकर्ता और बोर्ड भविष्य के लिए कप्तान तैयार करने के बारे में सोचते हैं तो निश्चित तौर पर रहाणे ही उप-कप्तान बनेंगे.